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![कारगर साबित होते पुराने सबक: महामारी की दूसरी लहर भले ही भयावह हो, लेकिन आर्थिक मोर्च पर कम खतरनाक कारगर साबित होते पुराने सबक: महामारी की दूसरी लहर भले ही भयावह हो, लेकिन आर्थिक मोर्च पर कम खतरनाक](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/04/19/1023249-k.webp)
धर्मकीर्ति जोशी: पिछले कुछ अरसे के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने सामान्य होकर गति पकड़ना शुरू ही किया था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ धमकी। यह लहर पहले दौर से कहीं ज्यादा कहर बरपा रही है। वैसे तो देश में कोरोना के 80 प्रतिशत नए मामले 10 राज्यों में सिमटे हुए हैं, लेकिन यह संक्रमण दूसरे प्रदेशों में भी तेजी से फैलता जा रहा है। सर्वाधिक प्रभावित राज्यों का स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा इससे पड़ते दबाव के आगे चरमराता दिख रहा है। कोविड-19 का नाम आते ही अचरज, अनिश्चितता, जोखिम और आर्थिक परिदृश्य में अप्रत्याशित एवं औचक परिवर्तन जैसे भाव भी घर कर जाते हैं। इसे लेकर पिछले साल भी यही हाल था, परंतु एक परिवर्तन अवश्य आया है। वह यह कि इस बार ये पहलू उतने अनिश्चित एवं तीव्रगामी नहीं हैं। इसका कारण यही है कि कोरोना को लेकर चिंता कमोबेश पिछले साल अप्रैल जितनी ही है, लेकिन कई संदर्भों में स्थितियां बदली हुई हैं। गत वर्ष यह हमारे लिए एकाएक आई आपदा और अबूझ पहेली जैसा था, जबकि इस साल न केवल इस जानलेवा वायरस को लेकर समझ बढ़ी है, बल्कि हमारे पास वैक्सीन जैसा हथियार भी उपलब्ध हो गया है।