सम्पादकीय

ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में नई पहल

Gulabi
6 March 2021 8:34 AM GMT
ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में नई पहल
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि यदि पूर्व की सरकारें भारत की ऊर्जा आयात निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित करतीं, तो मध्यवर्ग पर यह बोझ नहीं पड़ता। उन्होंने ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों की जरूरत पर भी जोर दिया। ऊर्जा आपूर्ति का विस्तार और विविधीकरण अच्छा है, पर यदि भारत को अपनी ऊर्जा आयात निर्भरता कम करनी है, तो उसे पहले पेट्रोलियम उत्पादों की मांग का प्रबंधन करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन यूपीए-2 ने यात्री वाहनों के लिए ईंधन-दक्षता मानक तैयार किए, जो अब प्रभावी हैं। इसने राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन योजना (एनईएमएमपी) का भी गठन किया। बेहतर इरादे के बावजूद ये दोनों क्रियाएं महत्वाकांक्षा की दृष्टि से कमतर हो गईं। यात्री कारों के लिए भारत के 2022 ईंधन दक्षता मानक यूरोपीय संघ के मानकों की तुलना में कम कठोर हैं। एनईएमएमपी मुख्य रूप से हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्रित था, और इसके तहत अधिकांश प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक वाहनों के बजाय हाइब्रिड वाहनों को मिला।


मोदी सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई पहल की है। भारी-शुल्क वाले वाहन, जो देश में उपयोग होने वाले करीब 60 फीसदी डीजल का उपभोग करते हैं, अब ईंधन-दक्षता मानकों के अधीन हैं। जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति के तहत पेट्रोल में बायो एथेनॉल का हिस्सा लगभग आठ फीसदी तक बढ़ गया है। सरकार ने प्राकृतिक गैस सहित परिवहन क्षेत्र में कई ईंधनों को प्रोत्साहित किया है। इसने इलेक्ट्रिक वाहनों में रूपांतरण की तात्कालिकता को मान्यता दी है। फास्टर अडॉप्शन ऐंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएएमई) स्कीम अब काफी हद तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर केंद्रित है। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन भी दिए हैं। ये सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन सरकार को पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करनी चाहिए। सबसे पहले, सरकार को एक शून्य-उत्सर्जन वाहन (जेडईवी) कार्यक्रम तैयार करना चाहिए, जिसमें वाहन निर्माताओं को एक निश्चित संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की आवश्यकता होगी। ऐसे कार्यक्रम चीन, अमेरिका के कुछ राज्यों, कनाडा, ब्रिटिश कोलंबिया और दक्षिण कोरिया में प्रभावी हैं। जेडईवी कार्यक्रम के लिए सभी निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन शुरू करना होगा।
सरकार को नई यात्री कारों और वाणिज्यिक वाहनों के लिए ईंधन दक्षता जरूरतों को भी मजबूत करना चाहिए। दोपहिया वाहन किसी भी ईंधन-दक्षता मानकों के अधीन नहीं हैं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) द्वारा किए गए एक ताजा विश्लेषण से पता चलता है कि 2030 तक नए दोपहिया वाहनों द्वारा ईंधन की खपत में 50 फीसदी की कमी से न केवल आंतरिक दहन इंजन दक्षता में सुधार होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि भारत में बिकने वाले सभी नए दोपहिया वाहनों का 60 फीसदी बिजली से चलने वाला है। यात्री वाहन और भारी शुल्क वाले वाणिज्यिक वाहन मोर्चे पर समान अवसर मौजूद हैं। अधिक ईंधन-कुशल वाहनों के कारण उपभोक्ता पंप पर पैसा बचाएंगे। इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने वाले अधिक बचत करेंगे, क्योंकि ये कम ऊर्जा खपत करते हैं और पेट्रोल व डीजल की तुलना में बिजली सस्ती है। एफएएमई स्कीम दो-और तीन-पहिया वाहनों, टैक्सियों और बसों पर केंद्रित है। इसे सभी यात्री कारों, वाणिज्यिक वाहनों और ट्रैक्टरों तक भी बढ़ाया जाना चाहिए। सभी प्रकार के वाहनों के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करना और चार्जिंग बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना जरूरी पूरक नीतियां हैं। जैसे ही अर्थव्यवस्था महामारी से उबरती है, पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ेगी, साथ ही कीमतें भी। लेकिन सरकार विनियामक साधनों का उपयोग कर दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाकर उपभोक्ताओं को राहत दे सकती है।
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