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- सिर्फ एमएसपी समाधान...
अरविंद कुमार बीते शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी एलान किया कि उनकी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को और अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन करने जा रही है। आंदोलन करने वाले किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में एक एमएसपी की कानूनी गारंटी भी रही है। अभी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर सरकार 23 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है, जिनमें सात अनाज (धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी), पांच दलहन (चना, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर), सात तिलहन (मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, तिल, सूर्यमुखी, कुसुम और नाइजर सीड) और चार नकदी (गन्ना, कपास, जूट और नारियल) फसलें हैं। फल, सब्जियां या मवेशियों से मिलने वाले दूध जैसे उत्पाद इनमें शामिल नहीं हैं। ऐसे में, यह समझना मुश्किल नहीं है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी में किस कदर की चुनौतियां सामने आएंगी?