सम्पादकीय

गौरव का अवसर: जहां बसता है देश की आस्‍था का गौरव उन्‍हें सहेजना जरूरी

Gulabi
14 Dec 2021 7:21 AM GMT
गौरव का अवसर: जहां बसता है देश की आस्‍था का गौरव उन्‍हें सहेजना जरूरी
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देश की आस्‍था का गौरव उन्‍हें सहेजना जरूरी
काशी में विश्वनाथ धाम परियोजना के भव्य लोकार्पण ने यदि कुछ इंगित किया है तो यही कि हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों में देश की आस्था के साथ उसका गौरव भी बसता है और उसे सहेजने-संवारने की आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति इसलिए होनी चाहिए, क्योंकि बनारस जैसे सांस्कृतिक केंद्र हमारे समृद्ध अतीत के साक्षी हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का महत्व इसलिए और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि एक समय इसे असंभव सा माना जा रहा था।
यदि यह परियोजना भव्य-दिव्य स्वरूप में साकार हो सकी तो प्रधानमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता के चलते। इस परियोजना को आगे बढ़ाना एक जटिल कार्य था, लेकिन यह देखना-जानना सुखद है कि इसे पूरा करने में हर बाधा को सफलतापूर्वक पार किया गया और इस क्रम में कहीं कोई असंतोष भी नहीं पनपने दिया गया। स्पष्ट है कि इस परियोजना के क्रियान्वयन को एक आदर्श मानकर देश के अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का विकास होना चाहिए।
धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व वाले सभी शहरों को उनके प्राचीन वैभव के साथ विकसित करने की आवश्यकता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि हमारे अधिकांश धार्मिक स्थल भीड़भाड़, अव्यवस्था और नागरिक सुविधाओं के अभाव से ग्रस्त हैं। इसके चलते न केवल पर्यटकों को तमाम समस्याओं से दो चार होना पड़ता है, बल्कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में भी कठिनाई आती है। हम इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकते कि धार्मिक स्थलों में समय के साथ अनेक कुरीतियां भी पैदा हो गईं और कुछ ने तो सनातन संस्कृति की दिव्यता को मलिन करने का काम किया। यह अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री ने विश्वनाथ धाम परियोजना का लोकार्पण करते हुए औरंगजेब सरीखे उन आततायियों का उल्लेख किया जिन्होंने हमारे धार्मिक स्थलों को नष्ट-भ्रष्ट किया।
हम भारतवासियों को अपने समृद्ध अतीत पर गर्व करने के साथ उन घटनाओं और प्रसंगों को भी याद रखना चाहिए जो ध्वंस और अत्याचार के गवाह बने। यह परियोजना केवल हंिदूू जनमानस को ही गौरव की अनुभूति कराने वाली नहीं है, बल्कि राष्ट्र के गौरव को भी सम्मान प्रदान करने वाली है। यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने विश्वनाथ धाम परियोजना का लोकार्पण करते हुए यह कहा कि यह भारत को एक निर्णायक दिशा देने और उसे उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने वाली प्रेरणा बननी चाहिए। वास्तव में यह परियोजना इसके लिए एक प्रेरणास्नोत सरीखी होनी चाहिए कि राष्ट्र का विकास किस तरह से करने की आवश्यकता है। नि:संदेह देश का विकास कुछ इस तरह होना चाहिए जिससे नवीनता के साथ हमारी सदियों पुरानी प्राचीनता भी सजीव हो उठे। जब ऐसा होगा तभी सनातन संस्कृति, उसकी आध्यात्मिक यात्र और सर्वसमावेशी एवं सर्वकल्याणकारी परंपराओं को बल मिलेगा।
दैनिक जागरण

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