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कोरोना महामारी से दुनिया को जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है
डब्लूएचओ के अधिकारियों ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों के परिणामों अब तक निराशाजनक हैँ। है कि वायरस का कोई तत्काल इलाज नहीं है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट हर्ड इम्युनिटी को हासिल करने की उम्मीदों को धराशायी कर देते हैं। corona crisis vaccines pandemic
कोरोना महामारी से दुनिया को जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है। ये बात डब्लूएचओ के अधिकारियो ने कही है। तो अभी हम सबको लंबे समय तक आज जैसे ही माहौल में रहना होगा। अभी जैसे हालात के बीच अपनी जिंदगी कैसी जीनी चाहिए, उसका तरीका हमें ढूंढना होगा। डब्लूएचओ के अधिकारियों ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों के परिणामों अब तक निराशाजनक हैँ। है कि वायरस का कोई तत्काल इलाज नहीं है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट हर्ड इम्युनिटी को हासिल करने की उम्मीदों को धराशायी कर देते हैं। यानी अब यह स्पष्ट यह हो रहा है कि आने वाले कई वर्षों तक कोरोना वायरस मौजूद रहेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक ने इस साल मई में कहा था कि जब टीकाकरण 70 प्रतिशत तक पूरा हो जाएगा, तो ज्यादातर देशों में कोरोना वायरस महामारी खत्म हो जाएगी। जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हुआ है। नतीजतन, कोविड-19 की आगे कई लहरें आने का खतरा बना हुआ है। मई में दिए गए विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान के बारे में अब डब्लूएचओ अधिकारियों का कहना है कि जमीनी हकीकत ने अब अतीत की स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। डेल्टा और दूसरे वेरिएंट को लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता ।
वैक्सीन का फायदा यह है कि आम जनता वायरस से संक्रमित होने के बावजूद ठीक हो रही है और उनमें बीमारी के गंभीर लक्षण नहीं हैं। लेकिन संक्रमण के खतरों से मुक्ति की संभावना अब भी दूर है। यह बीमारी जल्द खत्म होने वाली नहीं है। यह फ्लू जैसी बीमारी बनी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में टीकाकरण की रणनीति में बदलाव की जरूरत है, ताकि इसकी प्रभावशीलता दोगुनी हो सके। इसी तरह संक्रामक और महामारी वैज्ञानिकों को लगता है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए घनी आबादी वाले क्षेत्रों में लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए अकेले टीकों की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। भारत में मिला डेल्टा वेरिएंट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में 60 प्रतिशत तेजी से फैलता है। अब कोलंबिया में मिला म्यू वेरिएंट चिंता पैदा कर रहा है। इस वेरिएंट को पहली बार जनवरी 2021 में कोलंबिया में पहचाना गया। तो नए वैरिएंट पुरानी उम्मीदों को तोड़ रहे हैँ। इसलिए सावधानियों के अलावा कोई और बचाव नहीं है।
नया इंडिया
Gulabi
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