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- नो मोर गांव जनाब!
ज्यो ही होरी का स्वर्ग प्रवास पूरा हुआ तो स्वर्ग के वारंट अधिकारी ने होरी को अपने पास बुला उसकी गांव वापसी का उसको वारंट थमाते उससे कहा, 'हे डियर होरी! कर्मों के हिसाब से जितने समय तुम स्वर्ग में रह सकते थे, वह समय अब पूरा हो गया है। अतः अब…ये लो अपने जाने के कागजात और…।' 'तो अब साहब?' होरी ने उन कागजों को स्वर्ग के वारंट अधिकारी से लेते पूछा। 'अब तुम्हें अपने गांव वापस जाना होगा।' 'पर साहब! वहां जाकर तो फिर मैं…साहब! पहले की तरह मेरा शोषण करने वाले तो वहां अभी भी जिंदा हैं साहब!' 'देखो! हम तुम्हें सरकार के मुंह लगों की तरह एक्सटेंशन नहीं दे सकते। इसलिए कल की मृत्युलोक जाने वाली ट्रेन से तुम अपने गांव…।' तब होरी ने स्वर्ग के वारंट अधिकारी से दोनों हाथ जोड़े कहा, 'साहब! कुछ और कृपा कर देते तो…आपकी कसम साहब! मुंह में कीड़े पड़ें, मरे को घोर नरक मिले जो झूठ बोलूं तो! साहब! अब मेरे गांव में बचा ही क्या है गांव वाला जनाब! जिस गांव पर कभी गांव वालों का कब्जा होता था, उस गांव पर आज शहर वालों का कब्जा हो गया है जनाब! मेरे गांव में मेरे समय का गांव वाला अब एक भी नहीं है हुजूर! सब एडवांस से आगे के एडवांस।