सम्पादकीय

CoWIN सर्टिफिकेट विवाद पर क्या भारत UK को भेड़िए से मेमना बना कर ही मानेगा?

Rani Sahu
3 Oct 2021 8:23 AM GMT
CoWIN सर्टिफिकेट विवाद पर क्या भारत UK को भेड़िए से मेमना बना कर ही मानेगा?
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4 अक्टूबर से भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच युद्ध की विधिवत शुरुआत हो जाएगी

अजय झा 4 अक्टूबर से भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच युद्ध की विधिवत शुरुआत हो जाएगी, जिसकी घोषणा UK ने की थी और इसका खमियाजा भी उसे ही भुगातना पड़ेगा. यह कोई सैन्य युद्ध नहीं है बल्कि कोरोना के ऊपर एक कूटनीतिक युद्ध की शुरुआत है. कुछ दिन पहले UK ने अपने देश में विदेशियों के आगमन के सम्बन्ध में नए हास्यास्पद नियमों का ऐलान किया जिसके तहत कोविशिल्ड टीका के दोनों इंजेक्शन लिए भारतीयों को भी बिना टीका लगवाए लोगों की श्रेणी में रखा जाएगा और उनका 10 दिनों के लिए क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया गया. यह नया नियम 4 अक्टूबर से लागू हो जाएगा.

यह निर्णय अपनेआप में हस्यास्पद था क्योकि कोविशिल्ड वास्तव में UK में बना टीका है जिसकी शोध Oxford-AstraZencaने की थी और भारत के पुणे स्थित सेरम इंस्टिट्यूट में इसे लाइसेंस के आधार पर बनाया जा रहा है. भारत टीका निर्माण के क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक है. जब UK को भारत ने यह बात बताई और समझाया कि कोविशिल्ड भारत से दुनिया के कई देशों में भेजा जा चुका है, UK ने भी इसकी 50 लाख खुराक आयत की है. इस बात पर उनकी बोलती बंद हो गयी. पर अंग्रेज़ जो ठहरे, भारत पर 200 वर्षों तक राज किया था, अपनी गलती कैसे मान लेते
भारत सरकार के CoWIN एप्प की प्रमाणिकता पर शक
नियम में परिवर्तन हुआ, UK की सरकार ने खुलासा किया कि उन्हें कोविशिल्ड से कोई प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि टीकाकरण के बाद भारत सरकार के CoWIN एप्प की प्रमाणिकता पर शक है. यानि कोविशिल्ड अगर किसी और देश के नागरिक ने लगवाया हो तो वह UK में बिना क्वारंटाइन के प्रवेश कर सकता है, पर वही टीका अगर भारत के किसी नागरिक ने लगवाया हो तो उसे 10 दिनों के लिए क्वारंटाइन में गुजारना ही पड़ेगा. यह तो बचपन में सुनी भेड़िए और मेमने की कहानी जैसी हो गयी कि कि अगर तुमने नहीं तो तुम्हारे बाप ने गाली दी होगी और मैं तुमे खाऊंगा ही. उस कहानी का निष्कर्ष यही था कि बुरे या झगड़ालू प्रकार के लोग झगड़े का कोई न कोई कारण खोज ही लेते हैं.
भारत के लाख समझाने के वावजूद भी यह बात अंग्रेजों ने मानने से इनकार कर दिया कि CoWIN एप्प में गलती की सम्भावना नहीं के बराबर है. कहते हैं कि जब घी सीधी ऊंगली से नहीं निकलती तो ऊंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है. भारत ने चेतावनी दी जिसे UK की सरकार ने अनदेखी कर दी. लिहाजा भारत ने भी शुक्रवार को ऐलान कर दिया कि UK के नागरिकों को भी भारत आगमन पर 10 दिनों के क्वारंटाइन से गुजरना पड़ेगा, जिससे UK तिलमिला गया है.
अब उनका एक बयान आया है कि CoWIN एप्प के बारे में वह भारतीय अधिकारियों से बात कर रहे हैं और इसका हल भी जल्दी निकाल लिया जाएगा.
भारत में फिलहाल तीन टीका लग रहा है. कोविशिल्ड के अलावा भारत में ही बना कोवाक्सिन तथा रूस में बना स्पुतनिक वी दो अन्य टीके हैं. पर भारत के अधिकांश लोगों को कोविशिल्ड का ही टीका लगा है. कोवाक्सिन को अभी तक विश्व स्वस्थ संगठन ने मान्यता नहीं दी है और चूंकि यूरोप के नाटो संगठन के देशों को अभी भी रूस से प्रॉब्लम है, लिहाजा वह स्पुतनिक वी को मान्यता देने से इनकार कर रहे हैं.
वह देश ऊंगली उठा रहा है जो दुनिया के सामने मूर्ख बन चुका है
रही गलतियों की बात तो CoWIN एप्प द्वारा जारी सर्टिफिकेट में गलती की बहुत कम सुचना है. और CoWIN सर्टिफिकेट पर वह देश ऊंगली उठा रहा है जो दुनिया के सामने मूर्ख बन चुका है.
पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी का दौर शुरू हुआ तो UK उससे बुरी तरह प्रभावित था. इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी इसके शिकार हुए थे. चीन से जैसे ही कोरोना संक्रमण अन्य देशों में फैलने लगा तो चीन ने इसकी आड़ में पैसे कमाने की सोची. आनन फानन में चीन में निर्मित टेस्टिंग किट का निर्यात शुरू हो गया, जिसमे से एक टेस्टिंग किट का समझौता UK ने चीन की उस कंपनी के साथ किया था जिसका दावा था कि कोई व्यक्ति संक्रमित है या नहीं इसका मिनटों में घर बैठे ही टेस्ट हो जाएगा. UK ने ना उस दावे की जांच की ना ही चीन सरकार से कोई बात की. चीन की उस कंपनी की शर्त थी कि कमसे कम 50 लाख टेस्टिंग किट का आर्डर देना होगा और भुगतान अग्रिम. कंपनी वह किट को पैक करके नजदीकी किसी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर डिलीवर करेगी और आयात करने वाले देश को खुद वहां से किट अपने देश ले जाना होगा.
UK की सरकार ने करोड़ों पौंड का अग्रिम भुगतान कर दिया और आधी खेप विशेष विमान से UK लाया गया. बोरिस जॉनसन ने दावा किया कि अब टेस्ट फटाफट लोग अपने घरों में ही कर पायेंगे, ठीक उसी तरह जैसे घर में ही प्रेगनेंसी टेस्ट की जाती है. टेस्टिंग किट बंटा पर उसका परिणाम असंतोषजनक निकला. एक दी दिन में एक ही व्यति का टेस्ट रिजल्ट कभी पॉजिटिव और कभी नेगेटिव आने लगा. UK ने चीन सरकार से इसकी शिकायत की और चीन की सरकार ने इससे अपना पल्ला झाड़ लिया. यह कहते हुए कि वह टेस्टिग किट सरकार द्वारा प्रमाणित नहीं है. कंपनी ने पैसे वापस देने से इनकार कर दिया और UK ने कभी भी उसकी दूसरी खेप चीन के हवाईअड्डे से नहीं उठाई. जनता का करोड़ों पौंड ऐसे ही बर्बाद हो गया और UK सरकार पूरे विश्व के सामने उल्लू बन गयी.
अब वही UK सरकार अपनी समझदारी का परिचय देते हुए पहले अपने देश में ही विकसित कोविशिल्ड को अमान्य घोषित कर दिया और अब CoWIN सर्टिफिकेट के ऊपर उंगली उठा रही है. इस झगडे़ में UK का नुकसान भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा होगा. भारत से इस साल कम से कम 30 लाख युवक पढाई करने UK जाने वाले हैं. अगर उन्होंने सरकारी दबाव में दाखिला कैंसिल कर दिया तो UK के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाएंगे.
कांग्रेस पार्टी ने राजनीति का रंग नहीं दिया
शुक्र है कि इस मुद्देको कांग्रेस पार्टी ने राजनीति का रंग नहीं दिया और मोदी सरकार की आलोचना नहीं कर रही है, क्योंकि इसका सबसे पहले विरोध कांगेस पार्टी के दो सांसदों ने ही किया था. शशि थरूर ने 10 दिनों तक क्वारंटाइन होने से इनकार करते हुए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपना एक निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिया और अपनी नयी किताब के UK लांच में भी नहीं जाने का फैसला किया.कांग्रेस के दूसरे सांसद जयराम रमेश हैं जिन्होंने इसे नस्लवाद से प्रेरित निमय बता कर UK सरकार की जमकर अलोचना की.
भारत ने शुक्रवार को जैसे को तैसा वाली नीति की घोषणा की जिसके तहत अब UK के नागरिकों को भी भारत आगमन पर 10 दिनों तक अपने खर्चे में क्वारंटाइन में गुजारना पड़ेगा, जिससे अंग्रेजी हुकूमत परेशान हो गयी है. अगर इस विवाद को जल्द ही नहीं सुलझाया गया तो इसका दूरगामी परिणाम दिख सकता है. इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत राष्ट्रमंडल(Commonwealth) देशों के समूह को छोड़ने का भी निर्णय ले ले, जिसके UK सरकार की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में फजीहत हो जाएगी.
UK को भी जल्द ही नए भारत की शक्ति का अहसास हो जाएगा
आज़ादी के बाद भारत ऐसा पहला देश बना था जिसने राष्ट्रमंडल देशों के समूह को इसी शर्त पर जॉइन किया था कि वह इंग्लैंड की महारानी को राष्ट्राध्यक्ष नहीं मानेगा. अभी भी राष्ट्रमंडल के कई देश जैसे कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राष्ट्रपति का पद नहीं है. उन देशों में इंग्लैंड की महारानी के फरमान द्वारा गवर्नर जनरल की नियुक्ति होती है. भारत के इस निर्णय से इंग्लैंड के उन मंसूबों पर पानी फिर गया था कि आज़ादी के बाद भी उसका भारत पर थोड़ा-बहुत कंट्रोल रहेगा.UK की सरकार को शायद यह नहीं पता कि भारत का मूड पिछले सात वर्षों में बदल गया है और चाहे कोई भी देश या कितनी भी महान शक्ति क्यों ना हो, भारत अब झुक कर नहीं बल्कि झुका कर बात करने की नीति के अंतर्गत काम करता है. UK को भी जल्द ही नए भारत की शक्ति का अहसास हो जाएगा.
करोना सर्टिफिकेट के विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी UK सरकार पर है. अगर उसने अपनी नीति में परिवर्तन नहीं किया तो उसे कई मुश्किल और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योकि अब भेड़िये के मेमना बनने की बारी आ गई है.


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