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- एक देश-एक राशन कार्ड
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर बहुत सख्त रुख अपनाते हुए पूरे देश में 'एक राशन कार्ड' प्रणाली को अपनाने का जो निर्देश दिया है उससे सभी राज्य सरकारों के पास इस मामले में किसी प्रकार की भी राजनीति करने का कोई बहाना नहीं बचा है। सबसे पहले हमें यह सोचना चाहिए कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति को भारत की संसद ने ही 2013 में कानून पारित करके भोजन का अधिकार दिया है जिसे 'खाद्य रक्षा कानून' कहा जाता है। इस कानून के तहत कोई भी भारतवासी भूखा नहीं सो सकता। उसकी जेब के मुताबिक खर्चे पर भोजन सुलभ कराना सरकार का दायित्व है। चंूकि राशन का वितरण राज्य सरकारों की मार्फत ही होता है अतः प्रत्येक राज्य सरकार को किसी भी अन्य प्रदेश के राशनकार्ड को उसके धारक द्वारा किसी दूसरे राज्य में दिखाये जाने पर वांछित राशन देना ही होगा क्योंकि केन्द्र सरकार ने 'एक राष्ट्र-एक राशनकार्ड' योजना लागू कर रखी है।