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- एक भारत, एक राशन

बर्लिन में अपने भाषण के दौरान जब परमादरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राशनकार्ड का उल्लेख किया, मुझे अपने जीवन की ये बात याद आ गई जब हमारे गांव में राशन के दो डिपो थे और हमारा राशन कार्ड केवल एक डिपो में चलता था। अक्सर जिस डिपो में हमारा राशन कार्ड था, वहां राशन लेट आया करता था। दूसरा उस डिपो में राशन कार्ड धारक भी बहुत होते थे। मुझे कम से कम दो से चार घंटे अपना राशन लेने को लगते थे, जिससे मेरा पढ़ाई का बहुत सा समय नष्ट हो जाता था, क्योंकि हम दूसरे डिपो, जिसमें कम राशन कार्ड धारक थे, वहां से राशन नहीं ले सकते थे। मैं अक्सर अपने पिता जी से दूसरी पंचायत का राशन कार्ड बनवाने को कहता था, तो उनका एक ही जवाब होता था कि हम जिस पंचायत में रहते हैं, केवल वहीं का राशन कार्ड बन सकता है। उस समय हम अपना राशन कार्ड चेंज नहीं करवा सके और मैं हर माह मिट्टी के तेल व राशन के लिए अपनी पढ़ाई का बहुमूल्य समय खोता रहा।
