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मेडिकल छात्रों की तरह लॉ स्टूडेंट्स (Law Students) को भी जल्द ही देश के ग्रामीण इलाकों में इंटर्नशिप करनी होगी. कानूनी शिक्षा के विशेषज्ञों के मुताबिक, यह काफी अच्छा कदम है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक लागू करने से पहले इसके रास्ते में आने वाली रुकावटों को दूर करना बेहद अहम है. NLU के लॉ फाइनल ईयर के छात्रों को पैरालीगल वॉलंटियर के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में जाने और वंचितों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा जा सकता है. यह बिल्कुल उसी तरह है, जैसे एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को पीजी से पहले गांवों में प्रैक्टिस करने के लिए भेजा जाता है. इस कदम से गांवों को फायदा होगा, लेकिन इसे लागू करने से पहले कई मोर्चों पर काम किया जाना चाहिए.
इस कदम की वजह से उन वकीलों को सामाजिक रूप से बढ़ावा मिलेगा, जो वंचित और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति रखते हैं. हालांकि, इस कॉन्सेप्ट का फायदा उठाने के लिए उन छात्रों की मदद के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा होना चाहिए, जो शहरी क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं. इस प्रस्तावित कदम को लेकर विशेषज्ञों की राय क्या है, इस पर एक नजर डालते हैं…
लॉ स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत
राजस्थान स्थित आरएनटी लॉ कॉलेज में लॉ प्रोफेसर समीना परवीन ने टीवी 9 को बताया, 'लॉ स्टूडेंट्स ग्रामीण या शहरी इलाकों में इंटर्न करते हैं या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. इंटर्नशिप का एकमात्र उद्देश्य प्रैक्टिस और छात्रों को हाई क्वालिटी लीगल असिस्टेंस देने के लिए तैयार करना है. इस मामले में सिर्फ एक ही चीज मायने रखती है. वह ऑन-ग्राउंड अनुभव और विकास है. मुझे नहीं लगता कि छात्रों का विकास सिर्फ रूरल इंटर्नशिप से ही हो सकता है. इसकी जगह अगर बदलाव लाना है तो लॉ स्कूलों में कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता में नाटकीय रूप से सुधार करने की जरूरत है.'
छात्रों को सीखना होगा कि क्लासरूम कॉन्सेप्ट को असल दुनिया में कैसे लागू करें
परवीन ने कहा, 'यह चुनने का विकल्प छात्रों को दिया जाना चाहिए. यदि कोई छात्र गांव के कल्चर को समझना चाहता है और रूरल लॉ इंटर्नशिप करना चाहता है तो उन्हें इसका मौका देना चाहिए. इस मामले में छात्रों पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए. पिछले साल भी हमारे छात्र लॉ इंटर्नशिप के लिए गए थे. इनमें से कुछ ने कॉर्पोरेट सेक्टर, कुछ ने उच्च न्यायालयों और कई ने जिला न्यायालयों के साथ इंटर्नशिप की. इंटर्नशिप के बाद छात्रों की नॉलेज में जो इजाफा हुआ, वह सराहनीय थी.' उन्होंने कहा कि एक वकील की तरह सोचिए कि लॉ स्कूल आपको सिर्फ मौलिक कानून सिखाता है, लेकिन एक अच्छी इंटर्नशिप में आप सीख पाएंगे कि क्लासरूम में की गई पढ़ाई को वास्तविक दुनिया में कैसे लागू कर सकते हैं.
खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से जिला अदालतों से नहीं जुड़ते NLU के अधिकांश छात्र
नोएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हर्ष कुमार ने टीवी 9 को बताया, 'ग्रामीण क्षेत्रों में लॉ इंटर्नशिप की निगरानी के लिए स्किल्ड इंडस्ट्री गाइड ढूंढना आसान नहीं है. इस तथ्य पर भी गौर करना चाहिए कि सभी प्रतिष्ठित कानून फर्म और कानूनी विशेषज्ञ उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालयों में प्रैक्टिस करना ज्यादा पसंद करते हैं न कि ग्रामीण क्षेत्रों में लॉ इंटर्नशिप जैसी पहल में.
हैदराबाद स्थित NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के कुलपति फैजान मुस्तफा ने एजुकेशन टाइम्स को बताया, 'लॉ यूनिवर्सिटीज से निकलने वाले अधिकांश छात्र कॉर्पोरेट सेक्टर जॉइन कर रहे हैं. वे मुकदमे नहीं लड़ रहे हैं और अगर मुकदमे लड़ भी रहे हैं तो उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित मामलों पर काम कर रहे हैं. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) के अधिकांश छात्र बेहद खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से जिला अदालतों से नहीं जुड़ते हैं. भारत के चीफ जस्टिस (CJI) सुझाव दे चुके हैं कि देश में जुडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन होना चाहिए और हमें निचली अदालत के बुनियादी ढांचे में सुधार करना चाहिए.
परवीन कहती हैं, 'कानून की पारंपरिक समझ के उलट अब मुकदमेबाजी पर ध्यान ज्यादा बढ़ गया है. आज के वकीलों के पास इसके लिए पर्याप्त मौके और विकल्प मौजूद हैं. फिलहाल, लॉ सेक्टर में करियर बनाने के लिए इंटर्नशिप को बेहद अहम बताया जा रहा है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह उतना फायदेमंद कदम है, जितना इसे बताया जा रहा है.
Rani Sahu
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