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मैं अपने पूरे होशो हवास में यह घोषणा करता हूं कि मैं अबके अपने कहे पर माफी नहीं मांगूंगा
मैं अपने पूरे होशो हवास में यह घोषणा करता हूं कि मैं अबके अपने कहे पर माफी नहीं मांगूंगा। मैंने जो कह दिया सो, कह दिया। बार बार सॉरी करते करते अब मैं बहुत थक गया हूं। सडक़ से लेकर संसद तक सब मेरी इस बात को गौर से सुन लें कि अबके मैं माफी नहीं मांग रहा। मेरे कहने का मतलब जो हो सो हो। जिसे जिस तरह मेरे कहे का अर्थ लेना हो, लेता रहे। जाकी रही भावना जैसी, मेरे कहे की सूरत तिन पाई तैसी। माफी की ऐसी की तैसी। मैं अपनी नजरों में अपनी जगह बिल्कुल सही हूँ! अबके माफी नहीं मांगना मेरी प्रेस्टिज का सवाल है। दोस्तो! मुझे आज ही पता चला कि मेरी भी कोई प्रेस्टिज है। मेरा भी कोई रुतबा है। कल तक मुझे अपनी प्रेस्टिज का कतई अहसास न था।
इसलिए मैंने अब जो कह दिया है, सो कह दिया है। मैं न चाहकर भी अब अपने कहे पर अटल हूं। हे मेरे हिमायतियो! आप अबके भी मुझ पर माफी मांगने के लिए मुझ पर बेकार का प्रेशर न डालें प्लीज! कल को कहीं ऐसा न हो कि मुझ पर आपके द्वारा माफी मांगने के लिए प्रेशर डालने के बाद भी जो मैं माफी न मांग पाया और आपका पता होते हुए भी शर्मिंदा होना पड़ा, तो मुझे तो बुरा लगेगा ही, पर आपको भी बुरा लग सकता है। भाई साहब! ये तो कोई बात नहीं होती कि जितनी बार भी माफी मांगू केवल मैं ही मांगू? होंगे बड़े वे अपने घर में, मेरे लिए तो वे मुझसे भी छोटे हैं। जब वे ही माफी नहीं मांगते तो मैं भी क्यों माफी मांगू? सो अबके मेरे और कुछ मांगने पर प्रश्न उठे या न, पर मेरे द्वारा अबके माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। अब चाहे धरती फट जाए या आसमान धंस जाए। पर मैं माफी नहीं मांगूंगा, तो हरगिज नहीं मांगूंगा! वैसे जरा मुझसे माफी मंगवाने वालों जरा बताना तो सही कि आपके बार बार कहने के बाद भी मेरे द्वारा माफी मांगने से आज तक हो भी क्या लिया? मैं जहां था उससे नीचे ही गया न! मैं अबके किसी भी हाल में माफी मांग कर कतई भी छोटा नहीं होना चाहता। माफी मांग कर जब मैं बड़ा भी न हो पाया तो अब माफी मांग कर छोटा भी क्यों बनूं? इससे तो बेहतर यही रहेगा कि मैं जहां हूं, कम से कम वहां तो हूं।
कम से कम मेरी आत्मा तो मुझे नहीं कचोटेगी कि अबकी बार तुझे एक बार फिर माफी मांगनी पड़ी। मित्रो! मुझे तो बड़ा बनना है, बहुत बड़ा। इतना बड़ा कि जहां मुझे खुद भी अहसास न हो पाए कि मैं कितना बड़ा हूं। जहां गलत होने करने के बाद भी माफी न मांगी जाए। बस, मंद मंद मुस्कुराया भर जाए। बड़े लोग माफी नहीं मांगते। वे माफ करते हैं। इसलिए बड़े होने के लिए अबके मैं भी माफी नहीं मांगूंगा। आप चाहे मेरे मुंह में माफीनामे वाले शब्द कूट कूट कर क्यों न भर दीजिएगा। मुंह भर जाने के बाद मैं सब कुछ उगलूंगा, पर माफी जैसे ऐसे शब्द सपने में भी नहीं उगलूंगा, जिनसे माफी मांगने जैसी बदबू आती हो। हे मेरे देशवासियो! ये जो तुम मुझसे माफी मांगने की बात करते फिर रहे हो तो एक बात तो बताना प्लीज! तुमने मेरी बात कितनी बार मानी? मर गया आपको कहता कहता कि बस, एक बार मुझे वोट देकर कामयाब बना दीजिए। उसके बाद कभी तुमसे सपने में भी वोट नहीं मांगूंगा। पर क्या मेरे लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी तुमने मुझे वोट दिया? तो अब कहो, अब तुम किस मुंह मुझे माफी मांगने को कह रहे हो? हे मुझसे माफी मंगवाने को मेरे आगे नाक रगडऩे वालो! मुझसे और जो चाहे मंगवा लो, मैं सहर्ष मांग लूंगा। पर माफी कतई नहीं मांगूंगा। ये मेरी प्रेस्टिज की नाक का सवाल है।
अशोक गौतम
By: divyahimachal

Rani Sahu
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