सम्पादकीय

रूस यूक्रेन युद्ध से एटमी खतरा, परमाणु संयंत्र हमले की जद से बाहर रहें

Subhi
5 March 2022 3:35 AM GMT
रूस यूक्रेन युद्ध से एटमी खतरा, परमाणु संयंत्र हमले की जद से बाहर रहें
x
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) के नौवें दिन शुक्रवार को तड़के आई जोपोरिजझिया परमाणु संयंत्र पर हमले की खबर ने पूरी दुनिया में बेचैनी फैला दी।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) के नौवें दिन शुक्रवार को तड़के आई जोपोरिजझिया परमाणु संयंत्र पर हमले की खबर ने पूरी दुनिया में बेचैनी फैला दी। यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है। हमले की वजह से वहां एक इमारत में आग लग गई थी। यूक्रेन के ही चेर्नोबिल में 1986 में हुई परमाणु संयंत्र दुर्घटना को दुनिया आज तक नहीं भूल पाई है। कहा गया कि अगर जोपोरिजझिया परमाणु संयंत्र में विस्फोट होता है तो वह चेर्नोबिल हादसे से दस गुना ज्यादा विनाशकारी साबित हो सकता है।

गनीमत रही कि आग जिस बिल्डिंग में लगी थी, उसमें ट्रेनिंग दी जाती थी। कोई संवेदनशील मशीनरी वहां नहीं थी। उस आग पर भी समय रहते काबू पा लिया गया। इसके बाद आश्वस्त किया गया कि न्यूक्लियर प्लांट अब पूरी तरह सुरक्षित है। आईएईए (इंटरनैशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) ने भी स्थानीय अधिकारियों से बातचीत के बाद बताया कि संयंत्र के आसपास रेडिएशन लेवल में कोई बढ़ोतरी नहीं पाई गई है। इस बात से थोड़ी राहत की सांस जरूर ली जा सकती है, लेकिन याद रखना होगा कि वहां हालात जस के तस हैं। यूक्रेन में चार न्यूक्लियर पावर प्लांट हैं।

रूसी फौजें हमले जारी रखे हुए हैं और इस पूरे घटनाक्रम का उनके रुख पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। समझना होगा कि जोपोरिजझिया में जिस तरह की स्थिति बनी, वह दो देशों के बीच युद्ध भर का मामला नहीं रह गया था। न्यूक्लियर पावर प्लांट पर खतरे का मतलब था पूरे यूरोप पर खतरा। किसी देश के सामने युद्ध में उतरने की चाहे जितनी भी जायज (या नाजायज) वजह हो, उसे यह इजाजत नहीं दी जा सकती कि इसमें वह उन तमाम देशों की आबादी को भी दांव पर लगा दे, जो उस युद्ध में शामिल नहीं हैं। चीन समेत दुनिया के तमाम देशों ने ठीक ही इस स्थिति पर चिंता जताई है।

ब्रिटेन ने इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की अपील की है। बैठक जरूर हो, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कि उस बैठक से इसका कोई हल निकले। अब तक की तमाम बैठकें इस मामले में बेअसर कही जा सकती हैं कि इनसे जमीनी स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ सका है। रूस और यूक्रेन के बीच भी दो दौर की बातचीत तो हो ही चुकी है, तीसरे दौर की बातचीत भी होने वाली है, लेकिन अब तक न तो युद्धविराम की कोई सूरत बनती दिख रही है और न ही नागरिकों के लिए सेफ पैसेज देने जैसे मसलों पर कोई ठोस प्रगति हो सकी है।

नवभारत टाइम्स

Next Story