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बिहार के सीएम नीतीश कुमार जुलाई 2017 से बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं
डॉ. भारत अग्रवाल। बिहार के सीएम नीतीश कुमार जुलाई 2017 से बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं। लेकिन 2015 से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगना उनका खास शगल रहा है, जो बीजेपी को ज्यादा रास नहीं आता है। अब उन्होंने विशेष दर्जे का अभियान फिर शुरू कर दिया है। इससे पहले वह जाति आधारित जनगणना को लेकर बीजेपी की लाइन के खिलाफ गए थे।
एनडीए और लालू पार्टी के साथ महागठबंधन के बीच पाला बदलने का नीतीश का अपना इतिहास रहा है। अटकलें हैं कि वह फिर पाला बदलने की योजना बना रहे हैं। अगर ऐसा हुआ, तो टारगेट 2024 का आम चुनाव ही होगा। क्योंकि 2024 बीत गया तो, 2025 में विधानसभा चुनाव में नीतीश के पास यह विकल्प शायद नहीं रह जाएगा।
यूपी वाया बिहार !
एक हैं मुकेश साहनी। बिहार सरकार में मंत्री हैं। विकासशील इंसान पार्टी माने वीआईपी नाम से एक छोटी पार्टी के नेता हैं, जिसके चार विधायक हैं। लेकिन सरकार को स्थिर रखने के लिए यह चार महत्वपूर्ण हैं। अब मुकेश साहनी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में आने वाले चुनाव में बीजेपी उनकी पार्टी को कुछ सीटें दे दे। लेकिन बीजेपी का मानना है कि यूपी में उनका कोई प्रभाव नहीं है। अब मुकेश साहनी इसके लिए बिहार सरकार की स्थिरता को लेकर दबाव बना रहे हैं। माने पहले नीतीश कुमार दबाव में आएं, और फिर बीजेपी पर दबाव बनाएं।
सरकार मिलीजुली, राजनीति अपनी
फरवरी 2022 में बीएमसी के चुनाव होने हैं। और शिवसेना ने केवल एनसीपी के साथ गठबंधन का फैसला किया है, कांग्रेस के साथ नहीं। राज्य सरकार की महाअघाड़ी में कांग्रेस भी है। माना जा रहा है कि शिवसेना खुद को कांग्रेस से दूर कर रही है क्योंकि बीजेपी से मुकाबले के लिए वह निकाय चुनाव में हिंदुत्व का रास्ता अपनाना चाहती है और उसे पता है कि कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
उधर कांग्रेस के लिए अकेले चुनाव लड़ना खतरनाक हो सकता है। लिहाजा राहुल गांधी उद्धव ठाकरे से मिलने की योजना बना रहे हैं। इससे पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने दिल्ली में सोनिया-राहुल दोनों से मुलाकात की। माने कोई बीच का रास्ता निकालना असंभव नहीं है। उधर शिवसेना यूपी चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन का भी प्रस्ताव रख सकती है, लेकिन इससे कांग्रेस के मुस्लिम वोट खो सकते हैं।
बनेगा सवर्ण आयोग !
आजादी के बाद से देश में कई आयोग गठित हुए। जैसे अनुसूचित जाति-जन जाति, पिछड़ा वर्ग आयोग। मोदी सरकार अब सवर्ण आयोग के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है जिसमें गरीब एवं जरूरतमंद सवर्णों को लाभ पहुंचाया जा सके।
खिलाड़ी होबे
पंजाब में खेला होबे या ना होबे, खिलाड़ी तो होबे। क्रिकेटर-सह-कमेंटेटर- सह कॉमेडी जज-सह नेता नवजोत सिंह सिद्धू अपने साथ एक और खिलाड़ी हरभजन सिंह को लाकर उन्हंे जालंधर से कांग्रेस टिकट देने का भरोसा दे रहे हैं। युवराज सिंह पर भी वह डोरे डाल रहे हैं। लेकिन युवराज के साथ दिक्कत है कि उनके पिता योगराज के भी कांग्रेस से लड़ने की संभावना है। सिद्धू का आकलन है कि ऐसा हुआ तो युवराज कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे।
किसको दें, किसका काटें !
गोवा के पिछले चुनाव में कांग्रेस 40 में से 17 सीट जीती थी, लेकिन सरकार बना ली बीजेपी में। बाद में कांग्रेस के 10 विधायक दल बदलकर बीजेपी में चले गए। फिर बाकी पांच में चार दूसरी पार्टियों में चले गए। यानी कांग्रेस का कुनबा लगभग खाली हो गया। विधायक के बाद पार्टी कार्यकर्ता न भागने लगे इसलिए 10 प्रत्याशियों की सूची कांग्रेस ने जारी कर दी। कांग्रेस से उलट बीजेपी की दिक्कत दूसरी है।
बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को टिकट दे या कांग्रेस से पाला बदल कर आए लोगों को टिकट दे, इसको लेकर असमंजस की स्थिति में है। यदि अपने पुराने लोगों का टिकट काटा तो वो दूसरे दलों में जा सकते हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम मनोहर पार्रिकर के पुत्र उत्पल पार्रिकर का है जो चुनाव लड़ने पर आमादा है और यदि बीजेपी से टिकट नहीं मिली तो वह कांग्रेस, टीएमसी या आप में जा सकते हैं। अन्य दलों के लिए यह बड़ा कैच हो सकता है।
नोट पैड के साथ पीएम
किसी के साथ मुलाकात के दौरान पीएम को नोट पैड रखे हुए शायद ही कभी देखा गया हो। लेकिन जब आईएमएफ की पूर्व प्रमुख गीता गोपीनाथ ने पीएम से मुलाकात की तो वह एक नोट पैड लिए हुए थे। इससे आर्थिक सुधारों को लेकर उनकी उत्सुकता देखी जा सकती है।
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