सम्पादकीय

Opinion: गुरुघर में हुई घटनाएं विचलित करने वाली, यहां हिंसा की कोई जगह नहीं हो

Gulabi
20 Dec 2021 4:39 PM GMT
Opinion: गुरुघर में हुई घटनाएं विचलित करने वाली, यहां हिंसा की कोई जगह नहीं हो
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पिछले कुछ दिनों में पंजाब के गुरुद्वारों से आए दृश्यों ने मन को बेहद विचलित किया
पिछले कुछ दिनों में पंजाब (Punjab) के गुरुद्वारों से आए दृश्यों ने मन को बेहद विचलित किया. पहली घटना हरमंदिर साहिब में घटित हुई, जो सिख समुदाय के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. यहां एक व्यक्ति को सबकी नज़रों के सामने ही मार दिया गया, आरोप था कि उसने श्री गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) के स्वरूप के साथ बेअदबी (Sacrilege) करने की कोशिश की थी.
दूसरी घटना रविवार (19 दिसम्बर) को कपूरथला में सामने आई, जहां एक और युवक की गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप के साथ छेड़-छाड़ करने के आरोप में हत्या कर दी जाती है. सोचने पर भी दिल सहम जाता है कि आखिर गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप के साथ कोई बेअदबी क्यों करेगा?
बेअदबी की जांच जरूरी लेकिन गुरुघर में हिंसा असहनीय-
संदेह नहीं कि इस कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति किसी घृणित मकसद या बदनीयती के साथ ही उस पवित्र स्थान पर गया होगा, जहां गुरु ग्रंथ साहिब के सामने अहर्निश पाठ किया जाता है.
हो सकता है कि आरोपी ने अकेले इस घटना को अंजाम दिया हो या इसके पीछे ऐसी कोई ताकत हो जो चुनाव से पहले समाज में विद्वेष फैलाकर राजनीतिक फायदा लेना चाहता हो.इस समय इस घटना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ये जांच का विषय है.लेकिन सबसे बड़ा विरोधाभास ये है कि आरोपी की जांच से पहले ही हत्या कर दी गई, तो इस विषय में ज़्यादा तथ्य सामने कैसे आएंगे?
लिंचिंग करना कानून के शासन की मूल भावना के खिलाफ-
दो आरोपियों की "लिंचिंग" के बाद अब पंजाब के लोग ये सवाल उठाने लगे हैं कि क्या लिंचिंग या हत्या को अंजाम देना ही सही विकल्प था? क्या उसे जिंदा पकड़ पुलिस के हवाले नहीं किया जा सकता था, जिससे घटना के पीछे शामिल लोगों तक पहुँचने में मदद मिलती? एक मिनट के लिए सोच लेते हैं अगर मुंबई में हुए आतंकी हमले में अजमल कसाब को जिंदा नहीं पकड़ा जाता तो बहुत सी बातें उसके मरने के साथ ही दफन हो जाती.
इन घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकी की कानून के नज़र में ज़्यादा कीमत होती है बजाय इसके कि उसे मार दिया जाय.अमृतसर में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में शामिल व्यक्ति को घटना स्थल पर मारकर क्या हासिल हुआ? इसपर शांति से मनन करने की ज़रूरत है. ऐसा ही वाकया हमने सिंघू बार्डर पर किसान आंदोलन के दौरान भी देखा था, यहां भी पूरी दुनिया ने तरन-तारन के निवासी लखबीर सिंह की जघन्य हत्या का दृश्य देखा था.
आखिर संगत का विश्वास कानून से हट रहा-
जब पंजाब में कुछ लोग ये कहते हैं कि "संगत ही इंसाफ करुगी," तो इसका मतलब ये भी होता है कि क्या आम लोग पुलिस और कानून व्यवस्था पर से विश्वास खोते जा रहे हैं.लोगों को लगने लगा है कि पुलिस और मौजूदा सरकारें उन्हें न्याय दिलवाने में सक्षम नहीं हैं या सरकारें किन्हीं कारणों से सख्त कदम उठाना नहीं चाहती है. पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों के साथ छेड़-छाड़ को लेकर पिछले तीन- चार वर्षों से माहौल गरम है.इसमें बहुत हद तक पंजाब पुलिस की भी नाकामी है, जो दोषियों तक पहुँच पाने में नाकाम रही है।
2015 फ़रीदकोट के बेहबलकलाँ और कोटकपुरा में हुई गोलीबारी में दो सिख प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने घटना की जांच के लिए कमिशन (जस्टिस रंजीत सिंह (रिटायर्ड) कमिशन रिपोर्ट) का भी गठन किया लेकिन रिपोर्ट आने के बाद इस तरह की चर्चा गरम हो गई कि जांच में महत्वपूर्ण लोगों को बचा लिया गया.
ये घटना अकाली सरकार के समय घटित हुई थी इसलिए कैप्टन सरकार पर इस बात का दवाब था कि वो अकाली नेताओं और जिम्मेदार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जांच की जद में लाएँ. हालांकि काँग्रेस सरकार से पहले अकाली दल की सरकार ने भी जस्टिस ज़ोरा सिंह के नेतृत्व में एक कमीशन का गठन किया था लेकिन अमरिंदर सिंह सरकार ने पुरानी रिपोर्ट को पहले ही खारिज कर दिया था.
कमिशन और एसआईटी से तंग आ चुके हैं लोग-
कैप्टन अमरिंदर सिंह 2017 में खुद बेअदबी को मुद्दा बनाकर सत्ता में आए थे लेकिन इनके वादे भी वफा नहीं हुए.अमरिंदर सिंह सरकार के दौरान बनाई एसआईटी की रिपोर्ट में इतनी खामियां आईं कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया.
पूर्व आईजी कुँवर विजय प्रताप सिंह कोटकपुरा और बेहबलकलाँ में हुई पुलिस गोली से हुई मौत की जांच कर रहे थे लेकिन हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद अमरिंदर सिंह के लिए स्थिति काफी असहज हो गई.अमरिंदर सिंह पर वैसे लोग हावी होते गए, जो उन्हें बादल के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाते रहे थे.बाद में जांचकर्ता आईजी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.
गुरुघर सबके लिए है, इसकी मर्यादा कायम रखें-
अमृतसर और कपूरथला दोनों ही हत्याओं के मामले में मुख्यधारा की पार्टियां ने चुप्पी साधी हुई है.अगर गुरुद्वारा परिसर में इस तरह से लिंचिंग की घटनाएँ होने लगीं तो इससे सबसे बड़ा नुकसान तो सिख समुदाय को ही होगा.गुरुद्वारा को गुरुघर मानकर लोग रात-दिन किसी भी प्रहर में पहुँच जाते हैं कि उन्हें वहाँ शरण मिलने के साथ साथ दो रोटी, दाल और कड़ाह प्रसाद की भी उम्मीद रहती है.इस तरह की घटनाएँ समाज को तोड़ने वाली हैं, समाज को आगे आकार वैसे जतन करने चाहिए जिससे हिन्दू और सिखों के बीच भाईचारा बढ़े, विश्वास बढ़े.



( डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं)
ब्रज मोहन सिंह
एडिटर, इनपुट, न्यूज 18 बिहार-झारखंड
पत्रकारिता में 22 वर्ष का अनुभव. राष्ट्रीय राजधानी, पंजाब , हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में रिपोर्टिंग की.एनडीटीवी, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और पीटीसी न्यूज में संपादकीय पदों पर रहे. न्यूज़ 18 से पहले इटीवी भारत में रीजनल एडिटर थे. कृषि, ग्रामीण विकास और पब्लिक पॉलिसी में दिलचस्पी.
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