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सरकार और लोगों को रहना होगा सचेत
कोरोना वायरस के बदले हुए रूप ओमिक्रोन का खतरा किस तरह बढ़ता चला जा रहा है, इसका प्रमाण है प्रधानमंत्री की ओर से की गई समीक्षा बैठक। ऐसी कोई बैठक इसलिए आवश्यक थी, क्योंकि देखते ही देखते ओमिक्रोन के संक्रमण से ग्रस्त मरीजों की संख्या ढाई सौ पार कर गई है। ओमिक्रोन का संक्रमण 16 राज्यों तक पहुंच गया है। यह वायरस जिस तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है, उसे देखते हुए इसकी आशंका बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में इसके मरीजों की संख्या और बढ़ेगी। कुछ यूरोपीय देशों में ओमिक्रोन के संक्रमण की गति को देखते हुए भारत को कहीं अधिक सावधान रहना होगा। हालांकि जिस दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन पनपा, वहां इसके मरीजों की संख्या कम हो रही है, लेकिन अभी यह मानकर नहीं चला जा सकता कि जैसा यूरोपीय देशों में हो रहा है, वैसा भारत में नहीं होगा।
केंद्र और राज्य सरकारों को नए सिरे से सावधानी बरतने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। यह सही है कि ओमिक्रोन को लेकर भी सतर्कता बरती जा रही है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि इसके संक्रमण के खतरे को देखते हुए कुछ राज्यों ने क्रिसमस और नए साल के मौके पर होने वालों आयोजनों पर रोक लगाने के कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। यदि ऐसे कदम उठाने का सिलसिला कायम रहा तो आगे चल कर ऐसे फैसले भी लेने पड़ सकते हैं, जो आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों पर विपरीत असर डालें। ऐसे फैसलों की नौबत न आने पाए, इसके लिए सरकारों को भी सचेत रहना होगा और आम लोगों को भी।
यह ठीक है कि करीब साठ प्रतिशत बालिगों ने टीके की दोनों खुराक ले ली हैं, लेकिन जिन्होंने अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं ली, उनका टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है। इसी के साथ इसका आकलन करने की भी आवश्यकता है कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन से बचाव में मदद करेंगे या नहीं? इस बारे में भी फैसला करने का समय आ गया है कि बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं? भारत में बूस्टर डोज के इस्तेमाल की आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है, क्योंकि जिन लोगों ने इस वर्ष के प्रारंभ में ही टीके की दोनों खुराक ले ली थीं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने का अंदेशा है। इस अंदेशे को दूर करने के साथ ही ओमिक्रोन पर प्रभावी टीके के निर्माण का काम तेज किया जाना चाहिए। इसके अलावा बच्चों के टीकाकरण के लंबित सवाल का भी जवाब खोजा जाना चाहिए।
दैनिक जागरण
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