सम्पादकीय

अनुराग के बहाने

Gulabi
19 Aug 2021 4:05 AM GMT
अनुराग के बहाने
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सियासी खबरों की तफतीश से चर्चाएं अगर नेताओं का व्यक्तित्व निखार दें, तो हर वक्त की तहरीर में भविष्य के संकेत रहते हैं

दिव्याहिमाचल।

सियासी खबरों की तफतीश से चर्चाएं अगर नेताओं का व्यक्तित्व निखार दें, तो हर वक्त की तहरीर में भविष्य के संकेत रहते हैं। यह लोकतांत्रिक महत्त्वाकांक्षा भी हो सकती है कि सियासत के वर्तमान में घराैंदे बनाए जाएं या राजनीति की अतिशियोक्ति में देश के प्रति दायित्व को नजरअंदाज किया जाए। जो भी हो आज से शुरू हो रहा अनुराग ठाकुर का हिमाचल दौरा केवल एक केंद्रीय मंत्री का पदार्पण नहीं, बल्कि राजनीतिक लहरों का ऐसा संवेग भी हो सकता है, जो ऐसी घड़ी की प्रतीक्षा में कहीं अटक गई थीं। बतौर केंद्रीय मंत्री इससे पूर्व वीरभद्र सिंह, जगत प्रकाश नड्डा या शांता कुमार आते रहे हैं, लेकिन इस बार कुछ अंदरूनी बहारें और बहाने भी आ रहे हैं। सियासी बहारों के संगम पर अनुराग ठाकुर का रुतबा किसी सिक्के या सितारे की तरह, अपने सामने चश्मदीद इकट्ठे करता रहा है, तो इस श्रृंखला के विपरीत वजूद टूटते रहे या बन कर सामना कर रहे हैं। हिमाचल में केंद्रीय सत्ता के अलग-अलग पड़ाव दिखाई देते हैं।

यह पहले हुआ और कांग्रेस में भी हुआ। ऐसे में बतौर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का हिमाचल आगमन, कई खबरों के बहाने तराशेगा और गुमसुम तरानों को आक्सीजन देगा। स्वागती तोरणद्वारों से गुजरती भाजपा की टुकडि़यां और उनके सेनापति किस रंग में होते हैं या किस में दिखाई देते हैं, यह राजनीति की नई कार्यशाला तय करेगी। यह इसलिए भी कि सियासत अब एक कुटुम्ब की तरह अपनाने और अपना होने की शर्त है, इसलिए नारों में कुछ बगारें और बेगानों में भी कुछ नारे उछल ही जाएंगे। बहरहाल, बतौर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को अपने होने के मायने सुदृढ़ करने हैं और इसके दो आयाम स्पष्ट हैं। पहले इस दौरे के निहितार्थ में राजनीतिक संभावनाएं और भविष्य की पड़ताल में समीकरणों का उल्लेख होगा यानी कल तक जो युवा अपने पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की छांव में पलता हुआ दिखाई देता था, अब अपनी स्वतंत्र धारा का प्रबल शृंगार कर रहा है। यह यात्रा मुकम्मल होने की खबर है और खबरों के जश्न में सियासत का नया राग भी है। इसलिए अपने यथार्थ में अनुराग को कुछ कहने का अवसर और हिमाचल की उम्मीदों को परवान चढ़ाने के पल बढ़ाने का कारवां भी। हिमाचली जनता नेताओं को अपने सपनों में टटोलती है और उनके प्रदर्शन में प्रदेश की भुजाओं का बल देखती है।

इसलिए अपनी सीढि़यों पर चढ़ते अनुराग भले ही बलशाली दिखाई देते हैं, लेकिन प्रदेश के सामर्थ्य में उनके दायित्व की शक्ति का समर्थन देखा जाएगा। हिमाचल के लिए जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने औद्योगिक पैकेज दिया था, उसके समरूप प्रदेश को केंद्र का आर्थिक व वित्तीय सहयोग चाहिए। विकास में गुणात्मक परिवर्तन के लिए आर्थिक पैकेज की जरूरत है, ताकि पर्वतीय अधोसंरचना में निखार आए। मानसून की पहली बारिश ने जिस तरह विकास के ढांचे की पोल खोली है या कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं की कमियां उजागर हुई हैं, उन्हें देखते हुए केंद्र सरकार का स्पर्श, वास्तव में अनुराग ठाकुर को कद्दावर बनाएगा। वित्त राज्य मंत्री से खेल तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तक ठाकुर की छलांग की असली पैमाइश अब शुरू होगी। यह स्वागत हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद का नहीं, केंद्रीय सरकार में हिमाचल के प्रतिनिधित्व का होगा। राजनीति भले ही उन्हें प्रदेश भर में घुमा देगी, लेकिन प्रदेश के घुमावदार विकास में बतौर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर कैसे आगे बढ़ते हैं, यह देखा जाएगा। केंद्र के पास हिमाचल की कई अर्जियां या हिमाचली अधिकारों के पैबंद पड़े हैं, क्या पुरानी परतों को हटाकर अपने ओहदे में हमीरपुर के सांसद अब पूरे हिमाचल का केंद्रीय मंत्री बनने में भी सक्षम होंगे। स्वागती मुस्कराहटों की सियासी मुद्रा से कहीं आगे का सफर अभी भविष्य की कोख में है, लेकिन अपनी उम्र के हिसाब से बड़े अनुभव की यात्रा में अनुराग अपनी मंजिल जरूर जोड़ रहे हैं।
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