- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- नई लहर का डर
नवभारत टाइम्स: जहां एक तरफ देश में कोरोना संक्रमण के नए मामले कम होने से राहत की सांस ली जा रही है, वहीं दूसरी तरफ दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप के देशों में हालात एक बार फिर चिंताजनक मोड़ ले रहे हैं। चीन में 14 महीने के अंतराल के बाद कोरोना से मौत के मामले सामने आए हैं। हॉन्गकॉन्ग में स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि शवों के लिए ताबूत कम पड़ रहे हैं। साउथ कोरिया में बीते सप्ताह गुरुवार से शनिवार के बीच यानी तीन दिनों के अंदर 14 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ गए। उधर फ्रांस, इंग्लैंड और इटली में एक सप्ताह में कोरोना के नए मामलों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस नई लहर के पीछे ओमीक्रोन के सब वेरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। यह बात भी है कि दुनिया भर में कोरोना मामलों में आई कमी के बाद हर जगह पाबंदियों में कटौती की जाने लगी। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगी पाबंदियां भी हटाई जाने लगीं। अपने देश में भी 27 मार्च से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को सामान्य रूप देने की घोषणा हो चुकी है। हालांकि कोरोना मामलों के इस नए विस्फोट के मद्देनजर इस घोषणा पर पुनर्विचार की अपील हो रही है। लेकिन यह समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों या अन्य आर्थिक गतिविधियों पर अनिश्चित काल तक पाबंदियां लगाए रहना भी कोई अच्छा विकल्प नहीं है। इसके साइड इफेक्ट भी कम घातक नहीं होने वाले।
दूसरी बात यह कि ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट- बीए.1 और बीए.2 - भारत में तीसरी लहर के दौरान सक्रिय भूमिका में थे। ऐसे में माना जा सकता है कि यहां इसे लेकर अच्छा इम्यूनिटी लेवल बन गया होगा। यही नहीं, वैक्सिनेशन का व्यापक दायरा भी आश्वस्त करता है कि भारत में कोरोना की अगली लहर आई भी तो संभवतः ज्यादा तेज और खतरनाक नहीं होगी। लेकिन इन सबके बावजूद कोरोना वायरस की रूप बदल कर लौटने और खुद को घातक बनाने की क्षमता को याद रखने की जरूरत है। भले ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट बी.1 और बी.2 के पिछले मामले खास खतरनाक नहीं साबित हुए हों, यह आशंका अब भी बनी हुई है कि ये दोनों मिलकर कोई नया वेरिएंट न बना लें।
साफ है कि सरकार के सामने इकॉनमी से जुड़ी चुनौतियां हैं, लिहाजा वह आर्थिक गतिविधियों से रोक हटाएगी और उसे हटाना भी चाहिए, लेकिन आम लोग सावधानियां छोड़ दें, इसकी कोई वजह नहीं है। सारे एक्सपर्ट्स एक स्वर से कह रहे हैं कि मास्क पहनने, दूरी बरतने और थोड़ी-थोड़ी देर पर हाथ धोते रहने जैसी छोटी-छोटी सावधानियों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना लें तो हम इन खतरों के बीच भी अपने लिए एक सुरक्षित राह बना सकते हैं।