सम्पादकीय

विश्व युद्ध की दहलीज पर

Rani Sahu
4 March 2022 7:06 PM GMT
विश्व युद्ध की दहलीज पर
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अमरीका ने यूक्रेन को 200 स्टिंगर मिसाइल और 35 करोड़ डॉलर दिए हैं

अमरीका ने यूक्रेन को 200 स्टिंगर मिसाइल और 35 करोड़ डॉलर दिए हैं। जर्मनी ने भी 500 स्टिंगर मिसाइल मुहैया कराई हैं। अमरीका ने 100 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त आर्थिक मदद की घोषणा भी की है। इनके अलावा कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, ऑस्टे्रलिया, टर्की, फ्रांस, ब्रिटेन आदि देशों ने भी यूक्रेन को या तो हथियार भेज दिए हैं अथवा प्रक्रिया में होंगे। ये देश लड़ाकू विमान, एंटी टैंक हथियार, एंटी विमान मिसाइल, मशीनगन, रॉकेट लॉन्चर, असॉल्ट राइफलें, गोला-बारूद, ऑर्टिलरी, बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट आदि यूक्रेन को देंगे। यूक्रेन रूस और अमरीका सरीखी महाशक्तियों के बीच एक नया 'कुरुक्षेत्र' बन गया है। यूरोप और नाटो देश यूक्रेन की आर्थिक और मानवीय मदद भी कर रहे हैं। दुनिया में दो खेमे खिंच गए हैं। एक तरफ अमरीका, यूरोप, नाटो देश हैं, तो दूसरी ओर रूस के साथ मात्र पांच देश हैं। इन्हीं देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा मंे रूस के पक्ष में मतदान किया था, जबकि 141 देश रूस की युद्ध-नीति के खिलाफ थे। हालांकि चीन और भारत यूएन महासभा और सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर 'तटस्थ' रहे हैं, लेकिन यदि विश्व युद्ध हुआ और युद्ध यूक्रेन के बाहर गया, तो चीन रूस का साथ देगा और दोनों देश मिलकर लड़ेंगे। शांति और समझौते के प्रयास नगण्य हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने गुरुवार को करीब 90 मिनट तक रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की, लेकिन बाद में उन्हें बयान देना पड़ा कि यूक्रेन में तबाही का एक बड़ा दौर आना अभी शेष है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी पुतिन के साथ संवाद किया, लेकिन कूटनीति और बातचीत का रास्ता किसी भी पक्ष को फिलहाल स्वीकार नहीं है। यह दो दौर के रूस-यूक्रेन संवाद से भी स्पष्ट है। पुतिन ने मैक्रों को भी बताया कि रूस युद्ध रोकने को तैयार है, बशर्ते यूक्रेन कुछ बातों पर राजी हो जाए। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बार-बार कह रहे हैं कि वह और उनका देश झुकेंगे नहीं। अब हम बचाव नहीं, हमले की ओर जा रहे हैं। हमारी रणनीति अब आक्रामक होगी। रूस के मिसाइल और हवाई हमले तबाही और विध्वंस के लगातार नए अध्याय लिख रहे हैं। कई हमारतें खंडहर या मलबा कर दी गई हैं। नागरिकों की भी हत्याएं की गई हैं। अस्पताल और स्कूल-कॉलेजों को भी नहीं बख्शा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसे हत्यारे हमलों को 'युद्ध अपराध' करार दिया है। यह मामला भी अंतरराष्ट्रीय अदालत में उठेगा। बहरहाल इन हमलों के बावजूद आठ दिनों के युद्ध में रूस सिर्फ खेरसॉन शहर पर कब्जा कर सका है। हालांकि उसने 1600 से अधिक सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है, लेकिन रूस के खिलाफ आम यूक्रेनी नागरिक के 'गुरिल्ला हमले' अब भी जारी हैं। नतीजतन रूसी सेनाओं को बार-बार पीछे हटना पड़ा है। नागरिक प्रतिरोध के कारण ही राजधानी कीव में घुसना और उसे अपने कब्जे में लेना रूसी सेनाओं के लिए दुष्कर होता रहा है। हालांकि मिसाइल हमले जारी हैं। शुक्रवार को युद्ध का 9वां दिन था। देशों की अलग-अलग लामबंदी के मद्देनजर यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज़ पर खड़ी है? रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जो बयान दिए हैं, कमोबेश उनके मद्देनजर उन्हें 'नौसीखिया' करार नहीं दिया जा सकता। यदि रूस भी विश्व युद्ध की संभावनाएं जता रहा है और परमाणु युद्ध के आसार भी बयां कर रहा है, तो उसका यूं ही खंडन नहीं किया जा सकता। अमरीका ने भी अपनी परमाणु युद्ध संबंधी 'स्टे्रटेजिक कमांड' को अलर्ट पर रख दिया है। लगभग पूरा यूरोप 'सतर्कता' की स्थिति में है। बहरहाल इस परिदृश्य में यह युद्ध कहां तक जाएगा, अभी कहना मुश्किल है।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

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