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- ईरान का नया निजाम और...
आदित्य चोपड़ा| ईरान का मतलब होता है लैंड आफ आर्यन। भारत का प्राचीन नाम आर्यावर्त है। कभी भारत की सीमाएं ईरान से लगती थीं, अगर भारत का विभाजन न हुआ होता यानी पाकिस्तान नहीं बनता तो ईरान हमारा पड़ोसी देश होता। ईरान इस्लामिक देश बनने से पहले पारसी था, लेकिन इस्लाम के उभार के साथ ईरान से पारसियों को बेदखल कर दिया गया। तब ज्यादातर पारसी या तो भारत के गुजरात राज्य में आ बसे या फिर पश्चिमी देशों में चले गए। ईरान में जब पारसी थे, तब भी भारत के साथ उसके सांस्कृतिक संबंध थे और जब इस्लामिक देश बना तब भी गहरे संबंध रहे। स्वतंत्र भारत और ईरान ने 15 मार्च 1950 को राजनयिक संबंध स्थापित किये थे। वर्ष 1979 में हुई ईरानी क्रांति ने भारत और ईरान के बीच आपसी संबंधों का एक नया द्वार खोल दिया था। जिसके फलस्वरूप ईरान-भारत संबंध बहुत गहरे हो गए थे। शीतयुद्ध के समय अलग-अलग राजनीतिक दल होने के कारण भारत-ईरान के रिश्ते मधुर नहीं थे। भारत उस समय सोवियत संघ का करीबी था। वहीं ईरान अमेरिका से नजदीकी संबंध रखता था। इसके बावजूद उच्चस्तरीय मुलाकातों का दौर जारी रहा। पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी ने अपने शासन काल में ईरान का दौरा किया था। 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तेहरान दौरा कर रिश्तों को नई ऊर्जा दी। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान का दौरा किया था जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा विकास जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा गया। 2018 में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की भारत यात्रा के दौरान 9 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इसमें चाबहार बंदरगाह के एक हिस्से को भारतीय कंपनी को उपयोग के लिए लीज पर देने का समझौता भी शामिल था। कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद ईरान का भारत के प्रति रुख काफी नरम रहा। कुछ मामलों में ईरान का रवैया भारत के विरुद्ध काफी मुखर रहा लेकिन संबंध बने रहे।