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ऋषि-मुनि कह गए हैं नर्क में कभी कोई मरता नहीं और स्वर्ग में सदैव कोई जीता नहीं
पं.विजयशंकर मेहता का कॉलम: ऋषि-मुनि कह गए हैं नर्क में कभी कोई मरता नहीं और स्वर्ग में सदैव कोई जीता नहीं। यदि नर्क में मरने की सुविधा होती तो मरना एक बहुत बड़ी मुक्ति हो जाती, क्योंकि वहां तो प्रताड़ना मिलती है। ऐसे ही स्वर्ग में कोई तब तक ही रहेगा जब तक पुण्य है। यह एक धार्मिक परिभाषा है। इसे व्यावहारिक दृष्टि से देखें तो इन दिनों नौकरी हो या व्यापार, बिलकुल स्वर्ग-नर्क जैसे हो गए हैं। कई को अपने काम में नर्क दिखता है और दूसरे के काम में स्वर्ग के दर्शन हो रहे हैं।
हमारे यहां एक बड़ा प्यारा शब्द चलता है 'सबकुछ'। इसे एक साथ बोलो तो अर्थ निकलता है टोटल। लेकिन, यदि विच्छेद कर बोला जाए तो सब का अर्थ है सारे काम आना चाहिए, और कुछ का मतलब होगा किसी एक में दक्षता हो। यह ऐसा दौर आ गया है कि यदि कोई कहे कि मैंने यह पढ़ाई की है, इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है तो यही काम करूंगा, ऐसा नहीं हो सकता।
अब दो हाथ में तीन गेंद उछालने का समय है। इसलिए जिन्हें चाहत हो, वे कोई मौका न चूकें। हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कहा जाता है, इसका प्रमुख आधार सेवाक्षेत्र है। सेवा का एक रूप भक्ति है। तो जो भी करें, अपने भीतर के भक्त को जीवित रखें। भक्त का नियम है किसी से जितना लो, उससे ज्यादा लौटाओ। इस सिद्धांत से चलेंगे तो शायद वक्त आसानी से कट जाएगा। वरना पल-पल भारी पड़ेगा।
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