सम्पादकीय

और पाबंदियां नहीं, जानें क्या-क्या अडवाइजरी जारी कर रही हैं राज्य सरकारें

Subhi
2 April 2022 4:00 AM GMT
और पाबंदियां नहीं, जानें क्या-क्या अडवाइजरी जारी कर रही हैं राज्य सरकारें
x
दो साल से कोरोना के साये में सख्तियों के बीच जीने को मजबूर देशवासियों को थोड़ी और राहत मिली है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और वित्तीय राजधानी मुंबई में अब मुंह पर मास्क लगाए रखना अनिवार्य नहीं रहा।

नवभारत टाइम्स; दो साल से कोरोना के साये में सख्तियों के बीच जीने को मजबूर देशवासियों को थोड़ी और राहत मिली है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और वित्तीय राजधानी मुंबई में अब मुंह पर मास्क लगाए रखना अनिवार्य नहीं रहा। दिल्ली में मास्क न लगाने वालों पर अब जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने भी 2 अप्रैल से कोविड संबंधी सारी पाबंदियां खत्म करने का एलान किया है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में या तो पाबंदियां पूरी तरह हटा ली गई हैं या उनमें कमी लाई गई है या उस पर गंभीरता से विचार करने की बात कही गई है। जाहिर है, इसके पीछे कोरोना के मामलों में देश भर में आई गिरावट है। रोज सामने आने वाले नए मामलों की संख्या अब बारह से साढ़े बारह सौ के बीच आ गई है।

देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामले अभी 14307 हैं। अगर इन्फेक्शन के सभी मामलों में इसका अनुपात देखें तो यह मात्र 0.03 फीसदी बैठता है। दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बिस्तरों में 99.4 फीसदी खाली हैं। जाहिर है, ऐसी स्थिति में कोरोना से जुड़े प्रतिबंध जारी रखते हुए लोगों की स्वाभाविक गतिविधियों में बाधा डालने का कोई मतलब नहीं बनता। इससे आर्थिक विकास की धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही प्रक्रिया भी बाधित होगी। मगर सबसे बड़ी बात इस संदर्भ में यह है कि कोरोना की महामारी का स्वरूप पहले दिन से वैश्विक रहा है। इसलिए सिर्फ अपने देश की स्थितियों के आधार पर इसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। और जहां तक विदेशों की बात है तो यह कई देशों में आज भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है।

खासकर चीन एकाधिक बार इसे काबू में कर लेने के बावजूद अभी एक बार फिर कई इलाकों में सख्त लॉकडाउन घोषित करने पर मजबूर हुआ है। ऐसे में इसे हम बीती हुई बात के रूप में नहीं ले सकते। संभवत: इसीलिए अपने देश में भी सरकारें पाबंदिया हटाने की घोषणा करते हुए भी नागरिकों को सलाह यही दे रही हैं कि वे मास्क पहनने और दो गज दूरी रखने जैसी सावधानियों में अपने स्तर पर कमी न आने दें।

यह भी स्पष्ट है कि आम लोगों पर से भले पाबंदियां हटाई जा रही हों, अस्पतालों में आ रहे मामलों के जरिए कोरोना की स्थिति पर भी नजर रखी जाएगी और तय किए गए तबकों में तेज टीकाकरण के माध्यम से उसके खिलाफ लड़ाई भी पूरी तत्परता से जारी रखी जाएगी। इसलिए जरूरी है कि आम नागरिक पाबंदियां हटाने के इस फैसले को कोरोना से मुक्ति के संकेत के रूप में न लें। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि वायरस से लड़ाई के मौजूदा चरण में कानून की सख्ती के मुकाबले नागरिकों की समझदारी को ज्यादा कारगर माना जा रहा है।


Next Story