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15 अगस्त को 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जिन आर्थिक उपलब्धियों और देश के लिए जिन नए लक्ष्यों पर फोकस किया है, वे सभी देश ही दुनियाभर में रेखांकित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। इस समय यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आगामी 5 वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। देश में पिछले पांच वर्षों में 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से मुक्ति मिली है। देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है और कई देशों को खाद्यान्न का निर्यात भी कर रहा है। भारत के वैश्विक व्यापार में वृद्धि हो रही है। डिजिटलीकरण के लिए भारत का नाम दुनिया में रेखांकित हो रहा है। साथ ही भारत 2047 में विकसित देश बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। यकीनन देश की अर्थव्यवस्था छलांगे लगाकर आगे बढ़ रही है। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तब देश का आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक स्थिति में था। अंग्रेजों द्वारा किए गए आर्थिक शोषण से देश बुरी तरह से आर्थिक रूप से ध्वस्त हो गया था। जहां 76 वर्ष पहले आजादी के समय दुनिया में भारत को सांप-सपेरों के देश की पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना जाता था, वहीं आजादी के बाद 76 वर्षों में भारत ने आर्थिक क्षेत्र के विभिन्न मोर्चों पर कदम-कदम आगे बढक़र विकास के इतिहास रच दिए हैं। आज दुनिया के विकसित और विकासशील देशों का कोई भी समूह हो, चाहे वह समूह जी-7 हो, जी-20 हो या अन्य कोई भी हो, उन सभी वैश्विक संगठनों का मंच भारत के बिना अधूरा माना जाता है।
साथ ही स्थिति यह भी है कि आजादी के समय जिस भारत की अर्थव्यवस्था दयनीय स्थिति में थी, वहीं भारत इस समय दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकुट पहनकर अब 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। नि:संदेह देश में गरीबों की संख्या में भारी कमी आई है। जब देश आजाद हुआ था उस समय देश की करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या बेहद गरीबी में जी रही थी। गौरतलब है कि नीति आयोग के द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बहुआयामी गरीब लोगों की हिस्सेदारी वर्ष 2015-16 के 24.85 फीसदी से घटकर वर्ष 2019-21 में 14.96 फीसदी हो गई है। उल्लेखनीय है कि यूएनडीपी की रिपोर्ट 2023 में कहा गया कि भारत में पिछले 15 वर्षों में गरीबी में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। भारत में 2005-2006 से 2019-2021 के दौरान कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। 2005-2006 में जहां गरीबों की आबादी 55.1 प्रतिशत थी वह 2019-2021 में घटकर 16.4 प्रतिशत हो गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2005-2006 में भारत में लगभग 64.5 करोड़ लोग गरीबी की सूची में शामिल थे, यह संख्या 2015-2016 में घटकर लगभग 37 करोड़ और 2019-2021 में कम होकर 23 करोड़ हो गई। ज्ञातव्य है कि आजादी के समय खाद्यान्न की कमी का सामना करने वाला भारत अब खाद्यान्न में न केवल आत्मनिर्भर भारत बन गया है, वरन् कई देशों को खाद्यान्न निर्यात भी कर रहा है। देश में वर्ष 1950-51 में जो कृषि उत्पादन 5.08 करोड़ टन था, वह कृषि उत्पादन वर्ष 2022-23 में करीब 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। एक ऐसे समय में जब दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न की कमी बनी हुई है, तब भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा रहा है। भारत दुनिया के 10 सबसे बड़े कृषि निर्यातक देशों में अपना स्थान बनाकर चमकते हुए दिखाई दे रहा है। जहां वर्ष 1947 में भारत के आम आदमी तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली से रियायती मूल्यों पर खाद्यान्न की आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं थी, वहीं कोरोनाकाल में 80 करोड़ लोगों को डिजिटल राशन प्रणाली से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत खाद्यान्न निशुल्क दिया गया। साथ ही एक जनवरी 2023 से 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को हर महीने खाद्यान्न निशुल्क प्रदान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत वैश्विक व्यापार में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 1950-51 में भारत ने 1.27 अरब डॉलर का आयात और 1.26 अरब डॉलर का निर्यात किया था। 1990-91 में आर्थिक सुधारों के बाद विदेश व्यापार तेजी से बढ़ा। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का विदेश व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 1.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर रहा है। गौरतलब है कि भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में 447 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो एक साल पहले 442 अरब डॉलर था। आजादी के समय 1947 में भारत में जो डिजिटलीकरण नगण्य था, आज भारत दुनिया में सबसे अधिक डिजिटलीकरण वाले देश के रूप में दिखाई दे रहा है तथा डिजिटलीकरण के कारण सरकार की योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंच रहा है। जिस तरह आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में मदद की है, डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और भारत में अमेरिका, यूके और जर्मनी जैसे बड़े देशों को पीछे कर दिया है, ये सब सेवाएं भारत में डिजिटल गवर्नेंस के एक नए युग की प्रतीक हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि वर्ष 1947 में भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दयनीय हालत में था। छोटी-छोटी जरूरत की चीजें भी देश में नहीं बनती थी। वर्ष 2023 में देश के जीडीपी में करीब 17 फीसदी योगदान देने वाला मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर करीब 2.73 करोड़ से अधिक श्रमबल के साथ अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता है और तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है।
भारत का फार्मा उद्योग उत्पादित मात्रा के आधार पर दुनिया में तीसरे क्रम पर है। साथ ही भारत दुनिया में सबसे अधिक मांग वाला तीसरा बड़ा विनिर्माण गंतव्य है। इलेक्ट्रानिक्स और रक्षा क्षेत्र में लगातार आयात पर निर्भर रहने वाला भारत अब बड़े पैमाने पर इनका निर्यात करने लगा है। देश में ऑटोमोबाइल, फार्मा, केमिकल, फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग के विभिन्न सेक्टरों में एफडीआई का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। आजादी से अब तक के 76 वर्षों में भारत में एक के बाद एक, लगातार आर्थिक सुधार लागू किए गए हैं। वर्ष 2014 से वर्ष 2023 तक 1500 से अधिक अप्रचलित और अनुपयोगी कानूनों को हटाया गया है। कारोबार सुधार के कई रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए गए हैं। ऐसे में हम उम्मीद करें कि 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का जो सपना संजोया है, उसके लिए अब वर्ष 2047 तक 7 से 7.5 फीसदी विकास दर के साथ देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती हुई दिखाई देगी। ऐसे में हम उम्मीद करें कि तेजी से आर्थिक डगर पर आगे बढ़ता हुआ सामथ्र्यवान भारत 15 अगस्त 2047 को दुनिया के विकसित देश के रूप में चमकते हुए दिखाई दे सकेगा।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
By: divyahimachal
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