सम्पादकीय

ऑनलाइन शिक्षा जरूरी पर गुड हैंड राइटिंग और भी जरूरी

Subhi
4 April 2021 2:16 AM GMT
ऑनलाइन शिक्षा जरूरी पर गुड हैंड राइटिंग और भी जरूरी
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यह सच है कि जब किसी के सामने कठिन हालात आते हैं तो इन चुनौतियों के बीच ही इंसान की असली परीक्षा होती है।

यह सच है कि जब किसी के सामने कठिन हालात आते हैं तो इन चुनौतियों के बीच ही इंसान की असली परीक्षा होती है। कोरोना जहां पूरी दुनिया के लिए एक खतरा बनकर खड़ा हुआ है वहीं भारत ने भी इस कोरोना काल में जीवन के हर क्षेत्र में लड़-लड़कर जूझ-जूझ कर खुद को स्थापित किया है। चुनौतियां हैं कि कम नहीं हो रही। कुल पंद्रह महीने हो चले हैं हमने इन चुनौतियों में संभावनाओं के अवसर तलाश लिये हैं। अर्थव्यवस्था को संभाला, बाजार संभाले और सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे मजदूरों और दफ्तरी बाबुुओंं के अलावा हर किसी को संभालते हुए सबसे बड़ा चैलेंज शिक्षा के क्षेत्र में झेला जहां स्कूली स्तर पर एक बड़ी बाधा अगर किसी ने पार की है तो वह भारत ही है जो दुनिया के सामने एक उदाहरण बनकर खड़ा हुआ है। नर्सरी के दाखिले खुल गये। कोरोना की दूसरी लहर के चलते आठवीं तक के स्कूल बंद हैं। वहीं नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स को अगर स्कूल आने का मौका दिया है तो उसके लिए भी माता-पिता की अनुमति जरूरी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि टीकाकरण के बावजूद मामले बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल या फिर स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन बराबर लगे हुए हैं कि टीकाकरण के बावजूद लोग लापरवाही ना बरतें। बराबर अपील की जा रही है कि अब टीकाकरण तेजी से चल रहा है लिहाजा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। उधर गृहमंत्री पूरे देश में कोरोना को लेकर राज्यों को नई गाईडलाइंस जारी कर टीकाकरण को प्रेरित कर रहे हैं। सबकुछ ठीक है परंतु बड़ी दिक्कत लोगों की लापरवाही है। लिहाजा लोगों को नियमों का पालन करना ही होगा।

स्कूली स्तर पर हमारे शिक्षक धन्य हैं जो ऑनलाइन बच्चों की क्लासेज ले रहे हैं। स्कूल प्रबंधकों के अलावा सरकारी प्रयास भी सराहनीय हैं। लेकिन एक बड़ी चुनौती स्कूलों के बच्चों के सामने उभर कर आ रही है और वह लेखन को लेकर है। जो हाथ कल तक पैन के माध्यम से कापी पर लिखावट के लिए प्रयोग होते थे अब उन हाथों में माउस है या फिर स्टूडेंट्स की उंगलियां मोबाइल पर सक्रिय हैं। जो कुछ शिक्षक ने बताया या पढ़ाया उसका स्क्रीन शार्ट तैयार हुआ और इसी के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने का एक नया तरीका इजाद हो गया। हमारा यह मानना है कि बच्चों की हेंडराइटिंग को लेकर उन्हें जितना ज्यादा प्रेरित किया जाना चाहिए वह जरूरी है। ब्रिटेन के शिक्षाविदों की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा स्कूली स्तर पर बच्चों में चिड़चिड़ेपन और बोझिलता का कारण बन चुकी है और इस रिपोर्ट में भारतीय बच्चों की बिगड़ती हेंडराइटिंग का भी उल्लेख है। ऑनलाईन शिक्षा के बारे में हमारा खुद का मानना है कि आज के कठिन समय में यह एक अच्छा रास्ता तो है परंतु हेंडराइटिंग का न होना और इसका प्रयोग एकदम रूक जाना यह बच्चों के शैक्षिक विकास में एक बड़ी रूकावट है और इसे दूर करना होगा।
कुछ ऐसे उपाय करने होंगे जो बच्चों को हेडराइटिंग के लिए प्रेरित करने का काम करें। यह काम शिक्षक लोग बखूबी कर रहे हैं लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि बच्चे चंचल होते हैं और आजकल स्कूल में नियमित रूप से न जाने के कारण उन्हें घर पर ही मस्ती का मौका मिल गया है। बच्चों के शैक्षिक विकास पर असर पड़ रहा है। उनकी और उनके पैरेंट्स की सोच भी यही बन रही है कि परीक्षा घर पर ही हो और अच्छे मार्क्स भी सिक्योर करते चले जाएं। हमारा मानना है कि बच्चों का लेखन नियमित रूप से करवाने के लिए कुछ पग उठाए जाने जरूरी हैं। जीवन के क्षेत्र में शिक्षा का सबसे ज्यादा महत्व है और छोटे बच्चों का अगर हेंडराइटिंग आज के कंप्यूटर की वजह से अगर प्रेक्टिस से दूर रहे तो बताइये बात कैसे बनेगी? इस बड़ी चुनौती का भी सामना करने के लिए उपाय करने होंगे। बाकि हर कोई कोरोना में अपनी ओर से डटा हुआ है लेकिन शिक्षा को लेकर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।



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