सम्पादकीय

Opinion: नारा बदल दिया मोदी ने और खड़ा कर दिया एक नया मतदाता वर्ग

Rani Sahu
11 March 2022 6:26 PM GMT
Opinion: नारा बदल दिया मोदी ने और खड़ा कर दिया एक नया मतदाता वर्ग
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नारा बदल दिया मोदी ने और खड़ा कर दिया एक नया मतदाता वर्ग

मनोज मलयानिल

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव-2022 में जनता से वो सारे वादे किये जो जीत दिलाने के लिए किए जा सकते थे. अखिलेश ने कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो चार साल में प्रदेश के सभी किसान कर्जमुक्त हो जाएंगे. वो फसलों पर एमएसपी तय करेंगे. किसानों को खाद, बीज, बिजली पेट्रोल और डीजल सब मुफ्त देंगे. छात्रों के मुफ्त में लैपटॉप देंगे तो गृहणियों को मुफ्त में गैस सिलेंडर देंगे. जिस तरह कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए चांद तारे तोड़कर लाने का वादा करता है, उसी तरह उन्होंने मतदाताओं से दुनिया जहां के सारे वादे किये. बड़े-बड़े वादे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी किये. प्रियंका का सबसे बड़ा नारा था 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'. प्रियंका ने कहा, 'कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों का कर्जा 10 दिन में माफ होगा और महिलाओं को नौकरी में 40 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इतना ही नहीं 20 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां भी देंगे और 10 लाख तक के इलाज की मुफ्त व्यवस्था भी होगी.
सवाल उठता है कि जिस सरकार पर कोविड से लड़ने में नाकामी का आरोप लगा हो, जिस सरकार पर महंगाई और बेरोजगारी पर अंकुश लगाने में फेल होने का आरोप लगा हो, उस पर जनता ने यकीन करते हुए फिर से सत्ता क्यों सौंपी? सवाल उठता है कि विपक्ष ने जनता को जो सपने दिखाये उस पर भरोसा नहीं करके जनता जनार्दन ने वर्तमान योगी सरकार के कामकाज पर क्यों मुहर लगाई? इन सवालों का जवाब ढूंढने की हम कोशिश करेंगे पर आइये सबसे पहले चुनाव के बड़े मायने समझ लेते हैं.
पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम की बड़ी बातें-
– मोदी की अगुआई में बीजेपी की आंधी जारी है.
– युवाओं के देश में जनता को परिवारवाद स्वीकार नहीं. बादल परिवार, यादव परिवार, नेहरू-गांधी परिवार को जनता ने अस्वीकार किया.
– 2014, 2017, 2019 और अब 2022 में भी अखिलेश यादव की लगातार चौथी हार.
– 2012, 2014, 2017, 2019 और अब 2022 में भी मायावती की लगातार पांचवी बड़ी हार.
– यूपी में राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी की भी बुरी हार. राहुल अमेठी से भी बाहर हुए तो प्रियंका गांधी वाड्रा भी यूपी को स्वीकार नहीं.
– बाबा योगी आदित्यनाथ यूपी के सबसे कामयाब मुख्यमंत्री साबित हुए. यूपी में ऐसा पहली बार होगा जब कोई मुख्यमंत्री पांच साल तक कुर्सी पर रहने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनेगा. योगी का क़द बीजेपी के बड़े राष्ट्रीय नेताओं के क़द के समकक्ष.– न यादव, न जाट, न ठाकुर, न पंडित, न OBC वर्ग. इन सबमें सबसे ऊपर सबसे बड़ा फैक्टर लाभार्थी वर्ग. कुछ कमियों, खामियों (कोरोना, बेरोज़गारी) के बाद भी जनता ने दिया बीजेपी को समर्थन. भरोसा इस बात का कि तुम्हीं से मोहब्बत तुम्हीं से लड़ाई…
– 2017, 2019 की तरह राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, लाभकारी योजनाएं और जातीय समीकरण बीजेपी की जीत के बड़े फैक्टर.
– पंजाब में जबरदस्त जीत के बाद अरविंद केजरीवाल का कद बड़ा हुआ. केजरीवाल अब खुले एलान के साथ खुद को कांग्रेस का एक मात्र विकल्प बताएंगे.
– नेहरू-गांधी परिवार से कांग्रेस अगर मुक्त नहीं हुई तो पार्टी इतिहास बन जाएगी.
आइये अब लौटते हैं उत्तरप्रदेश, जिसके चुनाव परिणाम पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर की नजरें थी. चुनाव को देखने का राजनीतिक विश्लेषकों का जो नजरिया रहा है, पिछले एक दशक से उसके लगातार फेल होने के बाद भी उसी नजरिये से इस चुनाव को देखने की कोशिश की गई. नतीजा वही हुआ कि बड़े-बड़े पंडितों की भविष्यवाणी फेल हो गई. चुनाव को देखने का परंपरागत नजरिया क्या है? यही न कि जाट किसे वोट देगा? गुर्जर किसे वोट देंगे? ब्राह्मण, ठाकुर, दलित, महादलित किसे चुनेंगे? ज्यादातर विश्लेषक ये भूल गये कि हाल के वर्षों में जातीय, धार्मिक वर्गों के अलावा एक नया वर्ग तैयार हो चुका है. जिसका नाम है लाभार्थी वर्ग.
1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कांग्रेस पार्टी के शताब्दी समारोह में कहा था कि केंद्र से भेजे गये एक रुपये का सिर्फ 15 पैसा जरुरतमंदों तक पहुंच पाता है. बाकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. इस दिशा में मनमोहन सरकार ने कोशिश तो की लेकिन उसे अंजाम तक नहीं पहुंचा सके. नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही योजनाओं का लाभ सीधे जरुरतमंदों के खाते में पहुंचाने की शुरुआत कर दी. पहले गरीबों का जन-धन खाता खुलवाया. हर खाते को आधार से लिंक कराया. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के लिए सभी लाभकारी योजनाओं को आधार से जोड़ा.
उत्तर प्रदेश में करीब 15 करोड़ मतदाता हैं. 2.82 करोड़ परिवार को पीएम किसान सम्मान निधि का सीधा लाभ मिल रहा है. हर चार महीने पर साल में तीन बार दो-दो हजार रुपये अकाउंट में ट्रांसफर होता है. इन किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सीधा लाभ मिल रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत यूपी की 76 फीसदी आबादी को भोजन का निवाला मिलता है. उत्तरप्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार की करीब तीन सौ ऐसी योजनाएं चल रही हैं जिसका लाभ लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये मिल रहा है. मतलब लाभ सीधे लाभार्थियों के खाते में जाता है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े चार साल के दौरान 43 लाख लोगों को घर मिला. ये लोग गांव में भी रहते हैं और शहरों में भी. ग्रामीण इलाके में घर बनाने वाले हर लाभार्थी को एक लाख बीस हजार रुपये मिले वहीं, शहरों में हर लाभार्थी को ढाई लाख रुपये मिले. लोकतंत्र, गर्वनेंस और राजनीति की बारीकियों को समझने वाले ज्ञानियों की नजर भी इस इस बार इस खास वर्ग पर थी. वर्ग समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सरकारी योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थियों का. मतदाताओं के इस नये वर्ग ने तय किया कि सत्ता में किसे रहना चाहिए और उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री किसे बनना चाहिए. चुनाव परिणाम ने ये भी साफ-साफ बता दिया कि जनता को लाभ मिलता है तो वो नेताओं की झोली वोट से भर देती है.
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