सम्पादकीय

सातवीं बार शपथ

Gulabi
17 Nov 2020 7:47 AM GMT
सातवीं बार शपथ
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बिहार में शांतिपूर्ण ढंग से नई सरकार का गठन ऐतिहासिक और स्वागतयोग्य है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में शांतिपूर्ण ढंग से नई सरकार का गठन ऐतिहासिक और स्वागतयोग्य है। बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 में जीत के बाद नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। जब राज्यपाल फागू चौहान उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिला रहे थे, तब सारे देश की निगाह बिहार पर थी। पिछले कार्यकालों की तुलना में उनका यह नया कार्यकाल बहुत निर्णायक होने वाला है। इस बार कहीं ज्यादा आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं के साथ लोग उनकी ओर निहार रहे हैं। सबको साथ लेकर चलने के अलावा खास तौर पर भाजपा के साथ बेहतर तालमेल बनाकर चलना उनके लिए इस बार ज्यादा जरूरी है। कहा जा रहा है कि प्रति साढ़े तीन विधायक पर एक मंत्री बनाने का फॉर्मूला बना है, तो जाहिर है, सरकार में भाजपा के चेहरे इस बार ज्यादा होंगे। भाजपा के इन सभी चेहरों को भी यह ध्यान रखना होगा कि एनडीए की सरकार बनने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका सबसे ज्यादा है। अत: सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह होनी चाहिए कि केंद्र सरकार की तमाम जनोपयोगी योजनाओं को सोलह आना लागू किया जाए। केंद्र द्वारा आवंटित धन का अधिकतम सदुपयोग हो। जद-यू को भी छोटी-छोटी नाराजगी के इजहार से बचकर चलते हुए खुद को फिर खड़ा करना है। बेहतर काम से अपने विरोधियों को जवाब देना है। शराबबंदी जैसी महत्वाकांक्षी नीति के बारे में ठोस फैसले और निगरानी की जरूरत है। शराबबंदी दिखावा नहीं होनी चाहिए और उसकी बिक्री के आपराधिक तंत्र को जल्द से जल्द उखाड़ फेंकना चाहिए।

एक बड़ी चुनौती रोजगार की है। लोगों और युवाओं को पिछली सरकारों की तुलना में इस सरकार से ज्यादा उम्मीदें हैं। जहां भाजपा को 19 लाख रोजगार का अपना चुनावी वायदा नहीं भूलना चाहिए, वहीं नीतीश कुमार बिहार सरकार के खाली पदों पर भर्ती कर दें, तो भी राज्य का कल्याण हो जाएगा। डॉक्टर, पुलिस, नर्सिंग स्टाफ, सरकारी कर्मचारी इत्यादि का अनुपात राज्य में चिंताजनक है। रोजगार देने की दिशा में लोगों को विश्वास में लेकर चलने में ही सरकार की भलाई है। बिहार एक जागरूक प्रदेश है और वहां सरकार जितनी पारदर्शिता के साथ काम करेगी, उतना अच्छा होगा। सरकार में बैठे लोगों को ध्यान रखना होगा कि यह कोई आखिरी चुनाव नहीं है और कांटे की टक्कर में सत्ता हासिल हुई है। राजद और कांग्रेस जैसी जो पार्टियां पराजित हुई हैं, वे आक्रामक मुद्रा में हैं और इन पार्टियों ने संकेत दे दिया है कि सरकार को आने वाले दिनों में कदम-कदम पर विरोध का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, लोग विपक्षी पार्टियों से भी यह उम्मीद करेंगे कि वे बिहार को आगे ले जाने में सरकार का साथ दें। ताकतवर विपक्ष देकर राज्य के लोगों ने जो संदेश दिया है, उसे राज्य के दोनों पक्षों को समझना चाहिए। बहुत कुछ सरकार पर निर्भर करेगा कि वह सकारात्मक दिशा में आगे बढ़े, ताकि उसे कम से कम विरोध का सामना करना पड़े।

यह नीतीश कुमार का सौभाग्य है कि मुख्यमंत्री के रूप में उन पर बिहार के लोगों और सहयोगी दलों ने सबसे ज्यादा भरोसा किया है। इतना मौका लोग शायद ही किसी नेता को देते हैं। केवल बिहार ही नहीं, बल्कि देश की उम्मीदों पर खरा उतरना व अपनी छवि को और विराटता देने का यह स्वर्णिम मौका हाथ से नहीं जाना चाहिए।

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