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कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का तेजी से फैलाव वैश्विक चिंता का विषय बनता जा रहा है
कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का तेजी से फैलाव वैश्विक चिंता का विषय बनता जा रहा है। खास तौर पर ब्रिटेन में बिगड़ते हालात पर सबकी नजरें टिकी हैं। वहां पिछले एक सप्ताह में ओमीक्रोन के मामलों में 52 फीसदी की उछाल आई है। रविवार को 24 घंटे में ही कोरोना के 82000 से ज्यादा नए केस सामने आए, जिनमें 12000 से ज्यादा मामले ओमक्रिॉन के पाए गए। इजरायल में कोरोना की पांचवीं लहर की बाकायदा पुष्टि कर दी गई है। इस मुकाबले देखा जाए तो भारत में अभी हालात काफी बेहतर हैं।
सोमवार को केरल में 4 और दिल्ली में 6 मामले सामने आने के बाद देश में ओमीक्रोन के कुल केस 171 हो गए हैं, जो पहली नजर में बहुत ज्यादा नहीं लगते। मगर इसका संक्रमण तेजी से हो रहा है। इसीलिए विशेषज्ञ बार-बार आगाह कर रहे हैं कि इसे हलके में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। इस संदर्भ में पहली जरूरत तो यह है कि टीकाकरण की रफ्तार जितनी हो सके तेज करते हुए पूरी आबादी को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य हासिल किया जाए। यह बात कही जा रही है कि ओमीक्रोन टीकों के कवच को भेदने में सक्षम है। लेकिन एक तो अभी इस बारे में पक्की जानकारी उपलब्ध नहीं है। दूसरे, शुरुआती रिपोर्टें यह भी बताती हैं कि ओमीक्रोन संक्रमण के ज्यादातर मामलों में हलके लक्षण दिख रहे हैं और मौत का अनुपात कम है।
हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि इसके पीछे टीकों की क्या और कितनी भूमिका है। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बूस्टर डोज की जरूरत के मद्देनजर भी टीकों के दोनों डोज का पहला चरण जल्द से जल्द पूरा कर लेना होगा। अब तक देश की 50 फीसदी से कुछ ज्यादा आबादी वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुकी है। 80 फीसदी से थोड़ी ज्यादा आबादी ऐसी है, जिसे एक न एक डोज दिया जा चुका है। मगर विशेषज्ञों के इस अनुमान को ध्यान में रखें कि ओमीक्रोन की लहर अगले साल की शुरुआत में भारत में देखने को मिल सकती है, तो हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।
इस दौरान न केवल वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी बल्कि कोरोना की दवाएं विकसित करने के प्रयासों पर भी जोर देना होगा। अस्पतालों में बेड का इंतजाम करना ही काफी नहीं है। दूसरी लहर के अनुभव को देखते हुए ऑक्सिजन आदि तमाम वस्तुओं के पर्याप्त उत्पादन की व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही सप्लाई लाइन को भी दुरुस्त रखने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण मोर्चा फिर भी आम लोगों का ही बनता है। यह बात सबके समझने की है कि उनके स्तर पर थोड़ी सी अतिरिक्त सावधानी संकट से निपटना काफी आसान बना सकती है।
नवभारत टाइम्स
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