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प्रतीकात्मक तस्वीर
पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल में होने जा रहा फेरबदल जितना स्वाभाविक है, उतने ही गहरे उसके निहितार्थ हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीम में चार नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर, कुछ दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल से हटाकर पार्टी संगठन में भेज दिया जाएगा। यह फेरबदल वरिष्ठ मंत्री पार्थ चटर्जी के दुखद विवाद या नकदी कांड में फंसने के बाद अवश्यंभावी हो गया था। पार्थ चटर्जी को 23 जुलाई को जैसे ही गिरफ्तार किया गया, ममता सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। पश्चिम बंगाल सरकार की नैतिकता पर बडे़ प्रश्न खडे़ हो गए थे। किसी मंत्री से जुडे़ ठिकानों पर इतनी बड़ी राशि का बरामद होना न केवल दुखद, बल्कि बेहद शर्मनाक भी है। गौर करने की बात है कि पश्चिम बंगाल में 'कट मनी' को लेकर पहले से ही शिकायत थी, लेकिन चुनाव के बाद एक तरह से इस मामले को भुला दिया गया। संकेत यही मिला कि पश्चिम बंगाल में मंत्री भ्रष्टाचार से परहेज नहीं कर रहे हैं। नेताओं की कथनी-करनी का अंतर लोगों के सामने स्पष्ट हो गया है।
hindustan