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- हमारा एक नगीना छिन
कीर्ति आजाद । 1983 विश्व कप खेलने जब हमारी टीम गई, तो लोगों को विश्वास नहीं था कि हम क्रिकेट विश्व कप जीत सकते हैं। उसके पहले जो विश्व कप हुए थे, उनमें हमारा प्रदर्शन अच्छा नहीं था। हमारा क्रिकेट में कोई नाम नहीं था। हम 1983 में पहला मैच वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेले थे। वह विश्व की सबसे ताकतवर, लगातार दो बार विश्व कप जीतने वाली टीम थी। एक से एक दिग्गज बल्लेबाज और दुनिया के चार सबसे तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग, एंडी रोबर्ट, मैल्कम मार्शल, जोएल गार्नर टीम में थे। हम नए खिलाड़ियों की धुकधुकी छूट रही थी कि हमारा क्या होगा? और वैसे माहौल में यशपाल शर्मा ने 89 रनों (120 गेंद) की जबरदस्त पारी खेली। हमने 262 रन बनाए। हम वह मैच 34 रनों से जीत गए और यशपाल शर्मा 'प्लेयर ऑफ द मैच' घोषित हुए। यशपाल शर्मा की इसी पारी ने विश्व कप में हमारे प्रदर्शन की नींव रख दी थी। मन में पहली बार विश्वास पैदा हुआ था कि विश्व की सबसे तगड़ी टीम का हम मुकाबला कर सकते हैं। हम जब सेमीफाइनल में क्वालीफाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेल रहे थे, वहां भी यशपाल शर्मा ने सर्वाधिक 40 रन बनाए थे और सेमीफाइनल में तो उनके 61 रन सबसे खास थे। उनका एक शॉट तो मैं भूल नहीं सकता। वह ऑफ स्टंप की ओर गए और गेंद को फ्लिक किया स्क्वॉयरलेग के ऊपर और गेंद स्टेडियम के बाहर रेल की पटरियों पर जा पड़ी। अब केवल यादें ही रह गई हैं।