सम्पादकीय

निराकार बाबा और NSE : सेबी की 6 साल लंबी जांच का नतीजा पूरी तरह से कन्फ्यूजिंग क्यों है?

Gulabi
21 Feb 2022 7:58 AM GMT
निराकार बाबा और NSE : सेबी की 6 साल लंबी जांच का नतीजा पूरी तरह से कन्फ्यूजिंग क्यों है?
x
निराकार बाबा और NSE
प्रवीण कुमार।
पायलट बाबा और कंप्यूटर बाबा के बाद भारत में आजकल एक और बाबा सुर्खियां बटोर रहा है. कह सकते हैं डिजिटल इंडिया (Digital India) का पहला डिजिटल बाबा. निराकार बाबा का तमगा भी बुरा नहीं है. 6 साल की जांच में सरकारी एजेंसियां भी इस बाबा का पता नहीं लगा पाई. इस बाबा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह ई-मेल के जरिये अजब-गजब संवाद करता रहा. वह भी किसी मामूली हस्ती से नहीं, बल्कि दुनिया की गिनी-चुनी ताकतवर महिला उद्यमियों में शुमार चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) से. ये वही चित्रा रामकृष्णा हैं जिनका नाम भारत के सबसे बड़े फाइनेंशियल मार्केट नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National stock exchange) के संस्थापक सदस्य के तौर पर जुड़ा है और अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच बतौर पहली महिला सीईओ और एमडी एनएसई में काम कर चुकी हैं. अब इस निराकार बाबा से चित्रा के रिश्ते क्या थे या बाबा के कहने पर चित्रा ने एनएसई में कौन-कौन सी कारगुजारियां की, ये सब एक अलग जांच का विषय है, लेकिन इस निराकार बाबा के आविष्कार का श्रेय तो चित्रा रामकृष्ण को दिया ही जाना चाहिए.
तीन पात्रों वाली कहानी पूरी फिल्मी है
डिजिटल बाबा की कहानी पूरी फिल्मी है. इस कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं. हिमालय क्षेत्र में रहने वाला निराकार बाबा, एनएसई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्णा और ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम. चित्रा कई साल तक निराकार बाबा के इशारे पर एक्सचेंज की सारी गोपनीय जानकारी ई-मेल के जरिये साझा करती रहीं और उसी बाबा की सलाह पर 15 लाख रुपए के पैकेज वाले एक मैनेजर आनंद सुब्रमण्यम को 1.38 करोड़ रुपए के सालाना पैकेज पर नियुक्ति दे दी. ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं. आखिर हिमालय में रहने वाला ये निराकार बाबा है कौन, जिसके इशारे पर ये पूरा खेल चल रहा था? आनंद सुब्रमण्यम कौन शख्स है जिसे करोड़ों के पैकेज पर चित्रा ने नियुक्ति दी थी? सेबी को इस बारे में कैसे पता चला? और जब पता चला तो सेबी ने क्या किया?
जहां तक बाबा का सवाल है तो उसके रहस्य से अभी तक पूरी तरह से पर्दा उठ नहीं पाया है. हां, [email protected] के पते वाली बाबा की ईमेल आईडी जरूर मिली है जिसके जरिए चित्रा बाबा से पूछा करती थीं कि किस कर्मचारी को कितनी रेटिंग देनी है और किसे प्रमोशन देना है. बोर्ड मीटिंग का एजेंडा तक बाबा से साझा किया जाता था. चित्रा रामकृष्णा और आनंद सुब्रमण्यम चूंकि भौतिक पात्र हैं लिहाजा इन दोनों के किस्से मीडिया में दिखाए तो जा रहे हैं लेकिन उतना ही जितना सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में जिक्र किया है. इससे इस पूरे फिल्मी कहानी की भयावहता का अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो रहा है. चित्रा रामाकृष्ण मूल रूप से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. 2013 में वह एनएसई की पहली महिला एमडी और सीईओ बनी थीं. 2016 में चित्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. सेबी को पूछताछ में चित्रा ने बताया कि वह हिमालय के एक रहस्यमयी बाबा की सलाह पर अपने फैसले लेती थीं.
जहां तक आनंद सुब्रमण्यम की बात है तो बाबा की सलाह पर ही चित्रा ने उसे 1 अप्रैल 2013 को चीफ स्ट्रैटजिक ऑफिसर बनाया था. फिर 1 अप्रैल 2015 को प्रमोट कर ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर व एमडी और सीईओ का सलाहकार बनाया गया. 21 अक्टूबर 2016 तक वह इस पद पर रहे. 2016 तक आनंद का पैकेज बढ़ाकर 4.21 करोड़ रुपये कर दिया गया था. हालांकि साल 2015 में जब एक व्हिसलब्लोअर ने को-लोकेशन स्कैम की शिकायत की थी तभी से बाजार नियामक संस्था सेबी हरकत में आ गया था. को-लोकेशन स्कैम का मतलब होता है एक्सचेंज की बिल्डिंग में सर्वर के करीब जगह देकर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाना. तब इसमें चित्रा का भी नाम सामने आया था. सेबी ने चित्रा को उस वक्त शो कॉज नोटिस भेजा जरूर था, लेकिन 2016 में पहले आनंद और फिर चित्रा के इस्तीफे सामने आए तो सेबी को लगा कि मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. पूरे 6 साल बाद सेबी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद पिछले हफ्ते जो रिपोर्ट मीडिया से शेयर की उसमें इस तथ्य से खलबली मच गई कि किस तरह से हिमालय में बैठे बाबा के इशारे पर एनएसई की चीफ चित्रा फैसले लेती थीं.
सेबी की जांच रिपोर्ट में छेद ही छेद
बाजार नियामक सेबी अपनी जांच में यह पता लगाने में पूरी तरह से विफल रहा कि ये बाबा है कौन जिससे नेशनल स्टाक एक्सचेंज की सारी जानकारी साझा की जा रही थीं. सेबी ने जब चित्रा से पूछा कि बाबा अगर निराकार हैं तो ईमेल कैसे करते हैं तो चित्रा का जवाब था, आध्यात्मिक शक्तियों को ऐसी भौतिक चीजों की जरूरत नहीं पड़ती है. सेबी की जांच से ऐसा लगता है कि बाबा कोई और नहीं, बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही है. सेबी के मुताबिक, एनएसई भी अपनी जांच में इसी नतीजे पर पहुंचा था. कंसल्टेंसी फर्म E&Y के फॉरेंसिक ऑडिट में भी कहा गया है कि चित्रा रामकृष्णा को खुद आनंद सुब्रमण्यम डायरेक्ट कर रहा था. सुब्रमण्यम के डेस्कटॉप पर anand.subramanian9 और sironmani.10 नाम से स्काइप अकाउंट मिले थे. ये अकाउंट [email protected] और सुब्रमण्यम के मोबाइल नंबर से जुड़े थे. हालांकि सेबी इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं खोज पाई है लिहाजा कार्रवाई उस रूप में नहीं की जा सकी. चित्रा रामकृष्णा भी इस तथ्य से सहमत होती नहीं दिखीं कि निराकार बाबा और आनंद सुब्रमण्यम एक ही शख्स के दो रूप हैं. कहने का मतलब यह कि निराकार बाबा निश्चित रूप से तीसरा किरदार है जिसके कहने पर आनंद सुब्रमण्यम को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी.
आर्थिक पत्रकार सुचेता दलाल ने भी अपनी रिपोर्ट में सेबी पर कई सवाल उठाए हैं. चित्रा की नियुक्ति को लेकर जब सवाल उठे थे तो सेबी 10 साल तक क्यों सोती रही? जांच से यह भी पता नहीं चलता है कि बाबा और चित्रा ने किस तरह के वित्तीय लेन-देन किए हैं? दोनों कहां-कहां छुट्टियां मनाने गए? तब इन दोनों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सुचेता दलाल के मुताबिक, एनएसई के मौजूदा सीईओ की सोच यह है कि चूंकि चित्रा इस्तीफा दे चुकी हैं तो कार्रवाई नहीं हो सकती. अगर ऐसा होने लगे तो इस दलील से कोई भी फ्रॉड कर इस्तीफा दे देगा तो क्या उसपर कार्रवाई नहीं होगी? यह अपने आप में बड़ा सवाल है.
चेन्नई के बाबा पर अटूट भरोसा करती थी चित्रा
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट में इस मामले को लेकर जिस एंगल का जिक्र किया गया है उसके मुताबिक, एनएसई में काम करने वाले कुछ पुराने लोगों का कहना है कि वे चित्रा रामकृष्णा को बहुत पहले से जानते हैं. चेन्नई में एक बाबा रहते थे जिनपर चित्रा का अटूट विश्वास था. वह अक्सर चेन्नई जाया करती थीं. इस बाबा का नाम मुरुगडिमल सेंथिल स्वामिंगल था. स्वामिंगल एक तमिल शब्द है जिसका मतलब 'बाबा' होता है. चित्रा उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं. कहते हैं आनंद सुब्रमण्यम की भी उस बाबा के काफी निकटता था. हालांकि इस बाबा का कुछ साल पहले देहांत हो चुका है. संभव है उसी बाबा के कहने पर चित्रा रामकृष्ण ने कुछ लोगों को स्टॉक एक्सचेंज में नौकरी दी हो. आनंद सुब्रमण्यम भी उनमें से एक हो सकते हैं. बहरहाल, अगर यह साबित हो जाता है कि निराकार बाबा और आनंद सुब्रमण्यम एक ही शख्स हैं तो निराकार बाबा को भेजे गए मेल बाहरी को भेज गए नहीं माने जाएंगे. ऐसी स्थिति में सारे ईमेल अंदर के ही आदमी को भेजे माने जाएंगे. इससे चित्रा पर लगे आपराधिक आरोप खारिज हो सकते हैं. लेकिन चित्रा इस तथ्य को खुद ही खारिज कर कहानी को दोराहे पर खड़ी कर रही हैं कि तीसरा शख्स आनंद सुब्रमण्यम नहीं था. कहने का मतलब यह कि सेबी की 6 साल की लंबी जांच का नतीजा पूरी तरह से कन्फ्यूजिंग है. इससे सेबी, एनएसई, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सभी की इमेज दांव पर है. सवाल उठ रहे हैं कि ये सब क्यों हुआ? इसे क्यों इग्नोर किया गया? पेनाल्टी लगाकर कार्रवाई की इतिश्री तो नहीं की जा रही है?
बहरहाल, यह कहानी भले ही एक अज्ञात और निराकार डिजिटल बाबा की हो और सुनने में दंतकथा जैसी लगती हो, लेकिन जिस निराकार बाबा के ई-मेल पर एक वक्त में नेशनल स्टाक एक्सचेंज की हर जानकारी साझा की गई हो और जिसके बारे में जांच एजेंसियां छह साल की जांच के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी हो, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या डिजिटल इंडिया की जांच तकनीकी रूप से इतनी कमजोर है कि वह एक ऐसे ईमेल का पता नहीं लगा पा रही है जहां से उसे संचालित किया जा रहा था. चुनावी प्रचार से फुरसत मिल जाए तो निश्चित रूप से इस मसले पर सरकार को इसका जवाब देना चाहिए. जिस नेशनल स्टाक एक्सचेंज से कई सौ लाख करोड़ का कारोबार होता हो, करोड़ों लोगों का विश्वास जिस एक्सचेंज से जुड़ा हो उस एक्सचेंज की सीईओ एक निराकार बाबा के प्रभाव में फैसले ले रही हो, आखिर यह कोई छोटी-मोटी घटना तो है नहीं. अगर यह सच वाला सच है तो देश के साथ इससे बड़ा फ्रॉड कुछ और हो नहीं सकता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Next Story