सम्पादकीय

ओमीक्रोन ने बढ़ा चिंताएं

Gulabi
6 Dec 2021 4:45 AM GMT
ओमीक्रोन ने बढ़ा चिंताएं
x
ओमीक्रोन ने बढ़ा चिंताएं
दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये वैरिएंट री-इन्फेक्ट कर रहा है। मतलब, जिन लोगों के शरीर में पहले संक्रमण या टीका लेने की वजह से एंटीबॉडीज बन चुके हैं, उन्हें भी यह संक्रमित कर रहा है। अगर इस बात की पुष्टि हो जाती है, तो उसका अर्थ होगा कि अभी तक प्रगति बेअसर हो जाएगी।
कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वैरिएंट के बारे में ये खबर राहत देने वाली रही कि शुरुआती संकेतों के मुताबिक इससे संक्रमित व्यक्ति में अधिक गंभीर लक्षण नहीं उभरते हैँ। इस बात पर भी बार-बार जोर दिया जा रहा है कि लगभग 40 देशों में इससे संक्रमित मरीजों की पहचान होने के बावजूद अभी तक इससे किसी मौत की खबर नहीं है। अगर इन संकेतों की आगे चल कर पुष्टि होती है, तो बेशक वह बड़ी राहत की बात होगी। लेकिन इस वैरिएंट के बारे में मिल रहे दूसरे संकेत चिंता बढ़ाने वाले हैं। मसलन, दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये वैरिएंट री-इन्फेक्ट कर रहा है। मतलब, जिन लोगों के शरीर में पहले संक्रमण या टीका लेने की वजह से एंटीबॉडीज बन चुके हैं, उन्हें भी यह संक्रमित कर रहा है। अगर इस बात की पुष्टि हो जाती है, तो उसका अर्थ होगा कि अभी तक कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई में दुनिया में जो प्रगति हुई है, वह बेअसर हो जाएगी। यानी घूम-फिर कर दुनिया वहीं पहुंच जाएगी, जहां वैक्सीन का निर्माण होने के पहले थी।
फिर यह खबर भी चिंताजनक है कि ये वैरिएंट बड़े पैमाने बच्चों को संक्रमित कर रहा है। भारत के लिए यह खबर सतर्क करने वाली है कि ओमीक्रॉन ने एशिया में पांव जमाने शुरू कर दिए हैं। बीते एक हफ्ते में जापान, मलेशिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के अलावा भारत में भी इसके संक्रमण के मामले पाए गए। दक्षिण अफ्रीका के ज्यादा जोखिम वाले देशों से आने वाले यात्रियों का प्रवेश बंद कर देने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया में भी नए वैरिएंट का सामुदायिक प्रसार पाया गया है। अमेरिका के भी कम से कम पांच राज्यों में मामले सामने आ चुके हैं। एशिया-प्रशांत के देशों में टीकाकरण की दर में काफी अंतर है और कई जगह स्थिति चिंताजनक है। भारत में पूर्ण टीकाकरण सिर्फ लगभग 38 प्रतिशत लोगों का हुआ है। इंडोनेशिया में यह आंकड़ा 35 प्रतिशत है। अमेरिका तक में भी पूरी तरह से टीके की खुराकें ले चुके लोगों की संख्या 60 प्रतिशत से कम ही है। उससे भी अधिक जोखिम की बात यह है कि भारत में लोगों ने एहतियात लगभग छोड़ रखा है। सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क पहनना जैसे उपायों के पालन में बेहद ढिलाई हो चुकी है। इसलिए अब यह आवश्यक है कि एहतियात बरतने में एक बार फिर उस दौर में लौटा जाए, जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी।
नया इण्डिया
Next Story