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सरकारें गरीबों से कैसे-कैसे लंबे-चौड़े हवाई वादे करती रहती हैं और जब उन्हें पूरा करने का वक्त आता है तो कैसे उनसे पल्ला झाड़ लेती हैं, इसकी ताजा मिसाल दिल्ली सरकार है। हैरानी की बात यह है जो सरकार डेढ़ साल पहले प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी हमदर्द बन कर सामने आई थी और किराया मांगने वाले मकान मालिकों को चेताया था, आज वही अपनी बात से मुकर रही है। सरकार के इस रुख पर दिल्ली हाई कोर्ट का नाराज होना स्वाभाविक है। इसीलिए सोमवार को हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से साफ पूछा कि किराए का भुगतान करने का आपका इरादा है भी या नहीं। गौरतलब है कि पिछले साल पहली लहर के दौरान देशभर से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे थे। दिल्ली से भी प्रवासी मजदूरों का पलायन जोर पकड़ चुका था। कारखानों, फैक्ट्रियों से लेकर तमाम कामधंधे बंद हो गए थे। लोगों के पास पैसा नहीं था। ऐसे में घर का भाड़ा चुकाने की समस्या खड़ी हो गई थी। यह हालत पूरे देश में एक जैसी थी।