सम्पादकीय

नए साल का नया गणित

Rani Sahu
31 Dec 2021 7:14 PM GMT
नए साल का नया गणित
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अतीत को पीट कर फिर एक नया साल, हमारे सामने, हमारे साथ और उज्ज्वल उम्मीदों की पलकें खोलते हुए हमें ताक रहा है

अतीत को पीट कर फिर एक नया साल, हमारे सामने, हमारे साथ और उज्ज्वल उम्मीदों की पलकें खोलते हुए हमें ताक रहा है। हर साल अपने साथ लक्ष्यों को बड़ा करता है, तो पाने की हसरतों को चमका देता है। यह दीगर है कि अतीत को समय अपने चक्र में भुला देता है, लेकिन इनसान अपनी गलियों के सन्नाटे में भी उन आहों को चुन लेता है, जो कभी कैद नहीं होतीं। 'सफर के हर मुकाम पर रही होगी, कुछ अपने इरादों की आग सुलगती।' पिछले दो सालों का फिर होगा हिसाब, कितनी चौड़ी छाती करके आ रहा है यह साल। यहां हर आंख को काजल नहीं, देश की हकीकत को पाने की तलब है। थक गए वे पुराने सारे कैलेंडर और बच्चे भूल गए कि आकाश के नीचे घर सजाने को उनका बचपना टहलता था। आश्चर्य यह कि दो सालों से कोरोना ने जिस तरह हमारी उमंगों को कैद करके रखा, उससे कहीं आगे ओमिक्रॉन की हस्ती फिर हमसे रू-ब-रू होकर अनिश्चय लेकर खड़ी है। 2021 के झंझावत में राष्ट्रीय ऊर्जा का क्षरण कई तरह से हुआ, लेकिन वर्ष ने खुद को संवारने की कोशिश में ऐसा उत्साह पैदा किया जिसने बाजार-व्यापार के बंद शटर खुल गए। यह अलग बात है कि केंद्रीय सत्ता से विमुख खेत-खलिहान का संघर्ष राजधानी दिल्ली की चारदीवारी में छेद करता रहा और अंततः कृषि कानूनों का पटाक्षेप उनकी वापसी के साथ हो गया।

पश्चिम बंगाल में सियासत की शेरनी के अवतार में ममता बनर्जी ने सारे भ्रम नहीं तोड़े, मीडिया के झूठ का पर्दाफाश भी किया। बहरहाल पिछले साल ने चुनावों से टकराते हुए राजनीति की उठापटक की और यह दौर नए साल को लांघने के प्रयास में गुत्थम-गुत्था रहेगा। परीक्षा की सियासी प्रताड़ना अगर 2021 के जख्म चुनती रही, तो 2022 का आगाज चुनावी धुंध में प्राण ढूंढ रहा है। राजनीति में सिर धड़ की बाजी का शेखचिल्ली अंदाज उत्तर प्रदेश में खुद को माप रहा है, तो साल के अंत तक गुजरात जैसे राज्य के साथ हिमाचल भी अगले पांच साल की भूमिका तय करेगा। हिमाचल की हैसियत में गुजरा वक्त अगर उधार के आंचल में सांसें लेता रहा, तो आगामी सरकार के लिए प्रदेश का अर्थशास्त्र बहुत ही कठिन प्रश्न लेकर आ रहा है। डबल इंजन पर सवार जयराम सरकार अपने मिशन रिपीट के मोड में कितने पापड़ बेल पाती है, इसका स्वाद पूरा साल बताएगा। पड़ोसी पंजाब में कांग्रेस के आत्मघाती कदमों से कितना भिन्न हिमाचल में पार्टी रह पाती है, यह साल भर का गणित होगा। हिमाचल में यह साल कई वर्गों का गणित करेगा। कर्मचारी पिछले साल के अंत तक हासिल करने की प्राथमिकता में सर्वोपरि रहे हैं, तो नए साल का हर पेंच उनका ही पेंच नहीं होगा, नामुमकिन है।
यह साल चुनावी पेंच में इबारतें लिख रहा है। उत्तर प्रदेश की जमीन पर साल का पौधारोपण, राजनीति को ऐसी छांव दे सकता है जिसके चलते सुकून के मायने बदल जाएंगे। 'कैद नहीं होते सपने टूटकर भी, लौट आते हैं तिनके भी खोई हुई बहारों के'। इसलिए सपनों की न तो कोई मजबूरी और न ही मजदूरी चुन कर यह साल चलेगा, बल्कि आम नागरिक तो अपने सवालों पर गिरी मिट्टी को झाड़ते हुए कभी चूल्हों पर चढ़ी हांडी देखेगा, तो कभी तरकारी में चुनने की कठिन परीक्षा में यह हिसाब लगाता रहेगा कि आलू अधिक सता रहा है या प्याज अधिक रूला रहा है। उसके चूल्हे में हमेशा की तरह समय जलेगा। वह भूल जाएगा कि पिछला साल कितना कड़वा रहा, लेकिन मुफ्त में बंटते राशन और सामाजिक उत्थान की हर राजनीतिक आदत पर एतबार करता रहेगा। घोर आशावादी युवा अपनी डिग्री पर एतबार करता हुआ यह सुनना चाहेगा कि इस वर्ष कितने रोजगार का सृजन होगा। देश के बुद्धिजीवी अपने गणित में सत्ता को हराते रहेंगे, लेकिन राजनीति इस साल भी मध्यम वर्ग को पछाड़ते हुए कहां तक चढ़ जाएगी या किसके सिर से जीत का भूत उतर जाएगा, कोई नहीं जानता। साल भले ही पहेली भर कर आए या नकाब पहन कर आए, हम अपने-अपने उदय के लिए वक्त के नए सांचे बना लेंगे। एक नए सफर के चिन्हों में फिर से जोश भर देंगे। अपने घावों में ठूंठ हो चुके अतीत से कहीं बाहर निकलकर फिर जगाने आ रहा है नववर्ष।

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Rani Sahu

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