पाकिस्तान के संघर्ष विराम के लिए सहमत हो जाने के बाद जब यह उम्मीद की जा रही थी कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के दुस्साहस का दमन होगा, तब यह देखने में आ रहा है कि वे अपना सिर उठा रहे हैं। यह शुभ संकेत नहीं कि कश्मीर में आतंकी हमलों में तेजी आती दिख रही है। सोमवार को सोपोर के नगर पालिका कार्यालय में आतंकियों के हमले में दो पार्षदों के साथ एक सुरक्षा कर्मी की मौत आतंकियों के दुस्साहस को ही बयान कर रही है। दुर्भाग्य से यह आतंकी हमला सुरक्षा में चूक को भी बयान कर रहा है। हालांकि इस चूक को स्वीकार कर लिया गया, लेकिन केवल इससे ही बात बनने वाली नहीं है। सोपोर के पहले शोपियां में आतंकियों को मार गिराने के एक अभियान में सेना के एक हवलदार को अपना बलिदान देना पड़ा था। इसी तरह कुछ दिन पहले श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर आतंकियों ने सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर हमला किया था, जिसमें एक सब इंस्पेक्टर और सीआरपीएफ के दो कर्मी बलिदान हुए थे। कश्मीर घाटी में तेज होते आतंकी हमलों के पीछे के कारणों की तह तक जाना ही होगा, क्योंकि ये किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा जान पड़ते हैं।