- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- उपन्यास: Part 36- पांच...
x
Novel: कुछ दिनों के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने वाली थी। धीरे -धीरे सभी जेठानियों का आना शुरू हुआ। तीसरी जेठानी भी कुछ दिनों के लिए रहने आई। फिर घर में जैसे डरा - सहमा माहौल निर्मित हो गया। अगर किसी के मुहँ से धोखे से भी मिनी की बड़ाई निकली तो उसे एक की जगह कई कड़वी बातें सुननी होती। डर में कोई भी धोखे से भी, मिनी से अच्छे से बात भी नही कर पाता था। बड़ाई तो बहुत बड़ी बात है। घर में फिर से शादी की कड़वी बाते। फिर से मिनी के घर-परिवार के लोगो को कोसना और मिनी के ऊपर तानों की बौछारें शुरू हो गई और इस हद तक ताने मिले कि जो थोड़ी बहुत खुशियां मिली थी वो भी ध्वस्त हो गई।
मिनी चुपचाप सब सुनती। कभी किसी की बात का प्रतिकार उसने नही किया। वो देख रही थी कि ससुराल के प्रत्येक सदस्य के मन में मिनी के मायके वालो के प्रति नफरत के बीज सिर्फ बोए ही नही गए बल्कि सगाई के पहले ही जो बीजारोपण तीसरे जेठ जेठानी और उनके मायके वालो के द्वारा किया गया था वो अब पेड़ का रूप ले चुके थे ।
इधर मायके वाले उन जख्मो को भूल नही पाए थे जो फलदान के बाद से शादी के होते तक मिनी के ससुराल वालो से मिले थे। मिनी की जान अधर में लटकी थी। मिनी का दहेज़ मायके में अभी भी रखा हुआ था। दूसरी विदाई में भी मां ने सर से विनती की थी कि दहेज़ का समान कब तक रखा रहेगा ? हम लोग भिजवा देते हैं परंतु सर ने मना कर दिया। उन्होंने यही कहा कि हम सिर्फ मिनी को ले के जाएंगे। मिनी के साथ मां ने खाने-पीने के सामान ही बहुत सारे भिजवा दिए थे।
दोनो तरफ के माहौल से मिनी को इतना तनाव होता था कि कई बार वो ससुराल के कुँए के पास जाती थी । उसका जी करता था कूद जाने का पर कभी कूदने की हिम्मत नही कर पाई क्योकि उसे आत्महत्या से डर लगता था। बचपन में दादी दादा ने बताया था कि जो लोग आत्महत्या करते है ईश्वर उन्हें कभी माफ नही करते। उनके शरीर तो नष्ट हो जाते है परंतु आत्मा भूख प्यास से तड़पती हुई भटकती रहती है। मिनी यही मनाती थी कि ईश्वर उसे शीघ्र कैसे भी करके बुला ले अपने पास।
ग्रीष्मकालीन अवकाश जब 2 दिन बचे थे। मिनी को फिर से अपने कार्यक्षेत्र में वापस जाना था। मिनी ने घर में सभी से विदा लेकर सासूमाँ के पैर छूने गई। सासूमाँ के दिल में अपने लिए वही तड़प मिनी ने देखा जो अपनी मां में देखा करती थी। सासुमां ने मिनी को 5 रुपये दिए और गले से लगा लिया। कहने लगी - "बेटा! मेरी तबियत उतनी अच्छी नही कि मैं तुम्हारे साथ जाकर रह सकूं नही तो मैं जरूर जाती। फिर तुम्हारी बड़ी दीदी और जीजा भी तो यही है मैं उनको छोड़कर भी नही जा सकती। तुम वहाँ अकेली मत रहना। मां के साथ ही रहना। धीरे से ट्रांसफर हो जाएगा फिर तुम दोनो साथ में रहने लगोगे। अपना ध्यान रखना और किसी बात की चिंता बिल्कुल मत करना। एक दिन तुम्हारे पास सब कुछ हो जाएगा।"
मिनी ने सासु माँ से आशीर्वाद लिए और मां के पास आ गयी। सर भी अपने कार्यक्षेत्र में चले गए। मिनी मां को लेकर स्कूल वाले गाँव में रहने आ गई..............................क्रमश:
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
बिलासपुर छत्तीसगढ़
Tagsजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचारउपन्यासPart 36पांच रुपएNovelFive Rupees
Gulabi Jagat
Next Story