सम्पादकीय

औरतें कॅरियर में कितनी भी आगे क्‍यों न बढ़ जाएं, मर्दों से कम ही रहती हैं

Rani Sahu
14 Dec 2021 8:02 AM GMT
औरतें कॅरियर में कितनी भी आगे क्‍यों न बढ़ जाएं, मर्दों से कम ही रहती हैं
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हेल्‍थ अफेयर्स में दो दिन पहले ये स्‍टडी छपी तो थोड़ा हड़कंप जैसा तो कुछ मचना चाहिए था

मनीषा पांडेय हेल्‍थ अफेयर्स में दो दिन पहले ये स्‍टडी छपी तो थोड़ा हड़कंप जैसा तो कुछ मचना चाहिए था. सारे इंटरनेशनल मीडिया को प्रमुखता से यह खबर छापनी चाहिए थी. लेकिन आश्‍चर्य नहीं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स, वॉशिंगटन पोस्‍ट और वॉल स्‍ट्रीट जरनल में भी ये खबर बीच के पन्‍नों में डेढ़ कॉलम छपी है. प्रमुखता से नहीं, मुख्‍य पन्‍ने पर नहीं, बड़ी, बोल्‍ड हेडलाइन के साथ नहीं.

ये स्‍टडी कह रही है कि अमेरिका में महिला डॉक्‍टर अपने 40 साल के कॅरियर में अपने सहकर्मी पुरुष डॉक्‍टर के मुकाबले 2 मिलियन डॉलर यानी 15 करोड़, 18 लाख, 32 हजार रु. कम कमाती हैं. इस स्‍टडी में अमेरिका के अस्‍सी हजार तीन सौ डॉक्‍टरों को शामिल किया गया है यानि सैंपल साइज अच्‍छा-खास बड़ा है. इन डॉक्‍टरों का डेटा डॉमिक्सिटी से लिया गया है, जो अमेरिका का सबसे बड़ा मेडिकल प्रोफेशनल्‍स का नेटवर्क है और जिसका दावा है कि वो अमेरिका की 90 फीसदी मेडिकन प्रोफेशन से जुड़ी आबादी को कवर करता है.
2014 से लेकर 2019 तक अमेरिका के 80 हजार से ज्‍यादा महिला और पुरुष डॉक्‍टरों ने डॉमिक्सिटी को अपनी कुल आय का डेटा दिया और उस डेटा के विश्‍लेषण के बाद ये चौंकाने वाला तथ्‍य सामने आया, जिसे देखकर मर्द तो थोड़ा चौंकने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन महिला डॉक्‍टरों को ये सुनकर आश्‍चर्य भी नहीं हो रहा.
मैंने ये स्‍टडी अपनी पांच महिला डॉक्‍टर मित्रों के साथ शेयर की और उनसे पूछा कि इसे पढ़ने के बाद वो क्‍या महसूस कर रही हैं. दिल्‍ली के एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में बतौर गाइनिकॉलजिस्‍ट पिछले 17 सालों से काम कर रही है एक महिला डॉक्‍टर अपना और अस्‍पताल का नाम उजागर न करने की शर्त पर कहती हैं, "ये अमेरिका की स्‍टडी है. मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि अगर ऐसी कोई स्‍टडी इंडिया में हो तो एक जैसी डिग्री, अनुभव और विशेषज्ञता वाले महिला और पुरुष डॉक्‍टरों की आय में जमीन-आसमान का फर्क दिखाई देगा. मैं जिस हॉस्पिटल में काम करती हूं, वहां महिला और पुरुष डॉक्‍टर की सैलरी में 30 फीसदी से लेकर 70 फीसदी से तक का फर्क है. जबकि दोनों का एक्‍सपर्टीज बिलकुल बराबर है. आप कल्‍पना कर सकती हैं कि इंटरनेशनल लेवल के प्राइवेट अस्‍पतालों में पुरुष गाइनिकॉलजिस्‍ट की तंख्‍वाह महिला गाइनिकॉलजिस्‍ट के मुकाबले दुगुनी है. कोई इस बारे में बात नहीं करता. पुरुष स्‍वीकार नहीं करते और महिलाएं चुप रहती हैं. लेकिन ये हमारे जीवन का ऐसा कठोर सच है‍, जो आपके आंखें मूंद लेने से बदल नहीं जाता."
कुछ साल पहले न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्‍कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर और गैस्‍ट्रोऐटेरालॉजिस्‍ट डॉ. सोफी एम. बाल्‍जोरा ने भी निजी स्‍तर पर कई सालों तक की गई अपनी स्‍टडी में पाया कि अमेरिका में एक जैसी विशेषज्ञता वाले महिला और पुरुष डॉक्‍टरों की तंख्‍वाहों में 57 फीसदी का फर्क है. और ये हाल तब है, जब पिछले दो दशकों से अमेरिका में महिला डॉक्‍टर लगातार इस सवाल को उठा रही हैं और इस फर्क के प्रति आंखें मूंदें रहना या इससे पूरी तरह इग्‍नोर करना मुमकिन नहीं है.
1999 में डॉ. जेनिस ऑर्लोव्‍स्‍की शिकागो के रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की डीन और एसोसिएट वाइस प्रेसि‍डेंट थीं. उनकी बाकी जिम्‍मेदारियों में से एक प्रमुख जिम्‍मेदारी ये भी थी कि वहां के सभी डॉक्‍टरों और मेडिकल स्‍टाफ की सैलरी में एकरूपता और समानता को सुनिश्चित किया जाए. डॉ. जेनिस कहती हैं कि जब उन्‍होंने यह पदभार संभाला तो उन्‍हें यह देखकर बेहद आश्‍चर्य हुआ कि कैसे महिला और पुरुष डॉक्‍टरों की सैलरी में 10 से 20 गुना तक का फर्क था. बहुत सारी महिला डॉक्‍टर लगातार कई सालों से एक ही सैलरी पर काम कर रही थीं, लेकिन पुरुष डॉक्‍टरों की सैलरी में लगातार इजाफा हो रहा था.
इस स्‍टडी में शामिल 80,000 डॉक्‍टरों के काम के घंटों, रोगियों की संख्‍या आदि को भी ध्‍यान में रखकर दोनों की आर्थिक आय में इस फर्क को अंडरलाइन किया गया है. ऐसा नहीं है कि यदि महिला डॉक्‍टरों की आय पुरुष डॉक्‍टरों के मुकाबले कम है तो इसकी वजह उनके काम के कम घंटे या उनके रोगियों की संख्‍या कम होना है. महिलाएं उतना ही काम कर रही हैं, जितना कि पुरुष, लेकिन फिर भी उनकी सैलरी पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले बहुत कम है.
वैसे ये दुनिया की पहली ऐसी स्‍टडी नहीं है, जो मेडिसिन प्रोफेशन में जेंडर पे गैप की ओर इशारा कर रही है. अमेरिका की फेमिनिस्‍ट स्‍कूल ऑफ स्‍टडीज के डेटा की माने तो उनके पास दुनिया भर हुई ऐसी 270 स्‍टडीज हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में जेंडर पे गैप को हाईलाइट रही हैं. जो बता रही हैं कि पूरी दुनिया में औरतों को एक जैसे काम के पुरुषों के मुकाबले 10 से लेकर 90 गुना तक कम पैसे मिलते हैं.
मुंबई के एक प्राइवेट अस्‍पताल में एक महिला एंडोक्राइनोलॉजिस्‍ट कहती हैं, "आप किसी समस्‍या के समाधान के बारे में सोचेंगे तो तब, जब आप यह स्‍वीकार करें कि हां, ये कोई समस्‍या है. ये हो रहा है और ये जो हो रहा है, वो गलत है. ये भेदभाव है, असमानता है, स्त्रियों के टैलेंट, काम और श्रम का अपमान है." वो बताती हैं कि मैं और मेरे पति दोनों एंडोक्रोनोलॉजिस्‍ट हैं और मुमकिन है आपको ये जानकर आश्‍चर्य हो कि मेरे पेशेंट्स की संख्‍या मेरे पति से ज्‍यादा है, लेकिन मेरे हसबैंड की इनकम मुझसे डबल है. ये बात मैं हॉस्पिटल में तो क्‍या, अपने पति के सामने भी नहीं करती क्‍योंकि उनका इगो आहत हो जाएगा.
मैं इस स्‍टोरी के लिए जिन भी महिला डॉक्‍टरों से बात करने की कोशिश की, उनमें से कोई अपने नाम और पहचान के साथ बात करने को राजी नहीं हुईं. हम कल्‍पना कर सकते हैं कि इस भेदभाव को लेकर चुप्‍पी का आलम कितना गहरा है. सिर्फ एक मर्द डॉक्‍टर से ये सवाल किया तो जैसेकि उम्‍मीद थी, वो पूरी तरह डिनायल में ही नजर आए. उनका कहना था कि फर्क तो है, लेकिन मेडिकल प्रोफेशन में नहीं है. अब तो महिलाएं भी सर्जन हैं, स्‍पेशलिस्‍ट हैं और अच्‍छा-खासा पैसा कमा रही हैं. उन्‍हें अब भी यही लगता है कि एक मजदूर औरत की दिहाड़ी मजदूर मर्द से कम होती है. उनके अस्‍पताल में तो सब ठीक है.
लेकिन सवाल ये नहीं है कि महिला डॉक्‍टर अच्‍छा पैसा कमा रही हैं या नहीं. सवाल ये है कि समाज के अन्‍य क्षेत्रों की महिलाओं से ज्‍यादा कमाने के बावजूद वो अपने सहकर्मी पुुरुष डॉक्‍टरों के मुकाबले कितना कम पैसा कमा रही हैं. जेंडर पे गैप एक ऐसी रिएलिटी है, जिसकी ओर पूरी दुनिया के मर्दों ने आंखें मूंद रखी हैं.
जैसाकि मुंबई की उस महिला एंडोक्रोनोलॉजिस्‍ट ने कहा कि समस्‍या का निदान तो तब होगा, जब आप उसे स्‍वीकार करें. समस्‍या यहीं पर है. ये एक ऐसा सच है तो समाज में सत्‍ता और प्रभुत्‍व की पोजीशन पर बैठे मर्दों को दिखाई ही नहीं देता. जेंडर पे गैप का सवाल आते ही मर्द डिफेंसिव मोड में आ जाते हैं और इसे कोई 50 साल पुराना सच बताने लगते हैं. उन्‍हें लगता है कि अब तो दुनिया बदल गई है. लेकिन ये दुनिया कितनी बदली है, ये सच गाहे-बगाहे इस तरह के अध्‍ययनों में सामने आ ही जाता है. ये बात अलग है कि मर्द तब भी शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धंसाए पड़े रहें.
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