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- ओमिक्रॉन और सेवाओं का...
कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट के उत्पन्न होने से एक बार पुनः विश्व अर्थव्यवस्था पर संकट आ पड़ा है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर लॉकडाउन की स्थिति बन रही है। ऐसी स्थिति में जो देश दूसरे देशों से कच्चे माल के आयात अथवा उत्पादित माल के निर्यात पर निर्भर रहते हैं, उनका संकट बढ़ जाता है। हाल में एक कार निर्माता के एजेंट ने बताया कि अपने देश में गाडि़यों की खरीद की इस समय लगभग 6 से 8 महीने की वेटिंग लिस्ट हो गई है। कारण यह है कि कार के उत्पादन में लगने वाला एक छोटा सा 'सेमी कंडक्टर', जिसका मूल्य मात्र 2000 रुपए है, वह भारत में नहीं बन रहा है और उसका आयात भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि निर्यात करने वाले देशों में कोविड का संकट आ पड़ा है। इससे दिखाई पड़ता है कि कोविड के कारण उत्पादित माल का विश्व व्यापार संकट में है। यदि एक भी कच्चा माल उपलब्ध नहीं हुआ तो पूरा उत्पादन ठप्प हो जाता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की पत्रिका 'फाइनांस एंड डेवलोपमेंट' में एक लेख में कहा गया है कि कोविड संकट के कारण तमाम देश उत्पादित माल वैश्वीकरण से पीछे हटेंगे। इसी क्रम में अपने देश में दवाओं के उद्योग पर भी वर्तमान में संकट है क्योंकि चीन से आयातित होने वाले कुछ कच्चे माल उपलब्ध नहीं हैं। दूसरी तरफ हमारे निर्यात भी संकट में हैं क्योंकि इंग्लैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में कोविड के कारण लॉकडाउन की स्थिति बन रही है और उनके द्वारा हमारा माल खरीदा नहीं जा रहा है।