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सोर्स- अमृत विचार
भारत में दूरसंचार उद्योग एक बड़ा उद्योग है। देश की कुल टेलीडेंसिटी 85.11 प्रतिशत है। साथ ही देश 2025 तक लगभग एक बिलियन उपकरणों के साथ विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बनने की राह पर है और वर्ष 2025 तक 920 मिलियन मोबाइल ग्राहक होने की उम्मीद है जिसमें 88 मिलियन 5जी कनेक्शन शामिल होंगे।
हाल ही में दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट आधारित ओवर-द-टॉप दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिए भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022 जारी किया। ओटीटी सेवाओं का नियमन 2015 में पहली बार विचार आने के बाद से एक बहस का विषय रहा है। सितंबर 2020 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा था कि ओटीटी सेवाओं को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन इससे इन ऐप्स को रेगुलेट करने की इच्छा कम नहीं हुई। संचार मंत्रालय ने कानूनी प्रारूप विकसित करने के लिए जन परामर्श प्रक्रिया शुरू कर दी है।
देश में दूरसंचार क्षेत्र को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे-पर्याप्त विस्तार-क्षेत्र बनाए रखना और नई तकनीक को तेज़ी से अपनाना। दूरसंचार विधेयक के मसौदे में इन चुनौतियों की ओर ध्यान दिया गया है ताकि ग्राहकों को बेहतर एवं सुविधा संपन्न सेवा के साथ नई सुविधाओं और तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम बनाया जा सके। मसौदा विधेयक ने कई कारणों से हलचल मचा दी है।
इसका तात्कालिक कारण व्हाट्सएप, टेलीग्राम और गूगल डुओ जैसी शीर्ष संचार सेवाओं को विनियमन के दायरे में लाने का प्रयास है। ट्राई को ओटीटी विनियमन के गुणों की जांच के लिए एक और परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के लिए पिछले माह कहा गया था।
मसौदा विधेयक तीन अलग-अलग अधिनियमों को समेकित करता है जो वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं। मसौदा विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक सरकार छूट देने का फैसला नहीं करती तब तक ओटीटी सेवाएं लाइसेंस के अधीन होंगी।
दूरसंचार विभाग ने सेवा प्रदाताओं को नए लाइसेंस जारी करने पर ट्राई की कुछ महत्वपूर्ण शक्तियों और जिम्मेदारियों को कम करने का भी प्रस्ताव दिया है। ट्राई अब सेवा प्रदाताओं के लिए नियम और लाइसेंस शर्तों से संबंधित सिफारिशें प्रस्तुत नहीं कर पाएगा या लाइसेंस शर्तों का पालन करने में विफलता के लिए लाइसेंस रद करने का सुझाव नहीं दे पाएगा। ट्राई की भूमिका कम होने का मतलब है कि सरकार नियामक की सिफारिशों पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं होगी।
Rani Sahu
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