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- मराठा आरक्षण को ना
जनता से रिश्ता वेबडेसक | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में महाराष्ट्र के उस कानून को असंवैधानिक करार दिया जिसके तहत मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। अदालत ने कहा कि ऐसी कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं हैं जिनके आधार पर मराठा समुदाय को शैक्षणिक और सामाजिक दृष्टि से कमजोर मानते हुए आरक्षण प्रदान किया जाए और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1992 में निर्धारित अधिकतम 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को पार करने की इजाजत दी जाए। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में एक कानून बनाकर मराठा समुदाय को शिक्षा और रोजगार में 16 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की थी जिससे महाराष्ट्र में कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 फीसदी की सीमा से ऊपर चला गया था। 2019 में हाईकोर्ट ने इस कानून की वैधता की पुष्टि की थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर बारीकी से विचार-विमर्श हुआ। एक अहम पहलू यह था कि क्या अधिकतम आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को जारी रखा जाए। कई राज्य इस सीमा को खत्म करने के पक्ष में थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने साफ-साफ कहा कि विशेष परिस्थितियों के बगैर इस आरक्षण सीमा को पार करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन माना जाएगा।