सम्पादकीय

Opinion: आखिर सरकारी नौकरियों में भर्ती की पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया क्यों नहीं बना पा रही सरकार?

Gulabi
29 Aug 2021 1:59 PM GMT
Opinion: आखिर सरकारी नौकरियों में भर्ती की पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया क्यों नहीं बना पा रही सरकार?
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मध्य प्रदेश के प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (PEB) के तीन परीक्षाओं को निरस्त करने के बाद यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है

मध्य प्रदेश के प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (PEB) के तीन परीक्षाओं को निरस्त करने के बाद यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि आखिर सरकारी विभागों के लिए की जाने वाली भर्ती के लिए विश्वसनीय तंत्र विकसित क्यों नहीं हो पा रहा है. मध्यप्रदेश में आठ साल पहले हुए बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने की थी. कुछ मामलों का अदालत में ट्रायल चल रहा है, कुछ चालान का इंतजार कर रहे हैं. अब भर्ती परीक्षा के नए विवाद की चपेट में शिवराज सिंह चौहान की सरकार आती दिखाई दे रही है. वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी की जिस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया गया है, उसकी मेरिट लिस्ट में एक ही शहर के कई सफल उम्मीदवारों के नाम-ऊपर नीचे थे. जो तीन परीक्षाएं निरस्त की गई हैं, वह 1587 पदों के लिए थीं. स्टाफ नर्स के कुल 466 पदों के लिए 30 हजार से अधिक लोगों ने परीक्षा दी थी.

प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड ने इसी साल वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी ग्रुप-दो और ग्रुप-चार के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी. बोर्ड ने अपनी विज्ञप्ति में परीक्षा निरस्त किए जाने का कारण ऑनलाइन परीक्षा के सर्वर से पेपर लीक होना बताया है. बोर्ड ने कहा कि डिटेल जांच में पाया गया कि 10 फरवरी 2021 को दोपहर करीब लगभग डेढ़ बजे पर एक लॉग पाया जिससे यह प्रतीत होता है कि परीक्षा का प्रश्न पत्र अनाधिकृत तौर पर डाउन लोड हुआ. परीक्षा 11 फरवरी को थी. बोर्ड ने तकनीकी जांच के लिए मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन की मदद ली थी. ई-टेंडर घोटाले में यह कॉरपोरेशन भी विवाद में रह चुका है. कॉरपोरेशन के विशेषज्ञों ने कंपनी सर्वर से इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड, डिजिटल फुटप्रिंट की जांच की थी. बोर्ड ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सत्रह फरवरी को मॉडल उत्तरों को ऑनलाइन प्रदर्शित कर आपत्ति बुलाईं थीं. आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान ही बोर्ड की जानकारी में यह बात आ गई थी कि एक ही शहर के कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा में असाधारण रूप से अधिक अंक मिले हैं. इसके बाद भी बोर्ड ने परीक्षा निरस्त नहीं की थी. बोर्ड के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस बारे में अपनी सफाई देते हुए कहा कि परीक्षा में मात्र किसी एक शहर विशेष के उम्मीदवारों द्वारा अधिक अंक प्राप्त किया जाना शंका का आधार हो सकता है, लेकिन परीक्षा निरस्त किए जाने का आधार नहीं हो सकता.
खराब ट्रैक रिकार्ड वाली कंपनी को दिया था परीक्षा कराने का ठेका
पिछले कुछ सालों से देश के लगभग हर राज्य में सरकारी भर्तियों की परीक्षाओं को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है. यद्यपि संघ लोक सेवा आयोग जैसी कुछ संस्थाओं की साख अभी बरकरार है. मध्यप्रदेश की सबसे ज्यादा बदनामी व्यापमं घोटाले के कारण हुई है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में व्यापमं का नाम लिए बगैर कहा भी था कि मध्यप्रदेश से पहले सिर्फ घोटाले की खबरें आतीं थीं. व्यापमं का घोटाला सरकारी नौकरी भर्ती के अलावा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की परीक्षा से जुड़ा हुआ था. इस घोटाले के कई असरदार किरदारों की मौत आज भी एक पहेली बनी हुई है. घोटाले के आरोपी रहे पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का कोरोना संक्रमण के चलते दो माह पूर्व निधन हो गया है. प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड का घोटाले से पहले नाम व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) था. घोटाले से हुई जिस बदनामी के कारण नाम बदल गया वह नए नाम के साथ भी अब बदनामी की राह चल निकला है. बोर्ड ने ऑनलाइन परीक्षा कराने का जिम्मेदारी एनएसईआईटी (स्टॉक एक्सचेंज फॉर इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी लिमिटेड) को दिया था. यह कंपनी देश की ज्यादातर भर्ती परीक्षाओं के आयोजन में सुरक्षा मापदंडों के साथ सम्पन्न कराने में पूरी तरह विफल रही है. कम्पनी को उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु, जैसे कई राज्यों में परीक्षाओं में पेपर लीक होने के बाद ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा इसी कंपनी के माध्यम से हुई थी. जिसे निरस्त करना पड़ा था. रेलवे भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ी सामने आई थी. पर्चा लीक हुआ था. देश के और कई राज्यों में हैकर्स ने इस कंपनी के सर्वर को हैक करके पेपर और आंसर की दोनों को व्हाट्सएप , वीडियो, स्क्रीनशॉट और अन्य माध्यमों से लीक की थी. इसके बाद भी प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी क्यों दी, यह बड़ा सवाल है.
'बोगी-इंजन' प्रणाली से बचने को ऑनलाइन परीक्षा
प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (पुराना नाम व्यापमं) का अध्यक्ष हमेशा से ही मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को बनाया जाता है. राज्य में जिस तरह से भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी लगातार सामने आ रही है, उसमें यह कहा जा सकता है कि सिस्टम में सेंधमारी रोकने के लिए सुरक्षा मानदंडों का पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा. ऑनलाइन परीक्षा का सर्वर यदि हैक हो रहा है तो जाहिर है कि डिजिटल सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए. डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन परीक्षा को शुरूआती दिनों सबसे विश्वसनीय माध्यम माना गया था. जिस तरह से हैकर सिस्टम को हैक कर रहे हैं, उसमें अब भर्ती परीक्षा का डिजिटल माध्यम भी भरोसे के लायक नहीं रहा है. व्यापमं की जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आई थी, वह कई तरह की थी. इसमें एक माध्यम परीक्षा कक्ष में इंजन-बोगी को पैटर्न अपनाया जाता था. इंजन का काम वह परीक्षार्थी करता था, जो प्रश्न पत्र हल कर सकता था. वस्तुनिष्ठ प्रश्न आधारित परीक्षा होती थी. आवेदक के स्थान पर किसी और को परीक्षा के लिए बैठाए जाने का मामला भी सामने आया. नंबर में हेराफेरी व्यापमं के अधिकारियों के स्तर पर हुई थी. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि सरकार को मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपना चाहिए. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले की जांच मध्यप्रदेश पुलिस के सायबर सेल से कराए जाने की घोषणा की है. वे कहते हैं कि शिकायतों के बाद सरकार ने जांच करवाई, फिर पुलिस जांच पर संदेह नहीं करना चाहिए.
चयनित शिक्षक कर रहे हैं नियुक्ति आदेश का इंतजार
प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड ने मार्च 2019 में संविदा शिक्षकों की भर्ती परीक्षा आयोजित की थी. परीक्षा परिणाम अगस्त 2019 में घोषित कर दिए गए. उस वक्त राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी. भर्ती का विज्ञापन सितंबर 2018 में विधानसभा के आम चुनाव से पहले निकाला गया था. माना गया कि भाजपा ने चुनाव में लाभ उठाने के लिए शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की. बोर्ड से चयनितों की सूची मिल जाने के बाद भी सरकार ने नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए. अब चयनित शिक्षक भोपाल की सड़कों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार का दावा है कि नियुक्ति के लिए दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
दिनेश गुप्ता, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. सामाजिक, राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखते रहते हैं. देश के तमाम बड़े संस्थानों के साथ आपका जुड़ाव रहा है.
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