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महानगर मुम्बई में हायर क्लासेस को मैथ्स-साइंस पढ़ा रहीं कोमल कहती हैं- मुश्किलें तो बहुत बढ़ी हैं लेकिन फिलहाल एडजस्ट करने के अलावा कोई ऑप्शन भी नहीं है। मुम्बई में हमारे पास सबसे बड़ी समस्या जगह की ही होती है। यहां 2 बीएचके का मालिक होना भी लक्ज़री ही है। दिक्कत यह है कि मेरे ससुर जी लम्बे समय से बीमार हैं और बिस्तर पर ही हैं और एक रूम उनके लिए है। मेरे पति भी वर्क फ्रॉम होम के कारण घर से ही दफ्तर का काम कर रहे हैं, तो एक रूम उनके लिए है। बचा एक रूम, जिसमें मेरे साथ मेरे 12 वर्षीय बेटे की ऑनलाइन क्लासेस भी चलती हैं। अब ऐसे में हर चीज मैनेज करना मुश्किल तो है ही। इस सबके साथ रोज का काम अपनी जगह है। मैं सुबह 4.30 पर उठती हूँ। सबके नाश्ते-दूध- चाय का इंतज़ाम करके मैं दो क्लासेस का लेक्चर लेती हूं इतने में लंच का टाइम हो जाता है। वह पूरा करती हूं इतने में फिर क्लासेस का टाइम हो जाता है। क्लासेस पूरी होते होते शाम की चाय और डिनर का टाइम होने लगता है। सास और पति भी अपनी क्षमता अनुसार हाथ बंटाते हैं लेकिन मेरी भागदौड़ तो मेरी ही है। ऊपर से पति की मीटिंग तो सुबह से शुरू हो जाती हैं। इन सबके बाद अगले दिन के लेक्चर की तैयारी, बेटे का होमवर्क और क्लास के बच्चों का वर्क, ये सब मिलकर आधी रात कर देते हैं। रोज 2-2.30 बजे रात को सोना हो रहा है। नींद पूरी नहीं होने से सबकुछ गड़बड़ हो रहा है। एक सन्डे मिलता है वो पूरा कपड़े धोने, घर की सफाई और बाकी कामों में बीत जाता है। पता नहीं कब ये सब नॉर्मल होगा और हम फिर से रेग्युलर रूटीन पर आ पाएंगे।