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- मरहम का वक्त
ऑक्सीजन का अभाव न केवल दुखद, बल्कि पूरे देश के लिए एक अवसर भी है। यह सबक है कि हम अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को इस तरह दुरुस्त करने में लग जाएं कि फिर कभी ऐसी महामारी आए भी, तो हमें परेशान न करे। अकेले दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अगर 24 घंटे में 25 मरीजों की मौत हुई है, तो देश के दूसरे अस्पतालों में क्या हो रहा होगा, इसका अंदाजा हम सहज ही लगा सकते हैं। यदि बहुत बीमार मरीजों की मौत हुई है, तो भी यह हमारे लिए बड़े दुख की बात है, लेकिन अगर ये मौतें ऑक्सीजन से जुड़ी किसी कमी के कारण हुई हैं, तो हमारी व्यवस्था के लिए शर्मनाक है। निजी अस्पतालों को सुविधाओं और संसाधनों के लिए जाना जाता है, ऐसे ही अस्पतालों में गंगाराम अस्पताल भी शामिल है। ऐसे अस्पतालों से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे सार्वजनिक अस्पतालों के सामने एक आदर्श पेश करेंगे। सार्वजनिक अस्पतालों पर जो दबाव बना हुआ है, वह कोई नया नहीं है, लेकिन जब निजी अस्पताल भी हांफने लगे हैं, तब यह पूरे देश के लिए चिंता की बात है। विगत दशकों में जिस तरह से निजी अस्पतालों को फलने-फूलने दिया गया है और जिस तरह से निजी अस्पतालों का आकार-प्रकार व संख्या बढ़ी है, उसी हिसाब से उनसे उम्मीदें भी हैं।