सम्पादकीय

शोर की राजनीति

Subhi
10 April 2022 4:23 AM GMT
शोर की राजनीति
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गए शनिवार को खबर आती है : करौली में दंगा। फिर खबरें बताने लगती हैं : पीएफआइ ने पहले ही इशारा कर दिया था कि दंगा होगा ! दंगे के दृश्य बार-बार दिखते! एंकर बताते कि एक स्थानीय कांग्रेसी नेता ‘मतलूब’ पर एफआइआर, लेकिन तीन दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं! क्यों?

सुधीश पचौरी: गए शनिवार को खबर आती है : करौली में दंगा। फिर खबरें बताने लगती हैं : पीएफआइ ने पहले ही इशारा कर दिया था कि दंगा होगा (और हुआ भी)! दंगे के दृश्य बार-बार दिखते! एंकर बताते कि एक स्थानीय कांग्रेसी नेता 'मतलूब' पर एफआइआर, लेकिन तीन दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं! क्यों?

यानी वही-वही बहसें और वही तुष्टीकरण-पुष्टीकरण-मुष्टीकरण!

कि एक शाम गोरखपुर मठ के परिसर से खबर टूटती है कि मठ पर 'आतंकी हमला'! 'आइआइटियन' मुर्तजा 'अल्लाहू अकबर' कहता हुआ, हंसिया लहराता हुआ! वीडियो में सब दिखता हुआ! दो पुलिस घायल!

एक बहस में कांग्रेसी प्रवक्ता ने ज्ञान बघारा : समाजशास्त्री 'दुर्खीम' की भाषा में मुर्तजा 'फेटलिस्टिक सुसाइड' का केस है। अपराधी है। आतंकी नहीं… धन्यवाद! भाजपा को विपक्ष के ऐसे ही 'तर्कतीर्थ' चाहिए!

तीन दिन से चैनल खबरें देते रहे कि मुर्तजा के तार 'आइएसआइएस' से जुड़े हैं! 'अकेला भेड़िया' (लोन वुल्फ) है! इसके आगे विपक्ष-वचन कि माना कि 'कंडमनीय'… लेकिन सरकार क्या सो रही थी?…

पिता ने बताया कि वह मनोरोगी है। बीबी बोली कि नहीं है… फिर कांग्रेसी प्रवक्ता भाजपा को कोसने लगते। भाजपा इन मुद्दों की जगह वह महंगाई पर बात क्यों नहीं करती? पंद्रह दिन में दस रुपए बढ़े पेट्रोल, डीजल के दाम!

इन दिनों श्रीलंका की महंगाई दिखाते-दिखाते कई चैनल अपने यहां की महंगाई भी दिखाते हैं कि देखो, दस रुपए का एक नींबू… लेकिन महंगाई बड़ा मुद्दा बनती ही नहीं!

फिर एक दिन 'मनसे' के नेता ने मुंबई में भोंपू पर मस्जिदों से ऊंची आवाज में प्रसारित की जाती 'अजान' के बरक्स 'हनुमान चालीसा' जोर से बजाया कि 'द्वंद्व' शुरू…

और फिर यह मुद्दा फैला कर्नाटक में और की जाने लगी मांग कि अजान के ऐसे प्रसारण पर रोक लगाई जाए। उच्च न्यायालाय का आदेश भी है… कई चैनलों पर धार्मिक बहसें शुरू : एक तरफ दो हिंदुत्ववादी नेता, तो दूसरी तरफ दो इस्लामी नेता! बढ़ने लगा धार्मिक ज्ञान कि कुरान में तो अजान 'लाउडस्पीकर' पर बजाना लिखा नहीं, तब 'लाउडस्पीकर' का शोर क्यों?

जवाब आया कि सुबह चार बजे मंदिरों में आरती बजने लगती है, अखंड पाठ होते हैं, उनका क्या? कि हम बंद करने को नहीं कह रहे। शोर का स्तर कम करने को कह रहे हैं। अदालतों ने व्यवस्थाएं दी हैं कि इतने डेसिबल तक ही 'अलाउड' है… अब महाराष्ट्र सरकार करेगी शोर के स्तर की जांच…

फिर एक दिन दिल्ली के एक मेयर ने फरमा दिया कि नवरात्रों में मीट की दुकानें बंद हों, फिर दूसरे ने कह दिया कि बंद हों! एक ओर 'रमजान', दूसरी ओर 'नवरात्र'! कई चैनलों पर धार्मिक कुश्तियां शुरू!

वही-वही तर्क कि संविधान खानपान की आजादी देता है, कि संविधान यह भी कहता है कि किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचे! मीट मना नहीं, लेकिन मंदिरों के पास न बेचें। भावनाओं को समझो…

ऐसी ही एक शाम 'अलकायदा' के चीफ अल जवाहिरी ने वीडियो में 'हिजाबवादी' आंदोलन की नेता मुस्कान को 'हीरोइन' बताते हुए कहा कि 'शरीअत' को बनाए रखने का यही तरीका है। फिर उसकी तारीफ में एक कविता भी पढ़ते हैं! एक प्रवक्ता कहता है : यही है 'पैन इस्लामिज्म'!

गनीमत है कि इस बार कई विपक्ष के नेता और कई मुसलिम नेता बोले कि वह कौन होता है, हमारे मामलों में बोलने वाला… फिर एक शाम मुस्कान के पिता ने भी कह दिया कि हमारा जवाहिरी से कोई ताल्लुक नहीं, हम उसे जानते तक नहीं!

बहरहाल, बृहस्पति की रात को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया कि डिप्टी स्पीकर का इमरान के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना गैरकानूनी, संसद को भंग करना भी गैरकानूनी है। कोर्ट का यह भी आदेश रहा कि संसद फिर से लगे, फिर से अविश्वास प्रस्ताव पर वोट हो!


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