सम्पादकीय

एक दिन, चार आंकड़े

Gulabi
16 Dec 2021 5:15 AM GMT
एक दिन, चार आंकड़े
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देश की अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा का साफ संकेत मंगलवार को मिला
आम इनसान की जेब में घटाने में सरकार की कितनी भूमिका है, इसे खुद वित्त मंत्री ने बताया। केंद्र ने पिछले तीन वित्त वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स के जरिए आठ लाख दो हजार करोड़ रुपए वसूले हैं। इनमें से तीन लाख 71 हजार करोड़ रुपए सिर्फ इस वित्त वर्ष में वसूले गए हैँ।
देश की अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा का साफ संकेत मंगलवार को मिला। उस दिन जारी हुए चार आर्थिक आंकड़ों पर गौर करें, तो उससे न सिर्फ यह पता चलता है कि देश की आर्थिक हालत आज कैसी है, बल्कि इस हालत में किसका नुकसान और किसका फायदा हो रहा है, उसका भी संकेत इससे मिला है। बात थोक मूल्य सूचकांक की महंगाई दर से करते हैँ। देश में ये दर 14 फीसदी से भी ऊपर चली गई है। यानी बढ़ी इनपुट लागत के साथ उत्पादक जो माल तैयार कर रहे हैं, वह बिक्री के लिए भेजे जाने के पहले एक साल पहले की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा महंगी पड़ रही है। देश में फिलहाल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर पांच फीसदी से कुछ कम है। अब ये कैसे संभव है कि उत्पादन इतना महंगा हो, जबकि उपभोग के स्तर पर मुद्रास्फीति उसके एक तिहाई के बराबर हो। ऐसा तभी हो सकता है, जब देश में उपभोग के लिए लोग तैयार ही ना हों। ऐसा कैसे हुआ, इसका अंदाजा दूसरा आंकड़ा देता है।
सीएमआरआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में शहरी बेरोजगारी दस फीसदी ज्यादा हो गई है। तो जब इतनी बड़ी संख्या में रोजगार ढूंढ रहे लोगों के पास काम ना हो, तो आखिर उपभोग किस रफ्तार से बढ़ेगा। गौरतलब है कि इस आंकड़े में वे लोग शामिल नहीं हैं, जिन्होंने रोजगार मिलने की उम्मीद छोड़ कर इस बाजार से खुद को बाहर कर लिया है। जाहिर है, उनकी आमदनी का स्तर भी निम्न है। आम इनसान की जेब में घटाने में सरकार की कितनी भूमिका है, इसे खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया।
उस तीसरे आंकड़े के मुताबिक केंद्र सरकार ने पिछले तीन वित्त वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स के जरिए आठ लाख दो हजार करोड़ रुपए वसूले हैं। इनमें से तीन लाख 71 हजार करोड़ रुपए सिर्फ इस वित्त वर्ष में वसूले गए हैँ। स्पष्टतः ये पैसा हमारी-आपकी जेब से निकाला गया है। तो सवाल उठेगा कि आखिर ये पैसा जाता कहां है? इस तो चौथे आंकड़े पर गौर कीजिए। नरेंद्र मोदी के शासनकाल में सरकार ने 10 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये का कर्ज माफ किया है। अब किसी का होम, कार या एजुकेशन लोन तो माफ हुआ नहीं है। तो वो पैसा किसी जेब में गया, इसे समझना कठिन नहीं है।
नया इण्डिया
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