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- सहकारिता के क्षेत्र...
अरविंद मिश्रा : केंद्र सरकार में सहकारिता मंत्रालय का गठन देश में सहकारिता से जुड़ी करोड़ों जिंदगियों के लिए सुखद संदेश है। मालूम हो कि सहकारी संस्था अमूल की कारोबारी सफलता ने लाखों जिंदगियों को गुणवत्ता प्रदान करने का कार्य किया है। दुग्ध क्रांति के साथ ही इसने किसानों को आय का एक स्थायी स्रोत मुहैया कराया है। शहर से लेकर गांव तक सहकारी बैंकों ने उस तबके तक र्बैंंकग सुविधा पहुंचाने का कार्य किया है, जो अर्थव्यवस्था में अंतिम पायदान पर खड़ा है। दूध और चीनी से लेकर दैनिक जरूरत की हर वस्तु और सेवाएं उपलब्ध कराने में सहकारी समितियां आगे बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की 2019-2020 की रिपोर्ट के मुताबिक सहकारी डेयरी ने 1.7 करोड़ सदस्यों से प्रतिदिन 4.80 करोड़ लीटर दूध खरीदा। चीनी उत्पादन के क्षेत्र में सहकारी मिलों की हिस्सेदारी लगभग 35 प्रतिशत है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 तक देश में 8 लाख 54 हजार 355 सहकारी समितियां थीं। इनमें सदस्यों की संख्या 30 करोड़ से अधिक है। कृषि क्षेत्र में सहकारी समितियां किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराने से लेकर कृषि उत्पादों का उचित मूल्य मुहैया कराने का कार्य करती हैं।