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आदित्य नारायण चोपड़ा: वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स यानि एफएटीएफ ने कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को पाल रहे पाकिस्तान को दोहरा झटका दिया है। एफएटीएफ ने न केवल पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखा है, बल्कि उसके गुरु बने तुर्की को भी आतंकियों को पालने के आरोप में ग्रे-लिस्ट में डाल दिया है। इससे पहले पाकिस्तान बार-बार तुर्की की मदद से ब्लैक लिस्टेड होने से बच रहा था और अब तुर्की खुद एफएटीएफ के लपेटे में आ गया है। उधर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन के कगार पर है और ग्रे-लिस्ट में रखे जाने पर उसकी अर्थव्यवस्था को और नुक्सान होना तय है। इसकी वजह से उसे आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। पाकिस्तान को अगले दो सालों में अरबों डालर के ऋण की सख्त जरूरत है। अगर ऋण नहीं मिला तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बैठ जाएगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकालवाएंगे लेकिन यह वादा खोखला ही साबित हो गया। इमरान खान आर्थिक मदद और ऋण लेने के लिए कटोरा लेकर घूमते रहते हैं। अमेरिका द्वारा फंड रोकने के बाद पाकिस्तान की कंगाली किसी से छिपी नहीं हुई। अब पाकिस्तान चीन की गोद में बैठकर भारत के खिलाफ साजिशें रच रहा है। अब तुर्की को पाकिस्तान की तरह अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे तुर्की की हालत और खराब हो जाएगी। तुर्की में राष्ट्रपति एर्देगान के शासनकाल में विदेशी निवेश पहले ही रसातल में पहुंच गया है, ऐसी स्थिति में कोई भी देश वहां निवेश करना ही नहीं चाहता। पाकिस्तान आर्थिक रूप से आत्महत्या को विवश हो रहा है।एफएटीएफ ने साफ कहा कि जब तक पाकिस्तान यह साबित नहीं कर देता कि जमाद उद दावा प्रमुख हाफिज सईद और जेश ए मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है तब तक उसे ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि कंगाल पाकिस्तान तालिबान को लुभाने की हर सम्भव कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाहद मसूद कुरैशी और खुफिया एजैंसी आईएसआई के चीफ जनरल फैज अहमद हमीद काबुल पहुंचे हुए हैं। पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान को मानवीय आधार पर 500 करोड़ रुपए की सहायता देगी। नया पाकिस्तान बनाने का वादा करके सत्ता में आए इमरान खान की रियासत-ए-मदीना आर्थिक तबाही के दौर में पहुंच गई है। यह तो वही बात हुई घर में नहीं दाने और इमरान चला भुनाने।विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान दुनिया के उन दस देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके ऊपर सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज है। इस वर्ष जून महीने में पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 8 फीसदी की दर से बढ़ा है। इमरान खान सरकार ने करोड़ों डालर से ज्यादा धन राशि विश्व बैंक से उधार ले चुकी है। इसी बीच विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने अब अपना लोन कार्यक्रम रद्द कर दिया है, जिसे अब पाकिस्तान के लिए कर्ज जुटाना भारी पड़ रहा है। इसी वजह से अब पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से किसी भी तरह 6 अरब डालर का कर्ज जुटाना ही होगा। आईएमएफ पाकिस्तान पर कड़ी शर्तें लाद रहा है। इसी बीच आशंकाएं जताई जा रही हैं कि क्रेडिट रेटिंग एजैंसियां पाकिस्तान की रेटिंग और ज्यादा गिरा सकती है, जिससे उसके िलए इंटरनेशनल ब्रांड जारी करके पैसा जुटाना और ज्यादा महंगा हो सकता है।संपादकीय :सड़कों पर कब्जे का हक नहींन्याय की बेदी पर लखीमपुरनई चौकड़ी : राजनीतिक भूचाल100 करोड़ लोगों का टीकाकरणप्रियंका का 'महिला कार्ड'इंतजार की घड़ियां समाप्त होने वाली हैं पर .. ध्यान सेऐसी स्थिति में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को करोड़ों की मदद का ऐलान पाकिस्तान के लोगों को नागवार गुजर रहा है। दरअसल पाकिस्तान की कोशिश यह है कि वो किसी तरह अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत को इस बात के लिए तैयार करे कि वो तालिबान पाकिस्तान को उनके देश में हमले करने से रोकें। अफगानिस्तान में ब्लूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के अड्डे हैं। ये आतंकी संगठन अक्सर पाकिस्तान में घुस कर हमले करते हैं। पाकिस्तान को याद रखना होगा।''तुमने बोए थे खेतों में इंसानों के सिरअब जमीन खून उगल रही है तो रंज क्यों है।''पाकिस्तान ने आज तक आतंकवाद की खेती ही की है। वह आतंकवादी गुटों का वित्त पोषण करता है। कौन नहीं जानता कि उसने अफगानिस्तान में तालिबान समर्थक गुटों का वित्त पोषण किया है। अगर उसने यह सब बंद नहीं किया तो एफएटीएफ उसे ईरान आैर उत्तर कोरिया की तरह ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है। तब उसे बचाने वाला कोई नहीं होगा। तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि से पाकिस्तान का आयात बिल बढ़ता जा रहा है। वह लगातार पाकिस्तान कपड़े आैर सस्ते उत्पाद का निर्यात कर रहा है। चालू खाते का घाटा बढ़ता जा रहा है। लेकिन वह आतंकवाद फैलाने के लिए खर्च कम नहीं कर रहा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान भविष्य में टूट भी सकता है।