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- आपदा में ढूंढा अवसर
यह विडंबना है कि जब महामारी के समय में डिजिटल तकनीक पर समाज की निर्भरता तेजी से बढ़ी है, तभी इंटरनेट पर आजादियों पर लगाम लगाए गए हैं। इससे यह साफ हुआ है कि निजता की रक्षा और कानून के शासन को महफूज रखने के लिए अगरह पर्याप्त उपाय नहीं हुए, तो नई तकनीकों का राजनीतिक दमन के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जाएगा। फ्रीडम हाउस इंडेक्स में 65 देशों में 100 अंको के स्कोर पर लगातार दसवें साल इंटरनेट फ्रीडम में गिरावट दर्ज की गई है। यह पैमाना 21 संकेतकों पर आधारित है, जिनमें इंटरनेट इस्तेमाल की बाधाएं, सामग्री पर सीमा और यूजर के अधिकारों का उल्लंघन शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक लगातार छठे साल चीन सबसे खराब रैंकिंग पाने वाले देश के रूप में सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने कम और उच्च तकनीक वाले उपकरण का इस्तेमाल ना केवल कोरोना वायरस के प्रकोप का प्रबंधन करने के लिए किया, बल्कि वहां इंटरनेट यूजर्स को स्वतंत्र स्रोतों से जानकारी साझा करने और आधिकारियों से सवाल पूछने से भी रोका गया। फ्रीडम हाउस का कहना है कि अनुमानित तौर पर दुनिया में 3.8 अरब लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। मगर सिर्फ 20 फीसदी लोग ही ऐसे देश में रहते हैं, जहां इंटरनेट आजाद है। 32 फीसदी ऐसे देशों में रहते हैं जहां इंटरनेट "आंशिक रूप से स्वतंत्र" है। जबकि 35 फीसदी लोग ऐसे देश में रहते हैं जहां ऑनलाइन गतिविधियां आजाद नहीं है।