सम्पादकीय

एक बार फिर यूपी की नौकरशाही सरकार की कराएगी फजीहत, वैक्सीनेशन में ऐसा भेदभाव क्यों

Gulabi
10 May 2021 12:12 PM GMT
एक बार फिर यूपी की नौकरशाही सरकार की कराएगी फजीहत, वैक्सीनेशन में ऐसा भेदभाव क्यों
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नौकरशाही सरकार

संयम श्रीवास्तव। सुष्मिता सिन्हा। यूपी सरकार का एक और फरमान ऐसा आ गया है जो साफ दिखाता है कि राज्य के ब्यूरोक्रेट कोरोना से लड़ाई में उत्तर प्रदेश सरकार की एक बार फिर जगहंसाई कराने वाले हैं. यूपी सरकार का ये फैसला कि स्टेट के लोग ही यूपी में वैक्सीन लगवा सकेंगे कुछ ऐसा ही है जैसे कि कोरोना के खिलाफ अभियान में अब तक जो फैसले लिए गए हैं वो हास्यास्पद रहे. शायद फैसला लेने वाले अधिकारियों को नहीं पता कि कोरोना वैक्सीन सबको लगाएंगे तभी इस बीमारी का समूल नाश कर सकेंगे. पोलियो अभियान में स्वास्थ्य विभाग का यही नारा होता था कि एक भी बच्चा छूटा तो सुरक्षा चक्र टूटा. इतनी सिंपल सी भी बात अगर यूपी सरकार के अफसर नहीं समझते तो पक्का है कि ये बीजेपी सरकार का बंटाधार करने के लिए ही बैठे हैं. एक तो यूपी में पहले से ही वैक्सीनेशन को लेकर देर हुई है. ऊपर से से इस तरह के फैसले सरकार सरकार का छीछालेदर करा रहै हैं.


वहीं पड़ोस में दिल्ली ऐसा राज्य है जिसने पहले ही बोल दिया था कि वैक्सीनेशन में देरी होगी पर वहां शुरू हो गया. दूसरे राज्यों में सभी राज्यों के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है यहां तक की दिल्ली और मुंबई में भी सभी को वैक्सीन लग रही है. सोचिए अगर दिल्ली सरकार या महाराष्ट्र सरकार ऐसा कोई फैसला लेले तो क्या यूपी के लोग वैक्सीन लगवाने महाराष्ट्र और दिल्ली से उत्तर प्रदेश आएंगे. इस महामारी के दौर में राज्य सरकारों को क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर सोचने की जरूरत है.


नोएडा-गाजियाबाद और मेरठ में लाखों की संख्या में बिहार के लोग हैं उनका क्या होगा?
यूपी के इंडस्ट्रियल शहरों में कामगारों की पूरी फौज बिहार-बंगाल और उड़ीसा की है. बिहार के लोग तो नोएडा-गाजियाबाद-मेरठ ही नहीं लखनऊ-कानपुर में लाखों की संख्या में हैं. इस बार चूंकि यूपी में लॉकडाउन टुकड़े-टुकड़े में लगे इसलिए ये लगो घर वापसी भी नहीं कर सके हैं. अगर इन लोगों के लिए एड्रेस प्रूफ अनिवार्य कर दिया जाएगा तो ये लोग कहां जाएंगे. गोरखपुर-वाराणसी जैसे शहर जो बिहार के बॉर्डर पर हैं वहां के लोगों को भी अपने राज्य जाने में बहुत मुश्किल होगी. एक तरफ तो ट्रेनें-बसें रोक दी गईं हैं. दूसरे राज्यों के जिन लोगों ने यूपी में अपना कोई एड्रेस प्रूफ नहीं बनवा सके हैं ऐसे ही लोग हैं जो 2 जून की रोटी का भी जुगाड़ नहीं कर सकते हैं. ऐसे श्रमिक तबके लोगों के लिए सरकार को प्रॉयरिटी के आधार पर पहले मुफ्त वैक्सीनेशन करवाना चाहिए तो उल्टे उनकों मूलअधिकार से ही वंचित करना कहां का इंसाफ है?

क्या सुरक्षा चक्र नहीं टूटेगा
कोई भी वैक्सीनेश तभी सफल होता है जब पूरी आबादी का वैक्सीनेशन किया जा सके. इसे इस तरह समझिए कि जैसे पोलियो ड्रॉप पिलाने वाले नारा लगाते थे एक भी चक्र छूटा तो सुरक्षा चक्र टूटा. क्या आपके शहर के करीब 20 प्रतिशत लोग बिना वैक्सीन के रहेंगे तो उन्हें कोरोना होगा तो उसका संक्रमण कोरोना यह पूछकर नहीं करेगा कि आप यूपी के हैं या दूसरे स्टेटे के हैं. कोरोना वायरस का टीकाकरण भी कुछ नहीं कर पाएगा यदि इस तरह से भेदभाव होगा.

यही दूसरे राज्य फॉलो किए तो यूपी के लोगों का क्या हाल होगा
जो काम यूपी अपने स्टेट पर कर रही है अगर वही काम दूसरे राज्य जैसे दिल्ली-महाराष्ट्र और गुजरात करने लगे तो यूपी वालों के लिए कितनी मुश्किल होगी. इस बात को एक बार अधिकारियों और राज्य सरकार को भी समझ लेनी चाहिए. मुंबई में जहां बाहरियों का मुद्दा अकसर उठता रहता है वहां भी ऐसी नहीं हुआ. महाराष्ट्र सरकार शायद इसीलिए वैक्सीनेशन में सबसे आगे भी है. दिल्ली सरकार भी पिछले दिनों कई इस तरह के फैसले लिए जिसमे दिल्ली वालों के लिए प्रॉयरिटी में सुविधा दी गई पर वहां भी कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए किसी तरह की शर्त नहीं रखी गई है. नोएडा-गाजियाबाद में रहने वाले भी दिल्ली में जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं.

इसके पहले भी कई फैसलों पर हुई है जगहंसाई
कोरोना से लड़ाई लड़ने में यूपी सरकार के अफसरों ने पहले भी अपनी जगहंसाई खूब करवाई है. लखनऊ में मरीज को कोविड अस्पताल में भर्ती के लिए सीएमओ ऑफिस से पहले साइन लेकर आने के फैसले पर यूपी की नौकरशाही को जलालत सहनी पड़ी है. नोएडा में डीएम ने इसी हफ्ते एक फैसला लेकर बोल दिया था कि जो लोग अस्पताल में भर्ती होंगे सिर्फ उन्हीं को ऑक्सीजन सिलिंडर मिलेगा से सरकार की काफी किरकिरी करा दी. बाद में स्थानीय पत्रकारों ने लगातार इस नियम के खिलाफ अभियान चलाया तो स्थानीय बीजेपी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ये नियम वापस लिया जा सका है. इसी तरह वैक्सीनेशन संबंधी यह नियम भी जल्द ही सरकार वापस ले लेगी. क्योंकि जिन नियमों का कोई सिर पैर नहीं होता वो सर्वाइव भी नहीं करते. उम्मीद है प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही ये भेदभावपूर्ण कानून वापस लेकर यूपी में सबके लिए वैक्सीनेश को सुलभ बनाएंगे.
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