सम्पादकीय

अब मीट यू नेक्स्ट सितंबर मैम

Gulabi
15 Sep 2021 4:07 AM GMT
अब मीट यू नेक्स्ट सितंबर मैम
x
मुझे ये तो पता था कि आज शाम को ही या कल हर हाल में हिंदी मम्मा का पखवाड़े भर बिछा बोरिया बिस्तर उठने वाला है

मुझे ये तो पता था कि आज शाम को ही या कल हर हाल में हिंदी मम्मा का पखवाड़े भर बिछा बोरिया बिस्तर उठने वाला है। पखवाड़ा भर अपने साथ रखने के बाद हिंदी का हिंदी मम्मा मोरिया, अगले बरस तू सिंतबर आ! के उद्घोषों के साथ विसर्जन किया जाना है, पर ये पता नहीं था कि कितने बजे की ट्रेन से हिंदी मम्मा रूखसत होंगी। पर ज्यों ही सुबह सुबह मेरे खास हिंग्लिश प्रेमी मित्र का फोन आया कि जिला हिंग्लिश अधिकारी हिंदी मम्मा को दस एम शार्प वाली ट्रेन में रेलवे स्टेशन छोडऩे जा रहे हैं तो मैं पागल हुआ। मैंने आनन फानन में अपना ताजा छपा मौलिक चुटकुला संग्रह अखबार में लपेट अपने को कुरते पाजामे में जैसे तैसे पता नहीं कैसे लपेटा और रेलवे स्टेशन की ओर हवा हो लिया, इस इरादे से कि वहीं उनके कर कमलों द्वारा उसका विमोचन करवा अपने को कालजयी बना लूंगा ताकि कम से कम हिंदी मम्मा को पता चले कि उनका एक हिंदी प्रेमी पखवाड़ा भर ही उनका प्रेमी न होकर सारा साल उनसे निष्काम प्रेम करता है।

रेलवे स्टेशन पर रेल के इंजन की तरह हांफता हुआ पहुंचा तो देखा अपने जिला के हिंग्लिश प्रसार अधिकारी के साथ उनके आठ दस हर सरकारी साहित्यिक प्रोग्राम में हर जगह प्रजेंट रहने वाले खड़े थे, हिंदी को बुरी तरह से घेरे हुए। सबके कान ट्रेन आने की आवाज पर लगे हुए थे। सबने हिंदी को सी ऑफ करने के लिए हाथों में हिंदी मम्मा के चेहरे की तरह एक एक मुरझा गुलाब लिया था। बातों बातों में हिंदी मम्मा ने जिला हिंग्लिश अधिकारी से क्षमा सी मांगते कहा, 'भाई साहब! माफ करना! पंद्रह दिन आपको बहुत परेशान करके रखा। मैं चाहती तो नहीं थी पर…। 'मैम! नौकरी है तो यह सब तो करना ही पड़ेगा। पर चलो, इस बहाने आपके साथ रह हमें भी थोड़ी बहुत हिंदी… ये तो मेरा परम सौभाग्य है कि इन पंद्रह दिन तो मैं आपके साथ रहा, वर्ना यहां तो वर्क लोड ही इतना है कि मैं अपने फैमिली के साथ भी नहीं रह पाता। जिला हिंग्लिश अधिकारी टाइम पास करते अकड़े अकड़े विनीत हुए। मैंने जैसे कैसे हिंदी मम्मा को घेरे पेड प्रेमियों को इधर उधर ठेला और हिंदी मम्मा के पास जा पहुंचा तो एक पेड हिंदी मम्मा प्रेमी को यह देख मुझ पर बहुत गुस्सा आया। पर मैंने उसके गुस्से की परवाह न की। 'तुम कौन बंधु, हिंदी मम्मा ने मुझसे पूछा। 'प्रणाम मम्मा! मैं वही जो साल भर बिन पारिश्रमिक के भी दिन रात आपकी सेवा करता रहता हूं।
'तो अब क्या चाहते हो? पारिश्रमिक, हिंदी मम्मा ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा तो मैंने सानुनय कहा, 'नहीं मम्मा! हिंदी में लिखते लिखते पारिश्रमिक से तो अपना मोह भंग बहुत पहले का हो चुका है, पर मैं आपसे अपने ताजे मौलिक चुटकुला संग्रह का विमोचन करवा कालजयी होना चाहता हूं, कह मैंने फटाफट अखबार में लपेटा सद्य प्रकाशित चुटकुला संग्रह हिंदी मम्मा के आगे किया कि तभी बीच में ही परमादरणीय जिला हिंग्लिश अधिकारी आ गए। इससे पहले कि हिंदी मम्मा मेरे चुटकुला संग्रह का सादर विमोचन करतीं, उन्होंने मेरा चुटकुला संग्रह मुझसे छीन अपने गुर्गे के पास थमा मुझे इग्नोर करते हिंदी मम्मा से मुस्कुराते कहा, 'मैम! ये हिंदी के राइटर होते ही ऐसे हैं। हर किसी को हर कहीं घेर लेते हैं। खैर, वैसे हम चाहते तो थे कि आप हमारे पास कुछ दिन और रह लेतीं पर… तभी सही समय पर ट्रेन के आने की सीटी सी सुनाई दी तो हिंदी मैम को छोडऩे आयों की सांस में सांस आई। वरना आजकल अपने शहर में ट्रेनें वैसे ही लेट हो रहीं है जैसे हर कार्यक्रम में नेता लेट होते हैं। ट्रेन स्टेशन पर खड़ी हुई तो सबकी ओर से हाथी की टांग होते जिला हिंग्लिश अधिकारी ही बोले, 'मैम! अपना ध्यान रखना प्लीज! और हां! कोरोना की बूस्टर डोज भी जरूर लगवा लेना। बीमारी को हल्के में मत लेना मैम! अच्छा तो मैम! अगले सितंबर मिलेंगे, इन्हीं दिनों मैम! इसी पखवाड़े, यहीं। तब तक गुड बाय! टेक केयर मैम! आपकी जर्नी हैप्पी हैप्पी मैम!
अशोक गौतम
Next Story