सम्पादकीय

नाकामी नहीं, बल्कि निर्णय नहीं ले पाना, आपको कहीं नहीं ले जाएगा।

Gulabi
11 March 2022 8:49 AM GMT
नाकामी नहीं, बल्कि निर्णय नहीं ले पाना, आपको कहीं नहीं ले जाएगा।
x
जैसलमेर के अपने एक दौरे में मेरी भेंट एक निजी होटल के कर्मचारी से हुई
एन. रघुरामन का कॉलम:
जैसलमेर के अपने एक दौरे में मेरी भेंट एक निजी होटल के कर्मचारी से हुई। वह पिछले 5 वर्षों से सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ रहा था। स्थायी आय की नौकरी पर ध्यान देने के बजाय वो अपने कामकाजी समय का उपयोग अखबार पढ़ने, परीक्षाओं के विज्ञापन खोजने और आवेदन के बाद उनकी तैयारी करने में करता था। लेकिन उनमें से कोई परीक्षा पास नहीं कर सका। फेल होने के बाद साल-दर-साल फिर से परीक्षा देने के अलावा भी दो विकल्प हैं। वे इस प्रकार हैं:
विकल्प 1: जब रैचल फ्लैनेगन बिजनेस स्टडीज एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए पहुंचीं तब उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता था। उनके पास दो घंटे थे। एक विकल्प था कि वे पुरजोर कोशिश करें और सभी जवाब लिखें या खाली शीट सौंपकर चली आएं। पर उन्होंने तीसरा विकल्प चुना, जो उनके दिमाग की उपज था। वो दो घंटे तक शांति से अपना बिजनेस प्लान लिखती रहीं। उनका बिजनेस आइडिया घरों की साफ-सफाई को लेकर था।
जब उनके दोस्तों ने यह सुना तो चिल्लाते हुए कहा- 'ये क्या बात हुई? तुम क्या करके आई हो? हम सब यूनिवर्सिटी जाएंगे और तुम बकेट और पोंछा लेकर साफ-सफाई करने निकलोगी?' जाहिर है, वो फेल हो गई। वो सच में ही बकेट-पोंछा लेकर अपनी जीवन-यात्रा पर चल पड़ी। उसके पास वैक्यूम क्लीनर तक नहीं था, जो काम आसान बना पाता। उसे जितना काम मिला, वो लेती चली गई, जब तक कि कई घरों में हर हफ्ते 70 घंटों तक सफाई नहीं करने लगी।
उसने परीक्षा पेपर में जिस सफल बिजनेस निर्णय के बारे में लिखा था, उससे कुछ और कर्मचारियों को काम पर रखने और उन्हें काम सिखाने का हौसला दिया। स्टाफ के साथ काम करते-करते उसका बिजनेस एक नए स्तर पर जाने लगा। यह ठीक 16 साल पहले की बात है, जब रैचल केवल 18 साल की थी। उसे यूके यंग आंत्रप्रेन्योर अवार्ड्स में अपना पहला बड़ा पुरस्कार मिला था।
जब वो अन्य उद्यमियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही थी, तो बड़े गर्व से उनसे अपनी कंपनी का नाम साझा किया- 'मिसेज़ बकेट!' उस पुरस्कार के बाद उन्हें कुछ अविश्वसनीय अवसर मिले। आज घरों की साफ-सफाई के काम पर केंद्रित उनकी कंपनी का 320 लोगों का स्टाफ है और उसे अनेक प्रतिष्ठित अनुबंध मिल चुके हैं। इनमें लंदन के वेल्स मिलेनियम सेंटर का अनुबंध भी शामिल है।
वर्ष 2014 में हुई नाटो समिट में सहभागिता के लिए उन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा व्यक्तिगत रूप से चुना गया था। समिट में ओबामा सहित दुनियाभर के नेता शामिल थे। वे सेंट डेविस डे के रिसेप्शन के लिए दो बार डाउनिंग स्ट्रीट भी गईं और व्यवसाय समुदाय की प्रतिनिधि के रूप में पूर्व पीएम डेविड कैमरन से मिलीं। साल 2021 में 'मिसेज़ बकेट' का टर्नओवर 45 करोड़ रु. से ज्यादा का हो गया था!
विकल्प 2: ओडिशा के गजपति जिले के एक सरपंच प्रत्याशी का मामला देखिए, जो इस महीने की शुरुआत में चुनाव हारे। हार से नाराज होकर उन्होंने कथित रूप से उन पांच गांवों को जोड़ने वाली सड़क खोद डाली, जहां उनके वोटर्स रहते थे और स्ट्रीट लाइटें हटा दी। बारिक साबर और उनके समर्थकों ने सड़क के रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर भी डाल दिए और तहसील मुख्यालय से सभी सम्पर्क काट दिए।
यह पंचायत आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है और इसमें 24 गांव शामिल हैं, जिनमें 1500 से ज्यादा मतदाता हैं। बाद में विजयी प्रत्याशी हरिबंधु करजी ने पुलिस शिकायत दर्ज कराई गई। हरिबंधु दूसरी बार निर्वाचित हुए थे। पुलिस मौके पर पहुंची, संचार-तंत्र बहाल किया और सड़क साफ करवाई।
फंडा यह है कि नाकामी नहीं, बल्कि निर्णय नहीं ले पाना, आपको कहीं नहीं ले जाएगा।
Next Story