सम्पादकीय

अब है साम‌र्थ्यवान आर्थिक भारत

Rani Sahu
14 Aug 2022 7:08 PM GMT
अब है साम‌र्थ्यवान आर्थिक भारत
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इस समय जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब देश और दुनिया में सामथ्र्यवान आर्थिक भारत की तस्वीर उभरकर दिखाई दे रही है
इस समय जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब देश और दुनिया में सामथ्र्यवान आर्थिक भारत की तस्वीर उभरकर दिखाई दे रही है। भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उद्योग, कृषि एवं सेवा क्षेत्र में पूरी दुनिया में भारत की उपलब्धियां रेखांकित की जा रही हैं। हाल ही में 9 अगस्त को प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध मार्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्था होगी। इतना ही नहीं, करीब सात फीसदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के साथ भारत दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर का रिकॉर्ड एफडीआई प्राप्त किया है। पिछले वर्ष 2020-21 में देश में 81.97 अरब डॉलर का एफडीआई हुआ था। कंप्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में सबसे अधिक एफडीआई प्राप्त हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 29 जुलाई 2022 को करीब 573 अरब डॉलर के मजबूत स्तर पर दिखाई दे रहा है, जो कि दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है।
दुनिया के ढहते शेयर बाजारों के बीच 11 अगस्त 2022 को सेंसेक्स 59300 से अधिक की ऊंचाई पर दिखाई दिया है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का उत्पाद निर्यात करीब 419 अरब डॉलर और सेवा निर्यात करीब 249 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि अब भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर आगे बढ़ रहा है। वस्तुत: पिछले 8 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आर्थिक विकास एवं कृषि विकास के प्रयासों ने देश के आर्थिक एवं कृषि क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाया है। इस समय देश को सामथ्र्यवान बनाने में देश के कृषि क्षेत्र की भी अहम भूमिका है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक फसल वर्ष 2021-22 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.45 करोड़ टन होगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 37.7 लाख टन अधिक है। उल्लेखनीय है कि 31 मई 2022 तक सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की रकम की सम्मान निधि का ट्रांसफर, किसानों की तपस्या, किसान कल्याण एवं कृषि विकास के लिए अनेक अभिनव पहल के रूप में योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन, सरकार के द्वारा पिछले आठ वर्षों में कृषि बजट में करीब छह गुना वृद्धि, कृषि स्टार्टअप, कृषि क्षेत्र में ड्रोन का प्रयोग, सिंचित क्षेत्र में वृद्धि, कृषि शोध और कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से जहां देश में कृषि एवं किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल गई है और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि हुई है, अच्छे उत्पादन अच्छे खाद्यान्न भंडार से जहां देश में भूख और कुपोषण की चिंताएं कम हुई हैं, वहीं भारत दुनिया के कई देशों की भूख की चिंताएं कम करते हुए दिखाई दे रहा है। निश्चित रूप से डिजिटल इंडिया से भारत में आम आदमी के कल्याण और विकास का नया अध्याय लिखा गया है। नि:संदेह इस समय देश में करीब 45 करोड़ जनधन खातों (जे), करीब 130 करोड़ आधार कार्ड (ए) और करीब 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों, किसानों और कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों के बैंक खातों में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) से 23 लाख करोड़ रुपए सीधे जमा कराए गए हैं। इससे करीब सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में जाने से बचाए गए हैं। देश में सौ से अधिक सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। पहले बैंक, गैस, स्कूल, टोल, राशन हर जगह कतारें होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
सरकारी दफ्तर आपकी मुठ्ठियों में रखे मोबाइल तक पहुंच गए हैं। इस समय भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोटिक्स, ग्रीन एनर्जी, चौथी औद्योगिक क्रांति और डिजिटल पेमेंट की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया के 40 फीसदी ऑनलाइन पेमेंट भारत में हो रहे हैं। निश्चित रूप से देश में सरकार के द्वारा आम आदमी को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गई कई डिजिटल योजनाएं अच्छे परिणाम दे रही हैं। यूपीआई, कोविन और डिजीलॉकर जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों से आम आदमी के जीवन से संबंधित सेवाएं आसान हुई हैं। किसानों के समावेशी विकास में भी डीबीटी की अहम भूमिका है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया और अटल पेंशन योजना, भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और तत्काल भुगतान सेवा, डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन से भी समाज के विभिन्न वर्ग लाभान्वित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, डिजिटल इंडिया मुहिम देश को डिजिटलीकृत व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। इससे ई-कॉमर्स और अन्य व्यवसाय बढ़ रहे हैं। साथ ही डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत रोजगार के नए मौके निर्मित हो रहे हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत दुनिया के महत्त्वपूर्ण देशों के आर्थिक और कारोबारी संगठनों का अहम हिस्सा भी बनते हुए दिखाई दे रहा है। 24 मई को अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने क्वाड के दूसरे शिखर सम्मेलन के बाद जिस नई ताकत के उदय का शंखनाद किया है तथा अमेरिका की अगुवाई में भारत सहित 13 देशों के जिस हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रंट (आईपीईएफ) का गठन किया गया है, वह भारत के उद्योग-कारोबार के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब बनने को बड़ा आधार मिलेगा। नि:संदेह सामथ्र्यवान भारत से दुनिया की उम्मीदें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
कोविड महामारी और वर्तमान वैश्विक संघर्षों के बीच देश की नई प्रतिभाशाली पीढ़ी के बल पर देश स्टार्टअप और सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामथ्र्यवान देश के रूप में उभर रहा है और समस्याओं का समाधान भी पेश कर रहा है। हम उम्मीद करें कि देश के उद्योग कारोबार, कृषि और सर्विस सेक्टर की मजबूती से विशाल आकार वाली अर्थव्यवस्था के बल पर सामथ्र्यवान भारत देश के करोड़ों लोगों को आर्थिक-सामाजिक खुशियां देने के साथ दुनिया के जरूरतमंद देशों की उम्मीदों को पूरा करते हुए भी दिखाई देगा। साथ ही भारत के बारे में हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रस्तुत की गई वह रिपोर्ट साकार हो सकेगी, जिसमें कहा गया है कि भारत वर्ष 2026-27 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हम उम्मीद करें कि जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूर्ण करेगा, तब भारत दुनिया की आर्थिक महाशक्ति के रूप में चमकते हुए दिखाई देगा।
डा. जयंतीलाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री

By: divyahimachal

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